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चातुर्मास में करें धर्म का बीजारोपण- साध्वी डॉ.बिंदुप्रभा

फ़ोटो कैप्शन- जयमल जैन पौषधशाला में साध्वी डॉ.बिंदुप्रभा का प्रवचन सुनती हुई श्राविकाएं।

चातुर्मास में करें धर्म का बीजारोपण- साध्वी डॉ.बिंदुप्रभा

जयमल जैन पौषधशाला में चातुर्मासिक प्रवचन प्रारंभ

नागौर । श्वेतांबर स्थानकवासी जयमल जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में आचार्य जयमल जैन मार्ग स्थित जयमल जैन पौषधशाला में चातुर्मासिक कार्यक्रम शुक्रवार से प्रारंभ हुए। जयगच्छीय जैन साध्वी डॉ.बिंदुप्रभा एवं साध्वी हेमप्रभा के सानिध्य में प्रातः 6:15 बजे से प्रार्थना की गयीं। प्रातः 9 बजे से 10 बजे तक जयमल जैन पौषधशाला में प्रवचन हुआ।

फ़ोटो कैप्शन- जयमल जैन पौषधशाला में साध्वी डॉ.बिंदुप्रभा का प्रवचन सुनती हुई श्राविकाएं।
फ़ोटो कैप्शन- जयमल जैन पौषधशाला में साध्वी डॉ.बिंदुप्रभा का प्रवचन सुनती हुई श्राविकाएं।

चातुर्मास प्रारंभ के अवसर पर धर्मसभा को संबोधित करते हुए साध्वी डॉ.बिंदुप्रभा ने कहा कि चातुर्मास के प्रारंभ होते ही साधक को सजग हो जाना चाहिए। ताकि वह लक्ष्य निर्धारित करने के साथ साथ आवश्यक पूर्ण तैयारी कर सके। वर्षावास के यह चार महीनें आध्यात्मिक और भौतिक दोनों ही दृष्टि से सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं। चातुर्मास में वर्षा होती है तब किसान आनंद विभोर होकर, आलस्य प्रमाद को दूर कर, नई चेतना और उत्साह के साथ खेतों में पहुंच जाते हैं। बीजारोपण करते हैं, कठिन परिश्रम करते हैं इन चार महीनों में। फलस्वरूप उन्हें अच्छी फसल मिलती है और उनके शेष आठ महीनें आराम से बीतते है। प्रमाद कर लिया अगर तो पूरा वर्ष व्यर्थ चला जाता है। ठीक इसी प्रकार हमारा जीवन भी एक खेत है। जिसमें धर्म का बीजारोपण करने का स्वर्णिम अवसर प्राप्त होता है चातुर्मास काल में। डॉ. साध्वी ने अनेक प्रकार के त्याग व्रत प्रत्याख्यान के लिए प्रेरणा दी और धर्म सभा में उपस्थित सभी श्रावक-श्राविकाओं ने व्रत ग्रहण कर लिए। चातुर्मास के उद्देश्य को समझाते हुए साध्वी ने कहा कि प्राणी मात्र पर अनुकम्पा भाव रखने हेतु, जीव रक्षा के लिए एवं स्व और पर कल्याण का लक्ष्य सिद्ध करने के लिए चातुर्मास काल होता है। साध्वी ने भजन- “सत्संग से सुख मिलता है, जीवन का पल-पल खिलता है..” से अपनी बात समाप्त की।

धार्मिक प्रश्नोत्तरी का हुआ आयोजन
मंच का संचालन संजय पींचा ने किया। प्रवचन में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर महावीरचंद भूरट, किशोर सुराणा, सरोजदेवी चौरड़िया, प्रेमलता ललवानी ने दिए। सभी विजेताओं को हस्तीमल, मूलचंद, चिराग ललवानी परिवार द्वारा पुरस्कृत किया गया। ज्ञानचंद माली एवं रीता ललवानी ने भजन प्रस्तुत किया। सभी उपस्थित महानुभावों को जयमल जैन श्रावक संघ द्वारा प्रभावना वितरित की गयीं। आगंतुकों के भोजन का लाभ हस्तीमल, मूलचंद, चिराग ललवानी परिवार ने लिया। दोपहर 1:30 बजे से 2:30 बजे तक महाचमत्कारिक जयमल जाप का अनुष्ठान किया गया। जिसकी प्रभावना पुखराज, दिनेशकुमार पींचा परिवार द्वारा दी गयीं। दोपहर 2:30 बजे से 3 बजे तक साध्वी वृंद द्वारा श्रावक-श्राविकाओं को ज्ञान-ध्यान सिखाया गया। संघ मंत्री हरकचंद ललवानी ने बताया कि सूर्यास्त पश्चात पुरुष वर्ग का प्रतिक्रमण जयमल जैन पौषधशाला में एवं महिला वर्ग का प्रतिक्रमण घोड़ावतों की पोल के सामने स्थित रावत स्मृति भवन में हुआ। इस मौके पर अमीचंद सुराणा, मांगीलाल बोहरा, नौरतन सुराणा, राजेंद्र ललवानी, पार्षद दीपक सैनी सहित अन्य श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित रहें।

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