Padmavat Media
ताजा खबर
टॉप न्यूज़राजस्थान

निशुल्क दवा योजना में लगे हेल्पर 12 वर्ष बाद 6500 पर कार्य करने को मजबूर,सरकार ने नही की कोई पहल

उदयपुर 18 जुलाई,राजस्थान सरकार और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की बहुआयामी एवम भारत में सर्वश्रेष्ठ योजना मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना में कार्यरत पूरे राजस्थान से 356 संविदा पर और 598 हेल्पर एजेंसी द्वारा(दवा सहायक)कुल 954 हेल्पर अभी भी 6474 रुपए में कार्य कर रहे है,और एजेंसी से लगे हेल्परो को तो और भी कम मानदेय एजेंसी द्वारा दिया जाता है,आपको बता दे की यह योजना राजस्थान में 2अक्टूबर 2011 से प्रारंभ हुई थी और इस योजना से कई लोगो को राहत मिली है,इस योजना का लाभ राजस्थान ही नही अपितु राजस्थान के पास के राज्यो के लोगो ने भी लिया है और अभी भी प्राप्त हो रहा है,इस योजना के प्रारंभ में फार्मासिस्ट और हेल्पर की संविदा नियुक्ति की गई थी उसके बाद फार्मासिस्ट की नियमित पोस्ट निकाल कर उन्हे नियमित कर दिया गया,ऑपरेटर भी यह योजना ऑनलाइन होने के पश्चात संविदा पर लगाए गए थे उन्हें भी सूचना सहायक पद पर नियमित किया गया लेकिन 2011 से कार्यरत हेल्पर की कोई नही सुन रहा है ये सारे अभी भी 6474 रु प्रतिमाह की नौकरी करने को मजबूर है,इनको संविदा पर लेते समय अनुबंध भी भरवाया गया था जिसमे 10 प्रतिशत प्रतिवर्ष मानदेय वृद्धि के लिए लिखा था वो भी तब से अभी तक नही मिला यहां तक की सरकार द्वारा जारी न्यनतम मजदूरी भी 2023 की अभी तक सारे हेल्परों को नही मिल रही है,राजस्थान सरकार ने संविदा नियम 2022 भी लागू कर दिया,उसकी सभी विभागों से सूची भी प्राप्त कर ली लेकिन हेल्परों को संविदा नियम 2022 में भी शामिल नहीं किया गया,हेल्परों का कार्य भी बहुत ज्यादा होता है इनके द्वारा ही दवाइयों को लोडिंग गाड़ियों से उतारा जाता है और मुख्य ड्रग हाउस या सब स्टोर में रखा जाता है इसके बाद ये ही इन दवाइयों को स्टोर से वितरण केन्द्र तक पहुंचाते है,इसके बाद दवाओ की गणना,एक्सपायरी डेट जांचना,दवाओ की सूची बनाने तक कार्य कर फार्मासिस्ट की सहायता करते है इतना कुछ करने के बाद भी अभी तक इनका अल्प मानदेय और नियमतीकरण न होना अत्यंत दुखदायी है,डीडीसी सहायक प्रदेश अध्यक्ष पुनाराम मेघवाल ने बताया की इन सारी समस्याओं के बारे में एक पत्र निदेशक चिकित्सा एवम स्वास्थ्य विभाग राजस्थान सरकार को लिख चुके है लेकिन कोई कार्यवाही नही हुई,अब 2011 से कार्यरत हेल्परों की दशा ये हो गई है इस योजना में काम करते हुए 12 वर्ष निकल जाने के बाद इसे ये न छोड़ सकते है और न ही कोई दूसरा कार्य कर सकते है इनके लिए अब जीवन यापन करना बहुत कठिन साबित हो रहा है,कही चिकित्सा संस्थानों में ये भी बात सामने आई की वहा दवा सहायको की वित्तीय स्वीकृति भी नही मिल रही इसके कारण इनका अल्प मानदेय भी अधर में लटका हुआ है

Related posts

वुमन्स टीम इंडिया vs इंग्लैंड वनडे सीरीज : 17 साल की शैफाली वनडे में डेब्यू के लिए तैयार, टी-20 में नंबर-1 ओपनर पहले ही टेस्ट में 2 फिफ्टी लगा चुकीं

Padmavat Media

भारत को गर्व है कि हमारे पास स्टैच्यू ऑफ यूनिटी हैं : कवि सुनील पटेल

बैटरी बनाने वाली कंपनी Okaya अपनी इलेक्ट्रिक स्कूटर करेगी लॉन्च, जानिए कीमत

Padmavat Media
error: Content is protected !!