कैप्टन और सिद्धू के बीच अब भी दिख रही दरार, टिकट बंटवारे में होगी असल परीक्षा
Punjab Congress Update: दिल्ली में राहुल गांधी कह रहे हैं कि पंजाब कांग्रेस में अब सब ठीक है, लेकिन इस दावे की परीक्षा जल्द ही टिकट वितरण के समय होगी, क्योंकि अगर कांग्रेस जीत दर्ज करती है, तो अगले सीएम को लेकर दोनों के बीच रस्साकशी देखने को मिल सकती है.
चंडीगढ़. पंजाब में कहा जाता है कि माफी तब तक नहीं मानी जाती, जब तक झप्पी ना हो या उम्र में छोटा अपने बड़ों के पैर ना छू ले. हालांकि, राज्य के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) और पंजाब कांग्रेस के नए अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) के बीच गले लगने जैसी बात तो नहीं हुई. साथ ही यह भी किसी को नहीं पता कि सिद्धू के पैर छूने के बाद सीएम अमरिंदर सिंह की तरफ से उन्हें आशीर्वाद मिला भी है या नहीं. राज्य के दोनों बड़े नेता चंडीगढ़ स्थित कांग्रेस भवन में आयोजित कार्यक्रम में साथ बैठे नजर आए थे.
इधर, दिल्ली में राहुल गांधी कह रहे हैं कि पंजाब कांग्रेस में अब सब अच्छा है, लेकिन इस दावे की परीक्षा जल्द ही टिकट वितरण के समय होगी. क्योंकि अगर कांग्रेस जीत दर्ज करती है, तो अगला सीएम कौन होगा, यह सवाल अभी तक अटका हुआ है. कैप्टन की मर्जी के खिलाफ सिद्धू को राज्य का पार्टी प्रमुख बनाना और सार्वजनिक माफी के बाद मुलाकात के दावे के बावजूद सीएम को सिद्धू से मिलने पर मजबूर करना, यह दिखाता है कि सीएम पद के लिए 79 साल के कैप्टन से सिद्धू कई पायदान आगे खड़े हैं. सिद्धू के पहले भाषण से यह अनुमान भी लगाए जा रहे हैं कि उनका चुनाव प्रचार उन वादों के इर्द-गिर्द रहेगा, जिन्हें कैप्टन पूरा नहीं कर सके.
हालांकि, कई सियासी जंगों के गवाह रहे कैप्टन भी इतने जल्दी हथियार डालने वाले नहीं हैं. उनका खेमा जानता है कि अगला सीएम कौन होगा, यह केवल हाईकमान ही नहीं बल्कि चुनाव के बाद विधायकों का बहुमत हासिल करने पर भी निर्भर होगा. इस बात को सिद्धू भी जानते हैं और उन्हें शायद हाईकमान का समर्थन भी हासिल है. ऐसे में वे सीएम पद पर दावेदारी पेश करने के लिए अपने समर्थकों के लिए ज्यादा से ज्यादा टिकट हासिल करना चाहेंगे. पार्टी प्रमुख के तौर पर टिकट वितरण में सिद्धू की बात सुनी जाएगी, लेकिन कैप्टन की भूमिका भी इस प्रक्रिया में अहम होगी.
कार्यक्रम में दिखा अलग नजारा
शुक्रवार को आयोजित हुए कार्यक्रम के दौरान दोनों नेताओं के बीच असहजता देखी जा सकती थी. सीएम ने चंडीगढ़ के पंजाब भवन में सभी विधायकों और वरिष्ठ नेताओं को चाय पर बुलाया था, लेकिन इस दौरान सिद्धू गायब रहे. सिद्धू को आयोजन स्थल पर वापस बुलाना पड़ा, जहां उन्होंने सीएम का टेबल की दूसरी तरफ से अभिवादन किया और कहा कि उन्हें देखकर खुशी हुई. इसके बाद उन्होंने सीएम को बताया कि वे अरदास के लिए गए थे. कांग्रेस नेताओं ने सिद्धू को सीएम के पास बैठने के लिए कहा और दोनों के फोटो लिए गए. सिद्धू से बातचीत के दौरान कैप्टन लगातार घड़ी की तरफ देखते हुए ये संकेत दे रहे थे कि मुख्य कार्यक्रम में देरी हो रही है.
कांग्रेस भवन पहुंचे सीएम के सिद्धू ने पैर छुए. इसके बाद दोनों नेता अगल-बगल बैठे रहे. हालांकि, इस दौरान दोनों के बीच बमुश्किल ही कोई बात हुई. कांग्रेस भवन की दीवारें सिद्धू को पोस्टर से भरी हुई थीं. कांग्रेस प्रमुख का पद छोड़ने वाले सुनील जाखड़ ने भाषण दिया. अपनी बात रख रहे कैप्टन ने बताया कि जिस वर्ष सिद्धू का जन्म हुआ, तब वे सेना में भर्ती हुए थे.
उन्होंने सिद्धू को नए पद की बधाई दी और याद दिलाया कि सिद्धू के पिता ने ही उन्हें राजनीति में आने का रास्ता दिखाया और वे सिद्धू के घर जाते रहे हैं. अपने भाषण के दौरान उन्होंने सिद्धू की और देखा और उनसे सुनने के लिए भी कहा. अपनी बारी आने पर सिद्धू, सीएम को बगैर देखे मंच की ओर बढ़ गए. हालांकि, उन्होंने माइक थामने से पहले पूर्व सीएम रजिंदर कौर भट्टल और वरिष्ठ नेता लाल सिंह के पैर छुए.
सिद्धू के भाषण ने यह साफ कर दिया था कि उनका चुनाव प्रचार, बिजली की दरें कम करना और विद्युत के निजी खरीद समझौते खत्म करना, 2015 के गोलीबारी और बेअदबी मामले में न्याय जैसे उन मुद्दों के इर्द-गिर्द रहेगा, जिन्हें कैप्टन पूरा नहीं कर सके. अपने भाषण के दौरान उन्होंने कैप्टन का जिक्र केवल एक बार किया. उन्होंने कहा, ‘ये मुद्दे हैं सीएम सर, हमें इन्हें सुलझाना होगा. पद मुद्दा नहीं है. मैंने कई पद छोड़े हैं. सबसे प्रमुख मुद्दा हमारे किसान हैं, जो विरोध में सड़कों पर बैठे हैं.’
इसपर, अकाली दल और आम आदमी पार्टी ने बाद में कहा कि सिद्धू का भाषण से हैरानी होती है कि वे भूल गए थे क्या कि वे अपनी ही पार्टी के सीएम के बारे में बोल रहे हैं, किसी विपक्ष के नेता के रूप में नहीं. लेकिन ऐसा नहीं लगा कि सिद्धू को किसी बात की परवाह है, क्योंकि उन्हें लगता है कि उनका यह रवैया ही मौजूदा सीएम के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर को मोड़कर उनकी पार्टी को सत्ता में वापस लाने का मौका दे सकता है.
पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष कुलजीत सिंह नागरा ने सिद्धू को बब्बर शेर बताया. जबकि, अन्य विधायकों ने कहा कि सिद्धू का चुनाव अभियान पार्टी कैडर में जोश लाएगा और अकाली दल और आप के जीतने की संभावनाएं खत्म कर देगा. यह सब करने के बाद और अगर पार्टी जीत जाती है, तो सिद्धू भी अपना इनाम चाहेंगे.