Padmavat Media
ताजा खबर
कहानी & फनी जोक्सटॉप न्यूज़देशराजस्थानराज्य

समाजसेवी और रक्तदाता अजय खतुरिया

समाजसेवी और रक्तदाता अजय खतुरिया

उदयपुर। अन्नदान, वस्त्रदान, विद्यादान, रक्तदान, समाज सेवा, वृदाश्रम सेवा, गौसेवा के साथ ही अन्य बेजुबानों और पक्षियों की सेवा की जब भी बात आती है तो शहर के प्रमुख नामों में समाजसेवी अजय खतुरिया का नाम भी प्रमुखता के साथ लिया जाता है। हंसमुख, मिलनसार, व्यवहार कुशल और हमेंशा दीन- दुखियों और पीडि़तों के चेहरों पर मुस्कान लाने के लिए प्रयासरत रहने वाले उदयपुर निवासी अजय खथुरिया एक मार्बल व्यवसायी है। खतुरिया अपने मार्बल व्यवसाय का एक निश्चित हिस्सा अन्नदान, वस्त्रदान, विद्यादान और समाजसेवा मेें खर्च करते हैं। वे अपने पिता स्व. श्री जवाहर लाल जी खतुरिया की स्मृति में अब तक कई बार रक्तदान कर चुके हैं और लगातार रक्तदान में शतक लगाने की उपलब्धि हासिल करने के लक्ष्य की और बढ़ रहे हैँ। उनका कहना है कि रक्तदान से कोई कमजोरी नहीं आती है। रक्तदान के लिए लिए धन या ताकत नहीं बल्कि बड़ा दिल और समर्पण होना चाहिए। रक्तदानी सम्भावित मौत को भी मात दे सकते हैं।


अजय खतुरिया ने बताया कि उनके पिता जवाहर लाल जी खतुरिया की सन 2000 में कुवैत में सडक़ दुर्घटना में मौत हो गई थी। उनकी मौत का कारण था ब्लड की कमी। यानि कि समय पर ब्लड का नहीं मिलना उनकी मौत का कारण बना। बस उसी दिन से अजय ने ठान लिया कि ब्लड के अभाव में मैंने तो मेरे पिताश्री को खोया है लेकिन अब मैं हर सम्भव प्रयास करूंगा कि ब्लड के अभाव में किसी की मौत ना हो। वह स्वयं तो रक्तदान करते ही है औरों को भी खासकर युवाओं को लगातार रक्तदान के लिए प्रेरित करते रहते हैं। अजय ने बताया कि अगर वह मार्बल व्यवसाय में नहीं होते तो भारतीय सेना में होते। अजय का सिंधी समाज मे काफी नाम है।
अजय ने बताया कि उन्होंने उनके जीवन काल में कोरोना जैसी महामारी कभी नहीं देखी। कोरोनाकाल में जिस तरह से तबाही का मंजर सामने आया उससे उनका कलेजा भी कांप उठा। उस दौर ने उन्हें भी अन्दर तक झकझोर कर रख दिया। उनके मन में बस एक ही भाव था कि अगर भगवान ने हमें इस लायक बनाया है कि हम दीन- दुखियों की कुछ तो मदद कर ही सकते हैं। नर सेवा- नारायण सेवा का संकल्प मन में लेकर वह पूरे कोरोनाकाल में बिना किसी स्वार्थ के दीन- दुखियों की सेवा में लग गये। शहर में बाहर से आने वाले पैदल यात्रियों के लिए भोजन की व्यवस्था हो, जल- पान की व्यवस्था हो जो भी उनसे बन पड़ा उन्होंने की। शहर की कई कच्ची बस्तियों में वह रोजाना जाते उनसे जो भी बन पड़ी उनकी सेवा की। यह सब कार्य उन्होंने अपने नाम, प्रतिष्ठा या अपनी प्रसिद्धि के लिए नहीं बल्कि अपने स्व. पिताश्री की आत्मा की शांति के लिए और स्वयं के सन्तोष के लिए की। आज भी वह अपने समाज सेवा के मिशन में नि:स्वार्थ भावसे लगे हुए हैं। स्कूलों में बच्चों लिए कॉपियां- किताबें बांटना, उन्हें कपड़े उपलबध करवाना या सर्दियों के मौसम में बच्चों को गर्म कपड़ों की जरूरतों को पूरा करना खतुरिया के जीवन का एक हिस्सा बन चुका है।
अजय ने बताया कि उन्होंने अपने माता- पिता की स्मृति और सनातन धर्म के प्रचार हेतु एक हजार भागवत गीता नि:शुल्क वितरण करने का संकल्प लिया है। यह पुस्तकें युवा छात्रों, वृद्धाश्रमों, मन्दिरों और बाल सुधार गृहों में वितरित करने का लक्ष्य बनाया है।
यही कारण है कि अब तक उन्हें समाजसेवा के तहत कई सम्मान और पुरस्कार मिल चुके हैं जिनमें सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, कई सामाजिक संस्थाएं, कई राजनेता जिनमें प्रमुख रूप से राजस्थान सरकार में मंत्री एवं पूर्व प्रभारी मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास,नेता प्रतिपक्ष श्री गुलाबचंद कटारिया, सहायक निदेशक बाल अधिकारिता विभाग द्वारा सम्मान के रूप में प्रशस्ती पत्र, अधीक्षक राजकीय सम्प्रेक्षण एवं किशोर गृह उदयपुर द्वारा सम्मान स्वरूप प्रशंसा पत्र, एमबी हॉस्पीटल के डॉ. लाखन पोसवाल के साथ ही स्वयं महाराज कुंवर लक्ष्यराजसिंह मेवाड़ भी इनके समाज सेवा के कार्यों की खुले मन से प्रशंसा कर चुके हैं। अजय का सपना है कि वो एक ब्लड बैंक और वृदाश्रम की स्थापना करे।

Related posts

वन्य जीव सप्ताह पर विशेष मीडिया की वन्यजीव संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका

Padmavat Media

नीरज शर्मा बने एंटी क्रप्शन एंड क्राइम कंट्रोल कमिटी के सदस्य 

Padmavat Media

आजीविका को सुधारने के लिए ग्रामीण महिलाओं को बकरी पालन का सात दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया

Padmavat Media
error: Content is protected !!