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ERCP पर फिर सियासत गरमाई, महेश जोशी बोले- DPR गलत तो केंद्रीय मंत्री खुद के सलाहकार से पूछे

राजस्थान में 13 जिलों के लिए बनाई गई ईस्टन कैनाल प्रोजेक्ट पर सियासत रुकने का नाम नहीं ले रही है. एक बार फिर से इन प्रोजेक्ट पर केंद्र और राज्य सरकार आमने सामने हो गए गई है. केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इस प्रोजेक्ट की डीपीआर को सही नहीं बताया. जिसके बाद में अब राजस्थान में ईआरसीपी पर राजस्थान में सियासत गरमाई गरमा गई है.

केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह पर पीएचईडी मंत्री महेश जोशी और पंचायतीराज मंत्री ने सवाल उठाते हुए कहा कि आज केंद्रीय मंत्री को डीपीआर ठीक नहीं लग रही, जबकि तत्कालीन बीजेपी सरकार द्वारा 2017 में ही डीपीआर बनाई गई थी. केंद्र सरकार के उपक्रम वेप्कोस लिमिटेड के माध्यम से डीपीआर तैयार की गई थी. उस समय रीवर बेसिन ऑथिरिटी के चैयरमैन श्रीराम वेदिरे की देखरेख में डीपीआर को तैयार किया गया था, जो वर्तमान में श्रीराम वेदिरे केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय में सलाहकार है. गजेद्र सिंह को अपने सलाहकार से पूछना चाहिए, डीपीआर सही या गलत. महेश जोशी ने कहा कि सरकार ने 1000 करोड़ से अधिक का बजट खर्च कर कार्य शुरू कर दिया है. इस साल के बजट के जरिए भी ईआरसीपी में 9600 करोड़ रुपए देने की घोषणा हुई.

जलशक्ति मंत्री राज्य को प्राथमिकता देने की बजाय बहानेबाजी क्यो कर रहे.
जलदाय मंत्री डॉ. महेश जोशी ने कहा है कि मेरे लिए तो ये आश्चर्य की बात है कि श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत अभी तक राजनीति में हैं क्योंकि मेरे सामने उन्होंने खुले मंच पर कहा था कि अजमेर रैली में यदि मोदीजी ने ERCP पर एक शब्द कहा होगा तो मैं राजनीति से संन्यास ले लूंगा. सच्चाई यह है कि जबकि 06 अक्टूबर 2018 को अजमेर रैली में प्रधानमंत्री मोदी ने ना सिर्फ ERCP का नाम लिया, बल्कि लगभग ढ़ाई मिनिट में प्रधानमंत्री ने इस योजना की उपयोगिता बताते हुए इसे राष्ट्रीय दर्जा देने के लिए सकारात्मक कदम उठाने की बात कही थी. इसके वीडियो तक आ जाने के बाद उन्होंने संन्यास नहीं लिया, यही उनकी सत्यनिष्ठा दिखाता है.

जोशी ने गजेन्द्र सिंह शेखावत पर कटाक्ष करते हुए कहा है कि आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि राजस्थान सरकार के कमिटमेंट के कारण नवनेरा बैराज, कोटा एवं ईसरदा बांध, टोंक का काम चल रहा है. नवनेरा बैराज का 50% से अधिक काम पूरा हो गया है एवं इस साल के अंत तक बाकी काम पूरा हो जाने की उम्मीद है. जो पानी व्यर्थ बहकर यमुना नदी और समुद्र में चला जा रहा है, उस पानी का इस्तेमाल किसान कर लेंगे तो इससे किसी को क्या दिक्कत है? गजेन्द्र सिंह शेखावत को जानकारी होनी चाहिए कि इस परियोजना की DPR राजस्थान-मध्य प्रदेश अनतर्राज्यीय निंयत्रण मंडल की 13वीं बैठक जो 25 अगस्त 2005 को हुई थी, में लिए गए निर्णय के अनुसार ही बनाई गई है. इसलिए इस परियोजना के लिए मध्य प्रदेश की अनापत्ति (NOC) अपेक्षित नहीं है.

लेकिन बडा सवाल यही है आखिर कब तक इस प्रोजेक्ट पर राजनीति होती रहेगी और कब तक 13 जिलों को इस प्रोजेक्ट का पानी मिल पाएगा.

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