मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री, राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह जन्मदिवस 28 फरवरी 2024 पर विशेष
‘‘गांधी के रामराज्य का सपना साकार कर अंतिम पंक्ति के व्यक्ति को सरकार में शामिल किया था दिग्विजय सिंह ने“
दिग्विजयसिंह ने ‘‘समतामूलक समाज की स्थापना कर दलितों, अलपसंख्यकों और अतिपिछड़े वर्ग को विकास की राह दिखायी थी
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, भीमराव अंबेडकर, कर्पूरी ठाकुर, बीपी सिंह, काशीराम और अर्जुन सिंह के बाद दिग्विजय सिंह ने ही इन वर्गों को विकास की माला में पिरोने का वीणा उठाया था।
ढाई दशक यानि आज से 25 वर्ष पूर्व सात दिसंबर 1993 को दिग्गी राजा के नाम से प्रसिद्ध श्री दिग्विजय सिंह ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेते ही एक सप्ताह की अनिश्चता और ऊहापोह के बाद मध्यप्रदेश के जनमानस के चेहरे पर खुशहाली, उत्साह और प्रदेश की प्रगति, समृद्धि और विकास का अनवरत भाव देखा था। जनमानस के मन की भावना बयां कर रही थी कि अब प्रदेश के विकास की गाथा का नया इतिहास बनने जा रहा है। दिग्विजय सिंह देश के पहले ऐसे राजनेता है जो जनभावना की मंशा को दिलोमंजर में उतार कर पर्दे के पीछे से सत्ता हड़पने का कार्य करने वाली भाजपा और ईवीएम मशीन का खुलकर विरोध कर जनता की लड़ाई लड़ रहे हैं।
गांधी परिवार के करीबी रहे दिग्विजयसिंह राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के सूत्रधार भारत की राजनीति में कांग्रेस को एक नया मुकाम दिलाने वाले और मायूस होकर घर बैठ गये कांग्रेस के एक-एक कार्यकर्ता को संघर्ष के लिए तैयार करने वाले ऐसे पहले राजनेता है जिन्होंने सपत्नि पैदल चलकर माँ नमॅदा नदी की परिक्रमा की और जनमानस के दिलों में अपनी जगह बनायी। ऐसे जननायक आज भी विषम राजनैतिक परिस्थियों में समाजवादी सोच का परिचय देते हुये राज्यसभा सांसद के रूप मैं देश और प्रदेश की लोगों की ज्वलंत समस्याओं को उठा रहे है।
पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के साम्प्रदायिकमय वातावरण से व्यथित जन मानस ने राहत की सांस ली, कांग्रेस में हुये मंथन में दिग्विजय सिंह ऐसे तपस्वी शालीन सम्मानित संघर्षशील मर्यादित कर्मशील नये मुख्यमंत्री के रूप में निकले जिन जिन लोगों के नाम मुख्यमंत्री के पद के दावेदारों के रूप में नाम उछले थे, उससे कई अशुभ और अनिष्ठकारी आकांक्षाएं, जन सामान्य और कांग्रेसजनों के मन में उठने लगी थी, उन सबके बीच से दिग्विजय सिंह ऐसे प्रगतिशील अनुभवी और निरापद राजनीति की चयन निश्चित हो शुभ और नये युग की शुरूआत में हुआ।
तत्कालीन मध्यप्रदेश कांग्रेस ने उनसे बेहतर लोकप्रिय जन आस्था और विश्वास के प्रति प्रदेश के सर्वोच्च पद के लिये दिग्विजय सिंह कई मायनों में अनूठे है। चाहे संगठन हो या राजनीति, शासन हो या प्रशासन लंबे और सम्मानपूर्ण अनुभव के बावजूद उनका काम करने का तरीका अनुकरणीय, अद्भुत और दलगत राजनीति से ऊपर ही रहा है। स्पष्ट और वैचारिक और प्रतिबद्धताओं के होते हुये भी उनके संपर्क और सक्रियता का दायरा व्यापक है। वे देश के हर एक कार्यकर्ता को व्यक्तिशः जानने और विराट जनाधारा वाले जननेता है। शिष्टिता और शालीनता उनके सार्वजनिक आचरण का अगं है। व्यक्तिगत खूबियों के चलते विधायक दल की बैठक में सर्वमान्य नेता माना गया। निज परिस्थितियों में दिग्विजय सिंह ने प्रदेश की बागडोर संभाली थी, उनके सामने जबरदस्त चुनोतियां थी। प्रदेश में पूर्ववर्ती भाजपा शासन से मिला संदेह का वातावरण चारों और था। भाजपा ने अपने शासन के दौरान जिस राजनीति को प्रोत्साहन दिया परिणाम स्वरूप प्रदेशवासियों के मन में राजनीतज्ञों के प्रति वितृष्णा और राजनीति मात्र के लिये ऊब किसी भी देशकाल में समाज और राज्य स्वास्थ्य के लिए उपयुक्त नही थी, दिग्विजय सिंह के शपथ लेने के बाद से ही प्रदेश का वातावरण खुशनमा हुआ, नई उमंग, नये दौर की राजनीति का उदय हुआ। उन्होंने अपने दल के सभी विशिष्ट नेताओं से प्रदेश के सर्वागीण विकास के लिये आशीष लिया।
दिग्विजय सिंह में प्रतिद्दंवी को मित्र बनाने की जो शैली थी वह गजब थी। एक पक्षीय उदारता का परिचय देते हुये विपक्ष के तत्कालीन नेता विक्रम वर्मा से राज्य विकास हेतु सहयोग लेने उनके निवास गये और यही से प्रारंभ हुआ सत्ता इतिहास का मधुरतम दौर, सात दिसंबर 1993 को पदभार ग्रहण करने के तत्काल बाद दिग्विजय सिंह ने राज्य सचिवालय में अपनी पहली प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुये प्रदेश के विकास और जनकल्याण के प्रति नई सरकार की नीति कार्यक्रम और अपने दीर्घकालीन अनुभव को स्पष्ठ तरीके से प्रतिपादित किया ,अनुसूचितजाति, जनजाति, पिछड़ावर्ग, अल्पसंख्यक और कमजोर वर्ग की जरूरतों और समस्याओं के प्रति दिग्विजय सिंह की जानकारी लेने समझने और उन्हें हल करने की सर्वथा अनोखी कार्यशैली का परिचय देकर नया संदेश दिया, साम्प्रदायिक सद्दाव की बहाली अनुसूचितजाति, जनजाति, पिछड़ावर्ग, अल्पसंख्यक वर्ग पर अत्याचार ना हो अधिकारियों को इस हेतु सशक्त हिदायतें दी गरीबी रेखा से नीचे जीवयापन करने वालों का जीवन स्तर सुधारा, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी ने जिस ग्राम स्वराज्य राम राज्य की स्थापना इस देश मे कायम करने का सपना देखा था दिग्विजय सिंह ने देश में सबसे पहले उस सपने को साकार किया देश के संचार क्रान्ति के जनक स्व.राजीव गांधी जी को सोच पंचायती राज्य की स्थपना करने वाला पहला राज्य स्थापित करने का यश अजिॅत किया यह एक बुनियादी परिवर्तन का इस परिवर्तन से सुदूर अंचलों और विकास की बाट जोहटे ग्रामीणों को बेहतर जीवन देने के लिये बराबर का भागीदार बनाया एवं समाज के अंतिम छोर के व्यक्ति को प्रथम श्रेणी मे लाये इस व्यवस्था के तहत विकास प्रतिक्रिया को निर्धारित करने का अधिकार पंचायतों और क्रियान्वयन का जिम्मा ग्रामीणवासियों को दिया नेतृत्व करने का अधिकार समाज के अंतिम छोर के व्यक्ति को दिया दिग्विजय सिंह की सरकार ने पंचायत चुनाव की घोषणा थी प्रत्युचरणो का दौर शुरू हुआ था दिग्विजय सिंह अपने फैसलों पर अडिग रहते थे उन्होंने स्वाधीन सत्ता की बढते कदम वापसी नही लिये पंचायत चुनाव से समाज में सदियों से शोषित वर्ग में चेतना का संचार किया अनुसूचितजाति, जनजाति, महिलाओं एवं पिछड़ा वर्ग को निश्चित भागीदारी मिली महिलायें धूंधट से बाहर आई ग्राम पंचायत ही नही कई जिलों में खेतों में काम करने वाली महिलायें और पुरुष समाज के अंतिम छोर के व्यक्ति जिला पंचायत अध्यक्ष के साथ साथ जिला सरकार के प्रमूख बने, एवं नगर पालिकाओं में अध्यक्ष के साथ महा नगरों मे महापौर तक बने, एक समय था जब पंचायतों के पद पुष्तेनी होकर रह गये थे पर दिग्विजय सिंह के इस क्रान्तिकारी फैसले से प्रदेश में समतामूलक समाज की स्थापना हूई गांवों की तस्वीरों मे खुशहाली का रंग भरने लगा भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में सत्ता के विकेंद्रीयकरण का यह फैसला सबसे चमकीला और महत्वपूर्ण था दिग्विजय सिंह के इस निर्णय को राष्ट्रीय ही नही अंतराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया तत्कालीन प्रधान मंत्री श्री इंद्रकुमार गुजराल ने अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रीयों को लिखे पत्र में सुझाव दिये की मध्यप्रदेश में लागू पंचायती राज्य व्यवस्था एक आदर्श व्यवस्था है, जिसको देश के सभी राज्यों में लागू किया जाना चाहिए गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्रियों द्वारा की गई प्रशंसा एवं सफलताएं देखकर पार्टी में चल रही प्रतिक्रिया को स्तबध कर दिया आप आपने पहले कार्यकाल में पंचायती राज्य के आलावा प्रदेश के संवागीॅण विकास की दिशा में झुग्गीवासियों के अंधकार को जीवन में रोशनी लाने की एक बत्ती कनेक्शन निःशुल्क दिये गये व 31 मई 1998 तक काबिज जनों को जमीन के पटटे राजीव गांधी आश्रय योजना बनाकर दिये पटटे धारियों को स्वामित्व सौपा, किसनों के जीवन को खुशहाल बनाने रे लिये पाँच हास पावर के विधुत कनेक्शन निशुल्क दिये दिग्विजय सिंह ने पिछड़ा वर्ग को 14 प्रतिशत आरक्षण को बढाते हुये 27 प्रतिशत आरक्षण देने का ऐतिहासिक कदम उठाया, दलित वर्ग को दलित एजेंडा लागू कर दलित वर्ग का जीवन स्तर सुधारा, आपने कार्यकाल में भी ग्रामीण जीवन को महत्वपूर्ण समस्याओं अविवाहित नामांतरण और बंटवारे के मामले निपटाने का अधिकार ग्राम पंचायतों को दिया, महिलाओं का सशक्तिकरण किया, जल रोको अभियान की शुरूआत की कृषि नीति आदिवासी विकास परियोजनाओं अल्पसंख्यक उत्थान विकास के अभूतपूर्व निर्णय लिये गये ऐसे है हर दिल अजिज दिग्विजय सिंह।