उदयपुर होटल उद्योग ने ‘यात्री कर’ को बताया आत्मघाती कदम – उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी को भेजा विरोध-पत्र
नगर निगम के प्रस्ताव के खिलाफ एकजुट हुआ पर्यटन उद्योग, उपमुख्यमंत्री, मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव तक पहुंचाई बात
उदयपुर । शहर में नगरनिगम द्वारा प्रस्तावित ‘यात्री कर’ को लेकर पर्यटन और होटल उद्योग में उबाल है। होटल एसोसिएशन, उदयपुर ने आज उपमुख्यमंत्री एवं पर्यटन मंत्री दीया कुमारी को एक सशक्त पत्र प्रेषित कर गैजेट नोटिफिकेशन द्वारा प्रस्तावित यात्री कर का कड़ा विरोध जताया है और इसे तत्काल निरस्त करने की मांग की है। इस पत्र की प्रतिलिपि मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, प्रमुख पर्यटन सचिव, संभागीय आयुक्त और ज़िला कलेक्टर को भी भेजी गई है।
होटल एसोसिएशन के उपाध्यक्ष यशवर्धन राणावत ने इस पत्र में कहा है कि यह एकतरफा निर्णय न केवल उद्योग के साथ विश्वासघात है, बल्कि राजस्थान को एक निवेश-अनुकूल और पर्यटक-प्रिय गंतव्य के रूप में स्थापित करने के वर्षों के प्रयासों को भी कमजोर करता है।
छह प्रमुख बिंदुओं में दी आपत्ति
राणावत ने पत्र में 6 ठोस कारण गिनाते हुए बताया कि यह कर क्यों आत्मघाती सिद्ध हो सकता है:
1. बिना परामर्श के लिया गया निर्णय – न तो होटल एसोसिएशन, न ही पर्यटन विभाग या किसी हितधारक से विचार-विमर्श किया गया।
2. सिर्फ उदयपुर को निशाना बनाना अन्यायपूर्ण – जबकि राज्य के अन्य किसी शहर में ऐसा कर नहीं है।
3. व्यवसाय पर प्रशासनिक बोझ – यह ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस’ के विपरीत है और लाइसेंस राज को पुनर्जीवित करता है।
4. पर्यटकों पर अतिरिक्त आर्थिक दबाव – इससे उदयपुर एक महंगे गंतव्य के रूप में सामने आएगा और पर्यटन गिर सकता है।
5. नगर निगम की प्राथमिकताओं में भ्रम – पहले से ही कई शुल्कों का भुगतान कर रहा होटल क्षेत्र अब और दबाव में आएगा।
6. लंबित 10 वर्षीय लाइसेंस नीति का क्रियान्वयन न होना – इस पर भी पूर्व में दो बार उपमुख्यमंत्री से मुलाकात व पत्राचार हो चुका है। लेकिन नगरनिगम ने अभी तक क्रियांवन नहीं किया है ।
“यह साझेदारी टूट सकती है”
एसोसिएशन ने साफ चेताया कि यदि यह निर्णय लागू होता है, तो यह पर्यटन उद्योग और सरकार के बीच की साझेदारी में दरार ला सकता है। उन्होंने मांग की कि अधिसूचना को तत्काल निरस्त किया जाए, नगर निगम को परामर्श के बिना ऐसे कदम उठाने से रोका जाए, और लंबे समय से लंबित 10 वर्षीय लाइसेंस प्रणाली को तुरंत लागू किया जाए। मुद्दे पर सभी होटल व्यवसायी और पर्यटन हितधारक एकमत हैं ।
संयुक्त रणनीति की तैयारी
सूत्रों के अनुसार, यदि सरकार इस पत्र पर शीघ्र कार्रवाई नहीं करती, तो पर्यटन और होटल उद्योग राज्यभर में व्यापक आंदोलन की रणनीति पर विचार कर सकता है।
अब देखना यह है कि सरकार इस सशक्त और एकमत विरोध को कितनी गंभीरता से लेती है और पर्यटन हित में क्या ठोस निर्णय लेती है।