प्रदेश के कला और संगीत को सहेजेगा उदयपुर का संगीत संग्रहालय — मुकेश माधवानी
उदयपुर। राजस्थान सरकार के आगामी बजट को लेकर उदयपुरवासियों की उम्मीदें बढ़ गई हैं। वित्तमंत्री एवं उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी द्वारा पेश किए जा रहे इस बजट में उदयपुर के लिए संगीत संग्रहालय की मांग उठाई गई है।
सुरों की मंडली, रंगमंच और लफ्जों की महफिल के संस्थापक अध्यक्ष मुकेश माधवानी ( राजस्थान लाईन प्रोडूसर)ने कहा कि शहर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को देखते हुए यहां एक संगीत संग्रहालय की आवश्यकता है, जो देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों को आकर्षित करेगा। साथ ही, यह देश-प्रदेश की कला और संगीत को सहेजने का भी काम करेगा।
उन्होंने बताया कि इसे लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी, पर्यटन विभाग जयपुर, वित्त विभाग जयपुर , जिला कलेक्टर उदयपुर, पर्यटन विभाग उदयपुर, सचिव नगर विकास प्रन्यास को पत्र लिखकर उदयपुर की इस मांग को पूरा करने का अनुरोध किया है।
साथ ही, उदयपुर सांसद मन्नालाल रावत, शहर विधायक ताराचंद जैन, ग्रामीण विधायक फूलसिंह मीणा सहित अन्य जनप्रतिनिधियों ने भी मांग का समर्थन किया है।
संगीत संग्रहालय क्यों जरूरी है?
मुकेश माधवानी ने बताया कि उदयपुर की पहचान सिर्फ झीलों और महलों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह संगीत और कला की भी धरोहर रहा है। यहाँ के लोक कलाकार और संगीत परंपराएँ पूरे देश में प्रसिद्ध हैं। लेकिन आज तक इस कला को संरक्षित और प्रदर्शित करने के लिए कोई विशेष स्थान नहीं है।
संग्रहालय की विशेषताएँ
1. संगीत वाद्ययंत्रों की प्रदर्शनी – पारंपरिक और आधुनिक वाद्ययंत्रों का संग्रह होगा, जिसे पर्यटक देख और अनुभव कर सकेंगे।
2. संगीत पुस्तकालय और शोध केंद्र – दुर्लभ किताबें, रिकॉर्डिंग्स और डिजिटल आर्काइव उपलब्ध होंगे।
3. डिजिटल संगीत अनुभव – वर्चुअल और ऑगमेंटेड रियलिटी के जरिए
भारतीय संगीत की प्रस्तुति होगी।
4. कार्यशालाएँ और लाइव परफॉर्मेंस – स्थानीय और राष्ट्रीय कलाकारों के कार्यक्रम होंगे, साथ ही संगीत सिखाने के लिए ट्रेनिंग सेशन्स और वर्कशॉप भी आयोजित किए जाएंगे।
5. सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा – हर साल संगीत महोत्सव का आयोजन होगा, जिससे लोक कलाकारों को अधिक मंच और रोजगार के अवसर मिलेंगे। इससे क्या लाभ होगा? उदयपुर को एक नया सांस्कृतिक पर्यटन स्थल मिलेगा। संगीत प्रेमियों, शोधकर्ताओं और पर्यटकों के लिए आकर्षण बढ़ेगा। लोक कलाकारों को नई पहचान और आर्थिक सहयोग मिलेगा। शहर की सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने में मदद मिलेगी। भूमि की आवश्यकता इस परियोजना के लिए 50,000 वर्गफीट भूमि की जरूरत होगी, जहाँ संग्रहालय भवन, प्रदर्शनी हॉल, पुस्तकालय, ओपन एरिया और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए स्थान होगा।
फिल्म सिटी और बेकरी नगर की मांग दोहराई
शहर के व्यवसायियों और नागरिकों ने बेकरी नगर और फिल्म सिटी की स्थापना की मांग भी रखी है। व्यापारियों का कहना है कि बेकरी नगर की स्थापना से स्थानीय कारीगरों को एक संगठित मंच मिलेगा और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।
वहीं, फिल्म निर्माताओं और कलाकारों का मानना है कि उदयपुर की प्राकृतिक खूबसूरती और ऐतिहासिक धरोहर को देखते हुए यहां फिल्म सिटी की स्थापना से पर्यटन और रोजगार को बढ़ावा मिलेगा।
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