जीवन का निर्वाह ही नहीं अपितु निर्माण भी करना होगा- साध्वी डॉ.बिंदुप्रभा
नागौर । जयमल जैन पौषधशाला में जयमल जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में शनिवार को प्रवचन सभा को संबोधित करते हुए साध्वी डॉ.बिंदुप्रभा ने कहा कि संसार में हर पल हर क्षण अनेक मनुष्यों का जन्म एवं मरण होता रहता है। जन्म और मरण के बीच का काल जीवन कहलाता है। जीवन तो हर व्यक्ति जीता है लेकिन जीने के तरीके में बहुत अंतर होता है। जीवन जीने की कला जानने वाला मनुष्य ही इस अमूल्य जीवन का सदुपयोग करते हुए उसे सार्थक बना सकता है। जीवन को वन नहीं अपितु उपवन बनाना चाहिए। जो हमेशा हरा भरा एवं कुशाल रहता है। यह मनुष्य जन्म उस उपजाऊ भूमि की तरह है जहां धर्म का बीज बोने पर सद्गुण रूपी फल की प्राप्ति हो सकती है। साध्वी ने कहा कि मनुष्य जन्म का लक्ष्य मात्र जीवन को बिताते हुए निर्वाह करने का ही नहीं होना चाहिए अपितु इस जीवन का निर्माण किस प्रकार किया जा सकता है उस पर भी चिंतन करना चाहिए। जीवन का निर्वाह तो संसार का प्रत्येक प्राणी करता है लेकिन कुछ विरले ही साधक जीवन का निर्माण कर पाते हैं। जिस प्रकार जीवन के निर्वाह के लिए रोटी, कपड़ा, मकान आवश्यक है उसी प्रकार जीवन के निर्माण के लिए ज्ञान, दर्शन, चरित्र का आराधन जरूरी है। मात्र आजीविका पर ही ध्यान ना केंद्रित करते हुए आत्म कल्याण हेतु भी सतत चिंतन करना चाहिए। मनुष्य जन्म धर्म आराधना करने के लिए ही प्राप्त हुआ है। जिनवाणी का श्रवण करने से ही व्यक्ति कल्याण का मार्ग जान सकता है। श्रवण से ही ज्ञान की प्राप्ति होती है और उसी सम्यक ज्ञान से जीवन का निर्माण हो सकता है।
विजेता पुरस्कृत
मंच का संचालन संजय पींचा ने किया। प्रवचन में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर हरकचंद ललवानी, प्रेमलता ललवानी, अवनी ललवानी एवं के.रेखा सुराणा ने दिए। दोपहर 2 बजे से 3 बजे तक महाचमत्कारिक जयमल जाप का अनुष्ठान किया गया। प्रवचन की प्रभावना, जय जाप की प्रभावना एवं प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत करने के लाभार्थी उमरावदेवी, मेघराज, सुभाष चौरड़िया परिवार रहें। आगंतुकों के भोजन का लाभ महावीरचंद, पारस भूरट परिवार ने लिया। इस मौके पर सुशीला नाहटा, रेखा मोदी, शारदा ललवानी, सुशीलादेवी चौरड़िया सहित अन्य श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित रहें।