भाव के बिना क्रिया निष्फल होती हैं- साध्वी डॉ.बिंदुप्रभा
जयमल जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में आयोजन
नागौर । जयमल जैन पौषधशाला में रविवार को प्रवचन सभा को संबोधित करते हुए साध्वी डॉ.बिंदुप्रभा ने कहा कि मोक्ष के चार द्वार होते हैं – दान, शील, तप, भावना। जैन धर्म भावना प्रधान धर्म है। जिस प्रकार पहियों में हवा के बिना गाड़ी चल नहीं सकती। उसी प्रकार भाव के बिना मोक्ष की यात्रा संभव नहीं है। शुद्ध भाव ही निर्वाण की नींव है। जिस प्रकार पति के बिना नारी का एवं राजा के बिना सेना का कोई महत्व नहीं होता। उसी प्रकार भाव के बिना की गई क्रिया निष्फल एवं व्यर्थ होती है। एक ही क्रिया किए जाने पर भी भावों में अंतर होने से उसके परिणाम में भी अंतर आता है। द्रव्य हिंसा से भी ज्यादा भाव हिंसा नुकसानदायक होती है। मात्र बाहरी क्रिया से किसी व्यक्ति की पहचान नहीं की जा सकती है। द्रव्य से मजबूरी के वश पाप करना भी पडे तो भी भाव से निर्लिप्तता होनी चाहिए। भाव से ही व्यक्ति की पहचान होती है। भावना से ही भवों का नाश होता है । भाव धर्म क्रिया के लिए टॉनिक है। दान, तप ,जाप, सामायिक आदि धर्म आराधना भाव से की जानी चाहिए। द्रव्य ही भाव में सहायक बनता है। दान देते समय द्रव्य, पात्र एवं भाव तीनों की शुद्धि होनी चाहिए। जिसकी जैसी भावना होगी उसे वैसा ही फल प्राप्त होगा। मोक्ष प्राप्ति करना कोई कठिन नहीं है। मात्र भावों में उत्कृष्टता लाने की जरूरत है। जिस प्रकार एक व्यापारी कमाई की ओर ध्यान देता है। उसी प्रकार हर धर्म क्रिया के परिणाम पर चिंतन करते हुए कार्य करना चाहिए। जिस प्रकार बूंद बूंद से पत्थर में भी छेद किया जा सकता है। उसी प्रकार भावना से भी कर्मों के वृंद के वृंद काटे जा सकते हैं ।
प्रतियोगिता के परिणाम घोषित
मंच का संचालन संजय पींचा ने किया। मंजूदेवी सुराणा के जन्मदिन के उपलक्ष्य में प्रवचन की प्रभावना, जय जाप की प्रभावना एवं प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत करने के लाभार्थी धनराज, मनोज, अशोक, पवन सुराणा परिवार रहें। प्रवचन में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर हरकचंद ललवानी, कल्पना ललवानी, परम ललवानी एवं चांदनी सुराणा ने दिए। गत रविवार को हुई धार्मिक प्रतियोगिता में प्रथम- प्रेमलता ललवानी, द्वितीय- चित्रलेखा जैन एवं तृतीय- लवीना नाहर रहीं। महावीर जन्म-कल्याणक महोत्सव पर आयोजित हुई प्रतियोगिता में प्रथम- संगीता ललवानी, द्वितीय- पुष्पादेवी बांठिया एवं तृतीय- भावना बोथरा रहीं। दोनों प्रतियोगिता के विजेताओं को धनराज, प्रमोद ललवानी परिवार नागौर हाल-मुकाम चेन्नई द्वारा पुरस्कृत किया गया। आगंतुकों के भोजन का लाभ महावीरचंद, पारस भूरट परिवार ने लिया। इस मौके पर महेंद्र कांकरिया, पंकज मोदी, ललित मुणोत, पार्षद दीपक सैनी सहित अन्य श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित रहें।