चावंड मे 48 दिवसीय भक्तामर विधान महाआराधना शुरू
उदयपुर । सराडा उपखंड के चावंड में श्री आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में दिगंबर जैन मुनि विकसंत सागर महाराज ,मुनि आचार सागर महाराज, क्षुल्लिका सुंदरमति माताजी के सानिध्य में बुधवार प्रातः श्रीजी का अभिषेक, शांतिधारा पश्चात 48 दिवसीय भक्तामर विधान महाआराधना का शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम के प्रारंभ में आचार्य विराग सागरजी महाराज के चित्र का अनावरण किया गया । प्रवक्ता अनिल स्वर्णकार ने बताया कि इस अवसर पर भक्तामर मंगल कलश की स्थापना कचरूलाल सलावत, पन्नालाल वकावत, ख्यालीलाल देवड़ा, राजेन्द्र खलुडिया, भगवतीलाल गिरीश आमेटा ने की। मंगलाचरण बालब्रह्मचारीनी देशना दीदी ने किया । धर्मसभा में मुनि विकसंत सागर महाराज ने कहा कि आचार्य मानतुंग स्वामी ने भक्तामर स्त्रोत की रचना की । भक्तामर स्त्रोत प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ की स्तुति है । श्रद्धा भाव से किया गया भक्तामर स्त्रोत का पाठ सुख शांति प्रदान करता है। जीवन की जटिलताओं को सहज बनाता है। पापों से मुक्त कराकर पुण्य मार्ग की ओर अग्रसर करता है। यदि किसी के जीवन में कोई संकट है तो भक्तामर स्त्रोत का पाठ चमत्कारी परिणाम दे सकता है। यह एकमात्र ऐसा स्त्रोत है जिसके 130 से अधिक बार विभिन्न भाषाओं में अनुवाद हो चुके हैं भक्तामर स्त्रोत व्याधि रोग शोक निवारक सुख शांति समृद्धि प्रदायक रचना है भक्तामर स्त्रोत के 48 काव्य के पाठ से हीलिंग चिकित्सा से कई व्यक्ति रोगों से मुक्त हो चुके हैं।