पुण्यानुबन्धी पुण्य मोक्ष की यात्रा में सहायक – डॉ. मुनि पदमचन्द्र
जोधपुर/मुदित पींचा । जयगच्छाधिपति जैनाचार्य पार्श्वचन्द्र महाराज साहेब के मांगलिक से श्रद्धालुगण मंत्रमुग्ध हो गए। चौरडिया भवन के परिसर में चल रहे ऐतिहासिक चातुमास में प्रवचन सभा को सम्बोधित करते हुए डॉ. मुनि श्री पदमचन्द्र महाराज साहेब ने कहा कि दया रूपी रणभेरी बज चुकी है, मोक्ष को प्राप्त करना हो तो जागृत होना पड़ेगा। जागरणा तीन प्रकार की है – अधर्म, धर्म और सुदर्शन जागरणा। यदि मोह-माया में फँसे रहेंगे, आसक्ति में डूबे रहेंगे, पाप से डरते नहीं तो समझना अधर्म जागरणा है। साधक को अधर्म का त्याग कर सुदर्शन और धर्म की ओर आगे बढ़ना चाहिए। आचार्य सम्राट जयमल महाराज साहेब द्वारा रचित 250 काव्य रचनाओं पर प्रकाश डालते हुए डॉ. मुनि श्री ने कहा कि जैनागम के सार गर्भित एवं गूढ अर्थों से परिपूर्ण ये काव्य रचनाएँ जन-जन के आध्यात्मिक विकास की ओर कदम बढ़ाने में सहायक है। उन्हीं काव्य रचनाओं में से एक है ‘पुण्य छत्तीसी’। जो भवी जीव है वह सम्यक्त्व का स्पर्श करने के बाद अधिक से अधिक देशोन अर्द्ध पुदगल परावर्तन जितने काल में मोक्ष तो जायेगा। परन्तु इस काल में अनन्त अवसर्पिणीएँ एवं उत्सर्पिणिएँ बीत जाती है। इसलिए कर्म क्षय करने का, पाप कर्म को खपाने का सतत पुरुषार्थ करते रहना चाहिए। प्रवचन की श्रृंखला में साध्वी शुभमप्रभा ने चंचल मन को निग्रहित करने के लिए प्रेरणा दी। जिनवाणी श्रवण करते हुए अपने अन्तर में उतारेंगे तो आत्मा का उत्थान सम्भव है। क्रिया भवन संघ के सचिव उम्मेद राज रांका, अनिल मेहता आदि श्रावकगण आचार्य श्री के समक्ष 1 अगस्त को जैनाचार्य गुणरत्नसूरीश्वर जी महाराज के प्रथम पुण्यतिथि के कार्यक्रम में पधारने की विनंति की। ललिता मेहता ने संचालन किया। श्री अ. भा. श्वे. स्था. जयमल जैन श्रावक संघ के उपाध्यक्ष देवराज बोहरा ने उक्त जानकारी देते हुए कहा कि दिनांक 30 जुलाई 2021 को जयगच्छीय नवम पट्टधर आचार्य जीतमल महाराज साहेब का 112वाँ जन्म दिवस 112 सामूहिक एकासन द्वारा मनाया जाएगा।