Padmavat Media
ताजा खबर
टॉप न्यूज़देश

लंपी वायरसः राजस्थान में अचानक इतनी गायों की मौत क्यों हो रही है?

लंपी वायरसः राजस्थान में अचानक इतनी गायों की मौत क्यों हो रही है?

कोरोना वायरस ने जिस तरह इंसानों पर कहर बरपाया था. ठीक उसी तरह इन दिनों लंपी वायरस पशुओं पर कहर बरपा रहा है.

लंपी वायरस से राजस्थान में अब तक एक लाख बीस हज़ार 782 पशु संक्रमित हैं और इनमें 5,807 जानवरों की मौत हो चुकी है, यह सरकारी आँकड़े हैं और कहा जा रहा है कि वास्तविक नुकसान इससे कहीं ज़्यादा हो सकता है.

लंपी वायरस से सर्वाधिक 90 फीसदी तक गाय संक्रमित हैं और गायों की ही सर्वाधिक मौत हुई है.

कोरोना काल में हुई मौत और संक्रमण दर के सरकारी आँकड़ों को कमतर दिखाने के आरोप लगे थे, लंपी वायरस से पशुओं की मौत के सरकारी आंकड़ों पर भी सवाल उठ रहे हैं.

क्या है लंपी वायरस

स्टेट डिजीज़ डायग्नोस्टिक सेंटर वैटरनिटी के ज्वाइंट डायरेक्टर डॉ रवि इसरानी ने बीबीसी से फ़ोन पर बातचीत में बताया कि लंपी वायरस कैप्रिपॉक्स फैमिली का वायरस है. गोट पॉक्स और शिप पॉक्स की तरह ही कैटल (पशु) में यह लंपी स्किन डिज़ीज़ के नाम से बीमारी फैला रहा है.

जोधपुर संभाग में पशुओं में बढ़ती इस बीमारी को देखते हुए डॉ इसरानी को जयपुर से फ़िलहाल जोधपुर भेजा गया है.

डॉ इसरानी ने कहा, “इस बीमारी से पशु के शरीर पर गाँठें बन जाती हैं और जब मक्खी-मच्छर जब इस पर बैठते हैं, तो यही इस बीमारी को अन्य स्वस्थ पशुओं में ट्रांसफ़र कर देते हैं.”

लंपी वायरस से इस समय राजस्थान में सबसे अधिक प्रभावित बाड़मेर ज़िला है. बाड़मेर ग्रामीण में मुंडो की ढांणी के प्रताप सिंह ने बीबीसी से बात करते हुए बताया कि उनके पास छह गाय हैं जिनमें से एक की इस बीमारी से मौत हो गई है. अन्य तीन गंभीर स्थिति में है.

नारायण सिंह का कहना है, “गाय के सबसे पहले आगे के पैरों पर फोड़े हुए और फिर गर्दन और बाकी शरीर पर फैल गए. गाय का चलना फिरना बंद हो गया और मुंह से तरल पदार्थ बहने लगा. गाय ने खाना बंद कर दिया और दूध भी देना बंद कर दिया.”

डॉ रवि इसरानी ने बताया, “जहां भी पोस्टमॉर्टम करने की नौबत आई है तो देखा गया है कि बीमारी के ज़्यादा बढ़ने पर पशु की आँतों, फेफड़ों तक में फैल जाती है.”

पशुओं के सैंपल लेकर भोपाल, आईवीआरआई, नेश्नल रिसर्च सेंटर ऑन इनक्वाइनस हिसार भेजे गए थे. जहां से लंपी स्किन की पुष्टि हो गई है.

16 ज़िलों में एक लाख पशु संक्रमित
राजस्थान में लंपी वायरस बीते तक़रीबन 10 दिन में बेहद तेज़ी से पशुओं में फैला है. पश्चिमी राजस्थान के 16 ज़िलों में ही एक लाख पशु इस बीमारी से जूझ रहे हैं, अधिकतर गायों में ही इस वायरस का प्रभाव देखने को मिला है.

हाल ही में इस बीमारी को लेकर सरकार और प्रशासन ने रोकथाम के लिए प्रयास शुरू किए हैं. इससे पहले ही हज़ारों पशुओं की मौत की ख़बरें सामने आ चुकी हैं.

राजस्थान पशुपालन विभाग से जारी आंकड़ों पर नज़र डालें तो सरहदी ज़िला बाड़मेर सबसे ज़्यादा प्रभावित है. यहां चार अगस्त की सुबह तक 16,247 पशु इस लंपी बीमारी के शिकार हैं. जबकि, 1307 पशुओं की मौत हो चुकी है.

बाड़मेर के बाद श्रीगंगानगर, जोधपुर, बीकानेर में अन्य प्रभावित ज़िलों के मुकाबले सर्वाधित पशुओं की मौत हुई है.

राज्य में जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर, जालौर, पाली, सिरोही, बीकानेर, चूरु, गंगानगर, हनुमानगढ़, अजमेर, नागौर, सीकर, झुंझुनू और उदयपुर में इस बीमारी से पशुओं की मौत और संक्रमण तेज़ी से फैल रहा है.

सरकारी आंकड़ों के अनुसार 282 पशु जयपुर में लंपी से बीमार हैं जबकि 9 की मौत हुई है.

लंपी के बढ़ते मामलों को देखते हुए राज्य के अन्य ज़िलों में भी प्रशासन को निर्देशित किया गया है. पशु चिकित्सकों की भी तैनाती की गई है.

गायों में लंपी का सर्वाधिक प्रभाव

पश्चिमी राजस्थान के ज़िलों के बाद अब जयपुर में भी लंपी के मामले सामने आए हैं. हाल ही में जयपुर की हिंगोनिया गौशाला में भी गायों में लंपी बीमारी के मामले मिले हैं.

राज्य में लंपी सेमरने वाले पशुओं में सबसे ज़्यादा मौत गायों की हुई और गायों पर ही लंपी का 90 फीसदी तक प्रभाव देखने को मिल रहा है.

डॉ रवि इसरानी ने बताया है, “भैंसों में बेहद कम मामले हैं. हमने जहां भी देखा वहां सबसे ज़्यादा गायों के मामले सामने आ रहे हैं.”

उन्होंने कहा, “गायों में भी जो क्रॉस ब्रीड नस्ल की गाय हैं, उन्में इस बीमारी का सबसे ज़्यादा प्रभाव देखने को मिल रहा है. देसी गायों में इस बीमारी का कम प्रभाव देखने को मिल रहा है.”

बाड़मेर ग्रामीण पंचायत समिति के सदस्य हेमराज पुरोहित ने बीबीसी से फ़ोन पर बातचीत में कहा, “बीते दस दिन से ज़्यादा ही मामले सामने आ रहे हैं. सबसे ज़्यादा यह बीमारी गायों में देखने को मिल रही है. हमारी पंचायत समिति के भी बहुत से गांवों में गायों की मौत हो गई है.”

उन्होंने कहा, “हमने ज़िला प्रशासन को इस संबंध में ज्ञापन भी दिए थे. बीते कुछ दिन से पशु चिकित्सक भी आ रहे हैं. बीमार पशुओं को इंजेक्शन लगाए जा रहे हैं. लेकिन, बीमारी तेज़ी से फैल रही है.”

पशुपालन विभाग की ओर से जारी आंकड़ों में लंपी से बीमार पशुओं और मौत के आंकड़े बताए जा रहे हैं. लेकिन, भैंस या गाय की सही संख्या नहीं बताई जा रही है. हालांकि, विभाग के ही एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि, सबसे ज़्यादा गायों में ही यह बीमारी हुई है और मरने वाले पशुओं में सर्वाधिक संख्या गायों की है.

प्रशासन के देरी से प्रयास

राजस्थान में लंपी बीमारी का प्रभाव जैसलमेर और बाड़मेर के कुछ हिस्सों में क़रीब एक महीना पहले ही देखा जाने लगा था. सोशल मीडिया पर भी लोगों ने बीमार पशुओं की तस्वीरों के साथ प्रशासन से इलाज की गुहार लगाई थी.

जैसलमेर के बाद बाड़मेर, जोधपुर, जालौर, सिरोही समेत अन्य ज़िलों में तेज़ी से लंपी बीमारी फैलती गई. लेकिन, बीते एक सप्ताह में ही सरकार और प्रशासन की ओर से मीटिंगों के बाद लंपी की रोकथाम के प्रयास शुरु किए गए हैं.

बाड़मेर ग्रामीण पंचायत समिति के पुरोहितों की ढांणी के नारायण सिंह ने बीबीसी से बातचीत में कहा, “हम तीन भाई हैं और तीनों के मिलाकर 25 गाय हैं. हमारी गायों के बीमार होते ही हमने चार हज़ार तक की दवाइयां ख़रीद कर इलाज करवाया. लेकिन, आराम नहीं मिला.”

राजस्थान की मुख्य सचिव ऊषा शर्मा ने सभी कलेक्टर्स के साथ मीटिंग कर निर्देश दिए. पशुपालन विभाग के मंत्री लालचंद कटारिया ने भी बीते दिन अधिकारियों की बैठक में लंपी पर चर्चा की.

बीमारी की रोकथाम के लिए अधिक प्रभावित ज़िलों में अन्य ज़िलों से पशु चिकित्सकों को तैनात किया गया है.

लंपी की रोकथाम के लिए उपयोगी दवाइयों की ख़रीद के लिए प्रभावित ज़िलों को बारह लाग रुपए तक का बजट जारी किया गया है.

पशु चिकित्सक बीमार पशुओं की देखरेख और इलाज कर रहे हैं. ज़िला स्तर पर टीमें बना कर पशुओं का सर्वे भी करवाया जा रहा है. इन सबके बीच गायों की मौत की लगातार ख़बरें आ रही है.

ज्वाइंट डायरेक्टर वैटरनिटी डॉ रवि इसरानी ने कहा, “लंपी का अभी कोई इलाज नहीं है. लेकिन, हम बीमार पशुओं को गोट पॉक्स के टीके लगा रहे हैं. इससे पशुओं की बीमारी में सुधार भी देखा जा रहा है.”

लोगों को परिवार पालने की चिंता

राजस्थान की सीमा से सटे गुजरात के इलाक़ों से भी लगातार लंपी बीमारी से पशुओं की मौत की ख़बरें आ रही हैं. लेकिन, पश्चिमी राजस्थान में बड़ी संख्या में पशुपालक हैं, जिनके परिवार का पालन दूध बेच कर ही होता है.

लंपी बीमारी के चलते दुधारू पशुओं के दूध की बिक्री तक प्रभावित हो गई है. बीमार पशुओं के दूध को उपयोग में नहीं लिया जा रहा है. ऐसे में पशुपालकों को पशुओं की मौत का डर और परिवार पालने की भी चिंता सता रही है.

पश्चिमी राजस्थान में अधिक बारिश होने को भी लंपी के तेज़ी से फैलने का एक कारण माना जा रहा है.

डॉ रवि इसरानी ने बताया कि लंपी से बीमार किसी पशु से मक्खी और मच्छर इस बीमारी को अन्य पशुओं में ट्रांसफ़र कर रहे हैं और अधिक बारिश होने से मच्छर-मक्खियां भी बढ़ गए हैं.

अब तक अधिकतर पशु गौशालाओं में लंपी से बीमार मिल रहे हैं. गौशालाओं में ही पशुओं की अधिक मौत भी हो रही हैं.

लंपी से बीमार पशु को आइसोलेट नहीं करने के कारण भी अन्य पशुओं में तेज़ी से बीमारी फैल रही है. ऐसे में अब प्रशासन के लिए राज्य की 3522 गौशालाओं में छोटे बड़े सभी मिलाकर 11 लाख 72 हज़ार और 122 पशुओं को बीमारी से बचाना एक बड़ी चुनौती बन गया है.

गुजरात में भी बुरा हाल
पड़ोसी राज्य गुजरात के कच्छ समेत कई ज़िलों में भी लम्पी वायरस से कई जानवरों की मौत हो रही है. बीबीसी संवाददाता सागर पटेल ने लम्पी वायरस की समस्या से जूझ रहे कच्छ जिले के गांवों का दौरा कर स्थिति की गंभीरता का जायजा लिया है.

एक स्थानीय निवासी ने लम्पी वायरस फैलने और प्रशासन की निष्क्रियता के बारे में बात करते हुए बीबीसी को बताया, ”हर दिन 30-40 गायों की मौत हो रही है. स्थिति यह है कि बीमारी को ठीक करने और रोकने के उपाय नहीं किए गए हैं. साथ ही मृत गायों के शवों से भी किसान ख़ुद ही निपट रहे हैं.”

सर्व समाज सेना कच्छ प्रदेश के अध्यक्ष योगेशभाई पोकर पिछले कई हफ्तों से गायों के शवों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं. बीबीसी गुजराती से बातचीत में उन्होंने कहा, ”पिछले 10-15 दिनों से जिले के कई गांवों में गोवंश के कई शव सड़कों पर पड़े हैं. अधिकारी केवल आइसोलेशन सेंटर का दौरा कर, घोषणाएं कर गांधीनगर लौट रहे हैं.”

सरकार दावा कर रही है कि उसने वायरस के निदान और उपचार के लिए प्रत्येक ज़िले में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की टीमों को तैनात किया है. इससे पहले, राज्य के कृषि मंत्री राघवजी पटेल ने संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि राज्य भर के 1,935 गांवों में यह वायरस पाया गया है.

कृषि मंत्री ने यह भी कहा कि राज्य में विभिन्न टीमों का गठन किया जा रहा है और प्रत्येक ज़िले में कलेक्टर के नेतृत्व में इसकी निगरानी की जा रही है. गुजरात सरकार के आंकड़ों के मुताबिक राज्य में लम्पी वायरस से 1400 से अधिक मवेशियों की मौत हो चुकी है. हालांकि, अनौपचारिक रिपोर्टों का अनुमान है कि ये आंकड़ो कई गुना अधिक है.

Related posts

निशुल्क दवा योजना में लगे हेल्पर 12 वर्ष बाद 6500 पर कार्य करने को मजबूर,सरकार ने नही की कोई पहल

Padmavat Media

विश्व रक्तदाता दिवस और शादी की सालगिराह के उपलक्ष में 45 वी बार किया रक्तदान

Padmavat Media

एन्टी करप्शन एंड क्राइम कंट्रोल कमिटी में सूचना प्रकोष्ठ के सदस्य बने ईश्वर लाल सुथार

Padmavat Media
error: Content is protected !!