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हर कन्ट्री चाहती है कि हम बेहतर बने लेकिन, वो कभी नहीं चाहते कि आप उनसे बेहतर बने..!

Reported By : Padmavat Media
Published : March 22, 2024 10:50 AM IST

हर कन्ट्री चाहती है कि हम बेहतर बने लेकिन, वो कभी नहीं चाहते कि आप उनसे बेहतर बने..!

हमारा देश – दुनिया का सबसे अच्छा देश बन सकता है लेकिन अभी है नहीं। यदि हमने मान लिया कि सबसे अच्छा देश भारत है, तो और अच्छे बनने की सम्भावना खत्म हो जायेगी। यदि बीज सोच ले कि मैं ही वृक्ष हूं, तो बीज कभी वृक्ष नहीं बन पायेगा,, या बूंद सोच ले कि मैं ही सागर हूं, तो बूंद कभी सागर नहीं बन पायेगी।

हमने बचपन में सुना था कि भारत सोने की चिड़िया है – हमने बहुत खोज बीन की, हमें भारत कहीं से कहीं तक सोने की चिड़िया नहीं दिखा, ना आज है। आज भारत जितना समृद्ध है, इतना समृद्ध पहले कभी नहीं था। क्योंकि समृद्धि का एक लक्षण होता है – जैसे ही देश समृद्ध होता है, उसकी जन संख्या बढ़नी शुरू हो जाती है। भारत की जन संख्या हजारों साल पहले रूकी हुई थी, जन संख्या बढ़ती नहीं थी, क्योंकि बच्चा पैदा होते और मर जाते थे। दस बच्चे में सात बच्चे मर जाते थे, अमीर के दस बच्चों में एक बच्चा मरता था। देश समृद्ध होगा तो दस बच्चों में हम एक भी बच्चे को मरने नहीं देंगे। आज हमारे बच्चे एकदम से नहीं मरते – हालांकि जीते हैं वो मरे-मरे लेकिन एकदम से नहीं मरते। आज समृद्धि इतनी बढ़ गई कि मर-मर कर जीयेंगे पर एक बार में नहीं मरेंगे, बल्कि दिन में दस-बीस बार मरेंगे। दुर्भाग्य कहो इस देश और सदी का।

आज देश – शिक्षा के क्षेत्र में बहुत आगे बढ़ रहा है, लेकिन संस्कार और सत्संग के क्षेत्र में चारित्रिक पतन तेजी से बढ़ रहा है,, जो आने वाले घर परिवार, समाज और देश के लिए घातक सिद्ध होगा…!!!

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