युवा कलाकारों को प्रोत्साहित करने आगे आया कश्ती फाउंडेशन
युवाओं को सिखाएं शास्त्रीय संगीत के गुर
उदयपुर । लेकसिटी के युवा कलाकारों को शास्त्रीय संगीत विधा से जोड़कर कला क्षेत्र में प्रवीण बनाने के उद्देश्य से कश्ती फाउंडेशन द्वारा तीन दिवसीय संगीत कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कश्ती फाउंडेशन फाउंडर श्रद्धा मुर्डिया ने बताया कि सेक्टर 3 में आयोजित इस कार्यशाला में प्रख्यात शास्त्रीय गायक पंडित राजन-साजन मिश्र की शिष्या मंदाकिनी लाहिरी और प्रख्यात तबला वादक किशन महाराज के शिष्य आनंद लाहिरी के सानिध्य में 20 युवक-युवतियों ने हिस्सा लिया और गायन-वादन के गुर सीखे।
इस मौके पर सनातनी शैली के गीत व गजल गायक कपिल पालीवाल ने संभागियों व शहर के युवाओं से आह्वान किया कि कला-विधाओं में रियाज के माध्यम से ही हर व्यक्ति पारंगत हो सकता है। उन्होंने युवाओं से इस प्रकार की कार्यशालाओं में हिस्सा लेने और अपने कला-कौशल को परिमार्जित करने का आह्वान किया।
कार्यशाला के समापन समारोह में कलाप्रेमी संदीप सिंह राठौड़, नित्या सिंघल, चिन्मय दीक्षित, शिल्पकार हेमंत जोशी, कहानीकार रजत मेघनानी, स्कैच आर्टिस्ट सुनील लड्ढा, चित्रकार डॉ. चित्रसेन और कई कलाप्रेमी और प्रबुद्ध जन मौजूद थे। इस अवसर पर समस्त संभागियों को प्रमाण पत्र और केंडल वुड प्रबंधक गोविंद यादव की तरफ से गिफ्ट वाउचर वितरित किये गए।
राग-रागिनियों से किया साक्षात्कार :
मुर्डिया ने बताया कि कार्यशाला के प्रथम दिन प्रशिक्षकों ने संभागियों को राग-रागिनियों का परिचय देते हुए विभिन्न शैलियों में गायन के बारे आधारभूत जानकारी दी। दूसरे दिन आलाप व आलापचार के बारे में बताते हुए विभिन्न पलटों और सरगम के अलग-अलग रूपों के साथ रियाज कराया गया। इसी प्रकार तीसरे दिन युवाओं को तारसप्तक, मन्द्र सप्तक एवं मध्य सप्तक के रियाज की बारीकियों से रूबरू करवाया गया। यह सत्र कहानियों व सत्य घटनाओं के माध्यम से रागों के बारे में जानकारी व गायन शैली को प्रभावशाली बनाने के नाम रहा। प्रशिक्षकों ने मौजूद युवाओं से आह्वान किया कि वे अधिक से अधिक शास्त्रीय रागों को सुने और रियाज करें ताकि उनका कौशल निखर सकें।