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फतेहसागर पाल पर वर्षों से बंद पड़ा वाटर कूलर, नगर निगम की उदासीनता उजागर
उदयपुर । पर्यटन नगरी उदयपुर में सुविधाओं की पोल खोलता एक और मामला सामने आया है। फतेहसागर पाल पर वर्षों से लगा पीने के पानी का कूलर अब महज एक शोपीस बनकर रह गया है। यह स्थान हर दिन हजारों स्थानीय नागरिकों और पर्यटकों की आवाजाही से गुलजार रहता है, लेकिन सार्वजनिक सुविधाओं के नाम पर यहां की स्थिति निराशाजनक बनी हुई है। नगर निगम, जो जनकल्याण और पर्यटन विकास के बड़े-बड़े दावे करता है, इस मूलभूत सुविधा की अनदेखी कर रहा है। सवाल यह उठता है कि जब सार्वजनिक स्थलों पर मूलभूत सुविधाएं ही उपलब्ध नहीं होंगी, तो क्या यह विकास का सही स्वरूप कहा जा सकता है?
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स्थानीय लोग और सामाजिक कार्यकर्ता लगातार इस मुद्दे को उठा रहे हैं, लेकिन निगम की उदासीनता के कारण समस्या जस की तस बनी हुई है। पर्यटन स्थलों पर शुद्ध पेयजल की सुविधा एक बुनियादी आवश्यकता है, जिसे नजरअंदाज किया जा रहा है।
नागरिकों के अधिकारों का हनन – यशवर्धन राणावत
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राष्ट्रीय मानवाधिकार सुरक्षा संगठन के जोनल उपाध्यक्ष यशवर्धन राणावत ने इस मामले पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, “नगर निगम की लापरवाही अब नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन बनती जा रही है। पानी जैसी बुनियादी जरूरत को भी उपलब्ध नहीं कराया जा रहा, जबकि यही निगम जनता के टैक्स के पैसों से संचालित होता है। यह आधारभूत सुविधाओं और पर्यटन विकास पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है ? अगर यही हाल रहा, तो जनता को आंदोलन के माध्यम से इस विषय को प्रशासन के समक्ष मजबूती से उठाना होगा।”
भ्रष्टाचार और लापरवाही का उदाहरण – पवन जैन पदमावत
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एंटी करप्शन एंड क्राइम कंट्रोल कमेटी के मीडिया सेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष पवन जैन पदमावत ने भी निगम की निष्क्रियता पर सवाल उठाते हुए कहा, “एक तरफ प्रशासन स्मार्ट सिटी और पर्यटन विकास की बातें करता है, वहीं दूसरी ओर बुनियादी सुविधाओं तक का रखरखाव नहीं हो रहा। यह स्पष्ट रूप से भ्रष्टाचार और लापरवाही का मामला है। पर्यटन स्थलों पर पेयजल की सुविधा प्राथमिकता होनी चाहिए, लेकिन यह सिर्फ फाइलों में दिखती है, ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयान करती है।”
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क्या जागेगा प्रशासन ?
फतेहसागर पाल पर बंद पड़ा वाटर कूलर केवल एक खराब मशीन नहीं, बल्कि नगर निगम की निष्क्रियता और लापरवाह व्यवस्था का प्रतीक बन चुका है। जब यह मुद्दा जनता और सामाजिक संगठनों के बीच चिंता का विषय बन चुका है, तो क्या नगर निगम इस पर ध्यान देगा? या फिर यह समस्या भी अन्य जनहित के मुद्दों की तरह फाइलों में ही दबी रह जाएगी?
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