सस्ती लोकप्रियता के पीछे भटकती युवा पीढ़ी—एक चिंतन – डॉ. अंजु बेनीवाल
वर्तमान में, सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स का प्रभाव इतना व्यापक हो गया है कि युवाओं के जीवन के हर पहलू पर इसका असर देखा जा सकता है। जहां इन प्लेटफ़ॉर्म्स के सकारात्मक उपयोग की संभावनाएं हैं, वहीं एक गंभीर समस्या भी उभर रही है—सस्ती लोकप्रियता के लिए बनाई जा रही रील्स और वीडियो सामग्री।
आजकल सोशल मीडिया पर ऐसे कई कंटेंट क्रिएटर्स उभर रहे हैं जो समाज के लिए आदर्श माने जाने चाहिए, परंतु वे खुद सस्ती लोकप्रियता के पीछे दौड़ते हुए युवाओं को गुमराह कर रहे हैं। रील्स, जो कभी मनोरंजन और रचनात्मकता का माध्यम होती थीं, अब बेहूदा नृत्य, आपत्तिजनक गानों, और घटिया कंटेंट का मंच बनती जा रही हैं। युवाओं को ऐसा संदेश मिल रहा है कि बिना किसी मेहनत के, केवल “वायरल” होने के लिए कुछ भी किया जा सकता है—चाहे वह समाज के लिए कितना भी हानिकारक क्यों न हो।
रील्स और शॉर्ट वीडियो कंटेंट ने न सिर्फ मनोरंजन के तरीके बदले हैं, बल्कि इसे अब कई लोग त्वरित प्रसिद्धि और आर्थिक लाभ का साधन मानने लगे हैं। युवाओं में यह मानसिकता घर कर चुकी है कि फॉलोअर्स और लाइक्स हासिल करना ही सफलता का मापदंड है। ऐसी स्थिति में वे अपनी शिक्षा, करियर, और समाज के प्रति जिम्मेदारी को नजरअंदाज कर रहे हैं।
इसके अलावा, ऐसे कंटेंट क्रिएटर्स, जिन्हें समाज के लिए प्रेरणास्रोत होना चाहिए, वे भी सस्ते और असभ्य गानों पर नृत्य कर, या फिर आपत्तिजनक सामग्री परोस कर युवाओं को गलत दिशा में प्रेरित कर रहे हैं। यह विडंबना है कि जो लोग युवाओं को सही मार्ग दिखाने के लिए जिम्मेदार हैं, वही लोग भौतिक सुखों और लोकप्रियता की दौड़ में उनका मार्ग भ्रमित कर रहे हैं।
समाज को इस बढ़ती प्रवृत्ति पर गहन विचार करना होगा। सबसे पहले, हमें यह समझना होगा कि युवाओं का भविष्य केवल “वायरल” होने में नहीं, बल्कि शिक्षा, नैतिकता और सामाजिक जिम्मेदारी में निहित है। स्कूलों और कॉलेजों में सोशल मीडिया के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलानी चाहिए। इसके अलावा, माता-पिता और शिक्षकों को भी यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे बच्चों को ऐसी गतिविधियों से दूर रखें जो उनके मानसिक और सामाजिक विकास को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
रील्स और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स का जिम्मेदारी से उपयोग ही समाज के लिए लाभकारी हो सकता है। युवाओं को यह समझना होगा कि सस्ती लोकप्रियता की उम्र छोटी होती है, जबकि शिक्षा, नैतिकता और सामाजिक योगदान से अर्जित की गई प्रतिष्ठा स्थायी होती है। सोशल मीडिया को समाज के हित में उपयोग करना हमारा दायित्व है, और यह तभी संभव है जब हम खुद इसका सही ढंग से इस्तेमाल करें और दूसरों को भी इसके प्रति जागरूक करें। यह विचार लेखक के स्वयं के है।

समाजशास्त्री
राजकीय मीरा कन्या महाविद्यालय उदयपुर