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जहाँ पीड़ा दिखे, वहाँ सेवा बनकर पहुँचते हैं भगवान दास

Reported By : Padmavat Media
Published : April 7, 2025 1:04 PM IST
Updated : April 7, 2025 1:05 PM IST

जहाँ पीड़ा दिखे, वहाँ सेवा बनकर पहुँचते हैं भगवान दास

समाज में जब कोई बेसहारा होता है, जब किसी की आँखों में दर्द छिपा होता है और आवाज़ में पीड़ा बोलती है – तब कोई एक हाथ होता है जो चुपचाप सहारा देता है। यह हाथ है भगवान दास का, जिन्होंने अपनी ज़िंदगी को मानवता की सेवा के लिए समर्पित कर दिया है।

भगवान दास उन विरले सेवकों में से हैं, जो पीड़ा को केवल देखते नहीं, उसे महसूस करते हैं और उसी क्षण मदद को तत्पर हो जाते हैं। किसी भूखे को रोटी चाहिए हो, किसी बीमार को दवा, किसी वृद्ध को सहारा या किसी विद्यार्थी को पुस्तक – भगवान दास बिना किसी प्रचार के, बिना किसी अपेक्षा के, हर जरूरतमंद तक पहुँचे हैं।

उनकी सेवा की सबसे बड़ी खूबी यही है – जहाँ पीड़ा दिखी, वहीं सेवा बनकर पहुँच गए। उन्होंने नशा मुक्ति, गरीब परिवारों के राशन वितरण, निर्धन कन्याओं के विवाह, रक्तदान शिविर, और पर्यावरण संरक्षण जैसे कार्यों को एक मिशन की तरह अपनाया है। उनके कार्यों की गूंज न भाषणों में है, न मंचों पर – वह गूंज है उन हजारों दिलों में, जिन्हें उन्होंने राहत, सुकून और उम्मीद दी।

भगवान दास मानते हैं – “सेवा वो नहीं जो दिखती है, सेवा वो है जो किसी टूटते दिल को थाम ले, किसी सूनी आँखों में रोशनी भर दे।”

उनका जीवन एक जीवंत उदाहरण है कि आज भी इंसानियत जिंदा है। ऐसे सेवाभावी व्यक्तित्व समाज के लिए वरदान होते हैं – न थकते हैं, न रुकते हैं, बस हर उस पीड़ा के पीछे खड़े हो जाते हैं, जो मदद की पुकार कर रही हो।

ऐसे कर्मवीर को बारम्बार वंदन, जिन्होंने सेवा को अपना जीवन और पीड़ा को अपना पुकार समझा।

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