क्या भारत और उदाहरण के तौर पर उदयपुर एक पर्यटन स्थल के रूप में आपातकालीन स्थितियों के लिए तैयार है? – यशवर्धन राणावत
आज के बदलते वैश्विक परिदृश्य में एक अत्यंत आवश्यक प्रश्न हमारे सामने खड़ा होता है — यदि हमारे शहर उदयपुर में, विशेषकर किसी ऐतिहासिक स्थल के आसपास, कोई अप्रत्याशित हमला या आपातकालीन स्थिति उत्पन्न हो जाए, तो क्या वहाँ तत्काल प्राथमिक चिकित्सा या सुरक्षा सहायता उपलब्ध है?
यह प्रश्न भय फैलाने के लिए नहीं है, बल्कि संभावित सच्चाई को स्वीकार करने और उस पर समय रहते गंभीरता से चिंतन करने के लिए है। एक ऐसा शहर जो प्रतिदिन हजारों पर्यटकों का स्वागत करता है, वहाँ सुरक्षा व्यवस्था केवल प्रतिक्रिया तक सीमित नहीं रहनी चाहिए — बल्कि समुचित पूर्व तैयारी अनिवार्य होनी चाहिए। हमारे विरासत स्थल केवल गौरव के प्रतीक नहीं, बल्कि अत्यधिक भीड़भाड़ वाले और संवेदनशील क्षेत्र भी हैं।
इस विषय को उदयपुर व पर्यटन महत्व के अन्य शहरों में पर्यटन विभाग और जिला प्रशासन के समक्ष गंभीरता से उठाया जाना चाहिए। हमें पूछना चाहिए — क्या हमारे पास ऐसी ठोस व्यवस्था है कि यदि कोई अप्रिय घटना घटित हो जाए, तो तुरंत और प्रभावी सहायता उपलब्ध हो सके?
अब समय आ गया है कि हम प्रमुख पर्यटन स्थलों पर निम्नलिखित सुविधाओं की मांग करें:
• प्राथमिक उपचार कियोस्क (फर्स्ट ऐड कायोस्क्स)
• रैपिड रिस्पॉन्स मेडिकल यूनिट्स
• अत्याधुनिक हथियारों से लैस सुरक्षाकर्मी
• सीसीटीवी निगरानी तंत्र और विस्फोटक/अवैध वस्तु जांच उपकरण
कई वर्षों पूर्व यह कार्य आरंभ हो जाना चाहिए था, परंतु अब और देरी नहीं होनी चाहिए। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि राजस्थान सहित देश के अधिकांश ऐतिहासिक पर्यटन स्थलों, जहाँ प्रतिदिन हजारों पर्यटक आते हैं, वहाँ विश्वस्तरीय आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं और सक्रिय सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर कुछ नहीं है। न वहाँ प्रशिक्षित पैरामेडिक्स हैं, न ही प्राथमिक चिकित्सा सुविधाएं, और न ही चौकस सुरक्षाकर्मी।
हम आतंकवाद के नजरिये से अत्यधिक संवेदनशील क्षेत्र में रहते हैं, फिर भी हम ऐसी घटनाओं को केवल मोमबत्ती जलाकर याद करते हैं। कोई भी ठोस कार्य योजना धरातल पर लागू नहीं होती। क्या हर बार हम सिर्फ शोक जताकर बैठ जाएंगे? क्या यही हमारा “विजन 2047” है? क्या इसी तरह हम विश्वगुरु बनने की ओर अग्रसर होंगे?
केंद्र सरकार को तुरंत सभी राज्य सरकारों को यह निर्देश देने चाहिए कि सभी पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण शहरों में ज़्यादा फुटफॉल वाले उच्च पर्यटन स्थलों पर पूर्ण आपातकालीन सहायता प्रोटोकॉल लागू किए जाएं, जिनमें शामिल हों:
• प्रत्येक प्रमुख स्मारक पर रैपिड मेडिकल यूनिट्स और प्राथमिक उपचार कियोस्क
• वीडियो-कंसल्टेशन की सुविधा से लैस प्रशिक्षित पैरामेडिक्स
• अत्याधुनिक हथियारों से लैस सुरक्षा बल
• 24×7 निगरानी प्रणाली और संदेहास्पद वस्तुओं की जांच हेतु उपकरण
हमें आतंकियों को उनके कृत्य का कड़ा और निर्णायक जवाब देना होगा — जैसे कि इज़राइल, अमेरिका, रूस और चीन देते हैं। हमारी धीमी और कमजोर प्रतिक्रिया आमजन में विश्वास नहीं पैदा कर सकती।
अब समय आ गया है कि हम सतर्क, सुसज्जित और निर्णायक बनें। यही वह क्षण है जब हमें महान भारत की दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए — और वह तभी संभव है जब सुरक्षा को आतिथ्य का मूल आधार माना जाए।
उदयपुर मंथन – एक संवाद
लेखक : यशवर्धन राणावत
1 comment
Great to learn this. Security is now basic necessity or rather one can say, one of the essential amenity that needs to be provided to the guests / tourists.
Talking about Udaipur , a few months back a truck loaded with black powder lost its way and went all the way to the heart of old city and there was no one to stop it; tomorrow who knows a truck loaded with unauthorised arms etc could head that way or any other part of the city, we cannot afford to keep sleeping. I am sure this article and it’s content should be taken very seriously given the prsent situation. It should reach the concerned authority to action asap.