कुरुक्षेत्र के 48 कोस की ऐतिहासिक धरोहर: प्राचीन ‘पृथ्वी तीर्थ’ का महत्व
करनाल । कुरुक्षेत्र के 48 कोस तीर्थ क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाला ‘पृथ्वी तीर्थ’ आज भी अपने ऐतिहासिक महत्व और धार्मिक आस्था का केंद्र बना हुआ है। यह तीर्थ स्थल प्राचीन कालीन स्थल के रूप में जाना जाता है और इसे राजा कुरु द्वारा अपने पवित्र कर्मों के लिए प्रसिद्ध बताया गया है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, राजा कुरु ने यहाँ हल जोतकर तपस्या की थी, जिससे यह स्थान ‘पृथ्वी तीर्थ’ के रूप में विख्यात हुआ। राजा कुरु के तप और संकल्प से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें आशीर्वाद प्रदान किया था। इस स्थल का वर्णन महाभारत, स्कन्दपुराण एवं महाभाष्य ग्रंथों में भी मिलता है।
कहा जाता है कि राजा कुरु के तप के कारण इस भूमि को कुरुक्षेत्र भूमि के रूप में प्रतिष्ठा मिली। पांडवों और कौरवों का युद्ध भी इसी पवित्र भूमि पर हुआ था। यही कारण है कि यह स्थल सम्पूर्ण भारत के तीर्थ स्थलों में एक विशेष स्थान रखता है।
यहाँ के वर्तमान गुरुदेव श्री महंत बाबा शांति गिरी जी का मार्गदर्शन इस तीर्थ स्थल की महिमा को बनाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। उनकी देखरेख में यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं को धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है। हाल ही में एंटी करप्शन एंड क्राइम कंट्रोल कमेटी के मीडिया सेल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डाॅ भगवान दास वैष्णव एवं एंटी करप्शन एंड क्राइम कंट्रोल कमेटी की महिला सेल की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रेखा वैष्णव सहित उनके परिवार का श्री महंत बाबा शांति गिरी जी ने स्वागत किया। इस अवसर पर तीर्थ क्षेत्र में पूजा-अर्चना और धर्मार्थ कार्यक्रम भी संपन्न हुए।
राजा कुरु की तपस्या के दौरान ही भगवान विष्णु ने कहा था कि यहां जो भी यज्ञ और दान होगा, वह अद्भुत फलदायी होगा। यही कारण है कि यह स्थल आज भी श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल बना हुआ है।
कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड ने इस ऐतिहासिक तीर्थ की महत्ता को समझते हुए इसके विकास एवं संरक्षण के लिए विशेष योजनाएं बनाई हैं। बोर्ड का उद्देश्य इस पवित्र स्थल को नई पीढ़ी तक पहुंचाकर भारतीय संस्कृति और परंपरा को संरक्षित करना है।
कुरुक्षेत्र के 48 कोस की ऐतिहासिक धरोहर: प्राचीन ‘पृथ्वी तीर्थ’ का महत्व
Published : May 27, 2025 11:12 AM IST
Updated : May 27, 2025 11:22 AM IST