यपुर. सूबे के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव (Health Minister TS Singhdeo) ने ग्रामीण (rural ) क्षेत्रों में अस्पताल के लिए सरकारी अनुदान देने की तैयारी पर कड़ा ऐतराज जताया है. मीडिया से बात करते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि मुझे इस बारे में कोई भी जानकारी नहीं है और न ही मुझसे कोई इस मसले पर चर्चा की गई है. मैं इसके सख्त खिलाफ हूं कि सरकारी पैसा निजी हाथों में दिया जाए और वे लोग लोगों से ही पैसे लेकर उपचार करें. जिस वक्त हमें अपने साधन-संसाधनों को बढ़ाना चाहिए उस वक्त अगर निजी क्षेत्र को अनुदान दिया जाएगा तो यह उचित नहीं है. उन्होंने कहा कि क्या कोई निजी अस्पताल वाले सरकार से अनुदान लेकर सुकमा जा कर उपचार करेगा. क्या कोई विशेषज्ञ सिलगेर जाकर अपनी सेवाएं देगा. इन लोगों से तो रायपुर छोड़ा ही नहीं जाता.
PPP मोड की खिलाफत
छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने PPP मोड का भी विरोध करते हुए आपसी चर्चा में कहा कि PPP मोड में भी संसाधन लगाने वाला फर्म एग्रीमेंट कर के साल-दो साल में अपना पैसा निकाल लेता है. सरकार की जमीन, सरकार का भवन, सरकार के साधन-संसाधन से निजी क्षेत्र के लोग लाभ कमा लेते हैं और लोगों को उसका ज्यादा लाभ नहीं मिल पाता है.
सरकार की ओर से दी गई थी जानकारी
राज्य सरकार की ओर से 26 जून को विज्ञत्ति जारी की गई थी. इसमें कहा था कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं और मजबूती प्रदान करने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अब निजी क्षेत्र का भी सहयोग लेने के निर्देश दिए हैं. मुख्यमंत्री ने कहा है कि ग्रामीण इलाकों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की सेवाएं उपलब्ध हो सकें. इसके लिए सभी शासकीय अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार के साथ ही स्वास्थ्य अधोसंरचनाओं के निर्माण में निजी क्षेत्र का सहयोग भी लिया जाएगा. विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में अस्पताल निर्माण के लिए निजी क्षेत्रों को राज्य सरकार द्वारा अनुदान भी दिया जाएगा. यह अनुदान राज्य सरकार द्वारा सेवा क्षेत्र के उद्योगों को दिए जा रहे अनुदान के तहत होगा. मुख्यमंत्री ने उद्योग विभाग को आगामी 10 दिनों में इसकी कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं
स्वास्थ्य मंत्री के बयान के बाद मचा बवाल
सूबे के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के इस बयान के बाद एक बार फिर राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है. मुख्यमंत्री के निर्देश से जारी की गई जानकारी पर स्वास्थ्य मंत्री ने न केवल अनभिज्ञता जताई, बल्कि सीएम के मंशा पर भी असहमति जता दी. स्वास्थ्य मंत्री का यह बयान बताने के लिए काफी हैं कि कांग्रेस सरकार के भीतर खाने अभी भी ऑल इज नॉट वेल की स्थिति बनी हुई है.