सबसे पहले तो आप सोचेंगे कि आखिर मैंने लेख में अपना नाम क्यों नहीं जाहिर किया है? बात भी सही है, नाम तो बताना चाहिए मगर नाम बताने पर ट्रोलर्स की फोज़ मुझे ट्रोल करने में भी देर नहीं करती। खैर, आइए बिना देर किए मैं लेकर चलता हूं आपको अपनी सेक्स लाइफ की जर्नी पर।
मैं और सीमा (बदला हुआ नाम) अपनी सुहागरात वाले दिनों में बहुत शर्मीले थे। सुहागरात की जो रस्म होती है ना कि बिस्तर सजकर तैयार होता है, एक ग्लास दूध भी हमें प्राप्त हो जाता है। दूध इसलिए ताकि अगर सेक्स करें तो पावर बढ़िया हो।
ये सबकुछ भी हुआ हमारे साथ भी! हमारी सुहागरात कोई यूनिक नहीं थी। वही चीज़ें हमें करनी थी जो दूसरे लोग करते हैं। अब मैं संशय में था कि शुरुआत कैसे करूं?
मैंने शर्म की चादर की हटाई और अपनी पत्नी के ब्लाउज़ के ऊपर सतहों को पहले चूमना शुरू किया। धीरे-घीरे ब्रा और ब्लाउज़ के ऊपर से ही सीमा के उभरे हुए निप्पल्स मेरे होठों में टकराने लगे। अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था। बर्दाश्त से बाह हो गया था एकदम।
अभी मैं योनि के द्वार तक तो पहुंचा भी नहीं था कि सीमा की बैचेनी बढ़ गई थी। अब वो भी नई दुल्हन वाली शर्म की दीवार को तोड़ देना चाहती थी। इस दौरान मेरा लिंग भी टनल के अंदर बेधड़क दौड़ने के लिए तैयार खड़ा था। मैं उसको तसल्ली दे रहा था कि बेटा ठहरो, रुक जाओ। पहले फोरप्ले कर लेते हैं।
सीमा को रहा नहीं गया तो वो अपने ही हाथों से अपने स्तनों को दबाने लगी। मैं उसकी इच्छाओं को समझते हुए सबसे पहले ब्लाउज़ को प्यार से खोल दिया। फिर एकदम सेक्सी पिंक कलर की ब्रा उसने पहन रखी थी, जिसमें से बड़े-बड़े सेक्सी स्तन बाहर आने को बेताब थे। यूं लग रहा था कि होठों की चुंबन ही स्तनों की बेचैनी को शांत कर सकते हैं।
फिर क्या था, सीमा गोल-सुडौल बड़े-बड़े आम के आकार के दोनों स्तन बाहर आ चुके थे। अब मैं डिसाइड नहीं कर पा रहा था कि सीमा के लाल-लाल निप्पल्स को चूसना शुरू कर दूं या पहले दोनों स्तनों के साथ खेलूं? वैसे अभी तक इतना खेल कर दिया था फोरप्ले के नाम पर कि अब अगर स्तनों के साथ खेलने के बारे में सोचना तो सीमा मेरे साथ खेल कर देती।
स्तन के साथ खेलते-खेलते अब बारी थी स्तनों के बीच की गहराई को चूमते हुए पेट और नाभी के रास्ते योनि के द्वार तक पहुंचने की। मेरा लिंग भी इस वक्त तक मेरा पूरा साथ दे रहा था। एकदम तनकर खड़ा था वो, जैसे मेरे आदेश का इंतज़ार कर रहा हो कि मैं अनुमति दूं और वो अपना काम शुरू कर दे।
अब तो पूछिए मत भाईसाहब! सीमा को संतुष्ट करना कोई आम बात नहीं था। पूरे 25 मिनट तक मेरे थक जाने के बाद भी उसे पूरे जोश के साथ सेक्स चाहिए था। मुझे भी मज़ा आ रहा था। इस बीच मैं सीमा के स्तनों को चूस रहा था। बीच-बीच में दबा भी रहा था। स्तनों को दबाने के वक्त उसकी चीखें बहुत सेक्सी थीं।
अचानक खिड़की पर नज़र पड़ी तो बाहर से आ रही रौशनी हमें बता रही थी कि बेटा सवेरा हो गया है। फिर घड़ी की सूई ने भी सुबह होने की पुष्टि कर दी। आगे की कहानी अगले भाग में जल्द आपके सामने पेश करूंगा।