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समाज में अश्लीलता और फूहड़ता को बढ़ावा देता सोशल मीडिया – पवन जैन पदमावत 

समाज में अश्लीलता और फूहड़ता को बढ़ावा देता सोशल मीडिया – पवन जैन पदमावत 

एंटी करप्शन एंड क्राइम कंट्रोल कमिटी के मीडिया सेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष पवन जैन पदमावत ने कहा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का नाम जबान पर आते ही फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर आंखों के आगे आ जाते हैं। पुराने दोस्तों को ढूंढना हो या नए दोस्त बनाना हो इसके लिए आज के युग में फेसबुक बहुत काम की चीज़ साबित हुई है। आजकल की इस भागदौड़ वाली ज़िंदगी में सोशल मीडिया एक अच्छा रास्ता है अपने दोस्तों या प्रियजनों से टच में रहने का। हम एक-दूसरे से मिलें या ना मिलें पर हमें एक-दूसरे की लाइफ में क्या चल रहा है, ये हमारे सोशल मीडिया के स्टेटस के ज़रिये ही पता चल जाता है।  पहले ज़िंदगी की तीन मूलभूत आवश्यकताएं हुआ करती थीं “घर, भोजन, कपडा” पर अब इसमें चौथी सबसे ज़रूरी चीज़  शामिल हो गई है, जो है सोशल मीडिया। हम खाने के बिना रह लेंगे पर इसके बिना नहीं रह सकते हैं।

सोशल मीडिया की तरफ लोगों का झुकाव क्यों ?दरअसल, हम इतने खाली और खोखले हो चुके हैं, जिसकी वजह से हमें ये सोशल मीडिया रुपी खाल ओढ़नी पड़ रही है, ताकि किसी को ये पता ना चल सके कि हम कितने अकेले और उदास हैं। सोशल मीडिया पर लोग झूठ पोस्ट करते हैं, जिनका उनकी असल ज़िंदगी से कोई लेना-देना नहीं होता है। व्यक्तिगत लाइफ में इंसान रो रहा है, पर यहां #हैप्पीफेस ज़रूर शेयर करेगा। सोशल मीडिया और झूठ दोनों एक ही हैं पर फिर भी क्या करें? हम इंसानों को झूठे दिखावे की आदत जो पड़ गई है।

यहां तक तो भी ठीक था, पर अब यह जगह फूहड़पन में बदलती जा रही है, अब सोशल मीडिया पोर्न वेबसाइट के रास्ते पर ही निकल पड़ी है।  टिकटॉक जब से बैन हुआ इंडिया में और उसके बाद इंस्टाग्राम ने रील्स फीचर लांच की, तब से एक नया ही भारत देखने को मिल रहा है। व्यूज और फोलोवर्स के लिए लोग नंगे हो रहे हैं, माँ-बेटे अश्लील वीडियो क्लिप बना कर डाल रहे है, छोटे बच्चे जिनकी पढाई करने की उम्र है वो शादी कर रहे हैं और रील्स बना रहे हैं।

यहां आपको सब कुछ मिलेगा बस आपको एक ही चीज़ नहीं मिलेंगी और वो है टैलेंट। अगर किसी में वो होता है भी तो वो दब जाता है, ऐसे घटिया वीडियो क्लिप्स के कारण, क्योंकि लोगों को भी तो वल्गैरिटी ही देखनी है।

एंटी करप्शन एंड क्राइम कंट्रोल कमिटी के मीडिया सेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष पवन जैन पदमावत ने कहा मुझे ये कहने में ज़रा भी संकोच नहीं होगा कि कल अगर ये सोशल मीडिया का प्लेटफार्म किसी और चीज़ में तब्दील हो जाए, तो सोशल मीडिया गंदगी का अड्डा हो गया है। यहां पर अब जो जितना नंगा है, उसके फॉलोवर उतने ही ज़्यादा हैं। कम समय में सेलिब्रिटी बनना और ब्लू टिक मिलने का ऐसा नशा चढ़ा है कि क्या ही कहना। लोग कहेंगे कि अरे वो नंगे हो रहे हैं उनकी मर्जी, उनका शरीर वो चाहे दिखाएं तुम्हें क्या दिक्कत है? गंवार कहीं की, खुद की शक्ल तो देख ले पहले।  ऐसे तो आदिमानव रहने में क्या दिक्कत थी, जब आज फिर से हमें उसी फेज में जाना है, तो क्यों हमारे पूर्वजों ने तन ढ़कने के लिए कपडे का आविष्कार किया? स्कर्ट, जीन्स, बिकनी, टॉप, साड़ी जो मर्जी हो पहनो पर कम-से-कम लोअर नीचे करके अपने अंडर गारमेंट की लाइन तो मत दिखाओ, इसमें क्या टैलेंट है सभी पहनते हैं, सभी को पता है, आप क्या पहली बार पहन रहे हैं, जो आप लोगों को दिखाना चाह रहे हैं। लोग तो कभी नहीं सुधरेंगे और कुछ भी नहीं बदलने वाला बस हमें ही अब अपनी आंखें बंद कर लेनी चाहिए, हमें क्या?बच्चों के ऊपर सोशल प्लेटफार्म का असर?पहले तो नहीं पर जब से लॉकडाउन हुआ, तब से बच्चों के हाथों में फोन आया और फिर वह भी सोशल मीडिया पर अपना अकाउंट बना एक्टिव हो गए, कुछ घर वालों से पूछ कर और कुछ छिपकर इस दुनिया में प्रवेश पा गए। मुझे हंसी आती है। मैं कई बच्चों के वीडियो देखती हूं, जहां पढ़ाई-लिखाई की जगह वो प्यार मोहब्बत की बातें कर रहे हैं मतलब क्या-क्या कर रहे हैं, ये मुझे बताने तक में शर्म आ रही है।

क्या उनके माँ-बाप को दिखता नहीं या फिर उनको ऐसा लगता है कि पढ़-लिख के क्या करेगा पता नहीं पर अगर ये करते रहा तो ज़ल्द ही घर में नोटों की बारिश होने लगेगी, जीने के लिए क्या चाहिए, नेम और फेम जो इंस्टाग्राम पर आपको कूट-कूट कर मिलेगा। बच्चा आगे चलकर कुछ भी करे पर कम-से-कम अभी की जो उसकी उम्र है, वो पढ़ने और खेलने की है, जो कि इस सोशल मीडिया के कारण उससे छिन रही है। अभिभावकों के लिए यह एक गहन चिंता का विषय है और उन्हें इसके बारे में गंभीर हो कर थोड़ा तो सोचना ही चाहिए।

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