सराड़ा ब्लॉक को भी मिला अपना ‘बाल मित्र थाना’
भयमुक्त होकर बच्चे रख सकेंगे अपनी बात
नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी द्वारा स्थापित कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन (केएससीएफ), बजाज फाउंडेशन व गायत्री सेवा संस्थान (जीएसएस) के संयुक्त प्रयासों से बच्चों के लिए अनुकूल राजस्थान बनाने की दिशा में एक और कदम उठाया गया है।
अपराध में लिप्त नाबालिगों व बालश्रम की बेड़ियों से मुक्त हुए बच्चों के लिए उदयपुर जिले के सराड़ा ब्लॉक में बाल मित्र थाने की स्थापना हुई। सराड़ा पुलिस थाना अब ‘बाल मित्र थाना’ बन गया है। इस थाने के ‘बाल मित्र कक्ष’ का उद्घाटन स्थानीय विधायक अमृत लाल मीणा ने किया अध्यक्षता जनजातीय परिषद के सदस्य एवं पूर्व उप जिला प्रमुख लक्ष्मीनारायण पंड्या ने की जबकि विशिष्ट अतिथि उपखंड अधिकारी वर्षा शर्मा, थानाधिकारी अनिल बिश्नोई, बाल विकास परियोजना अधिकारी प्रकाश चौबीसा, सराड़ा उपसरपंच नावेद मिर्जा, बालमित्र अधिकारी रतन सिंह, एडवोकेट भेरुलाल जोशी, हीरालाल पटेल, देवीलाल मीणा, मोगा राम मीणा सहित जनप्रतिनिधि गण व पुलिस स्टेशन के पदाधिकारी व आमजन मौजूद थे।बाल मित्र कक्ष में प्ले ग्रुप स्कूल की तरह पेंटिंग्स ,खिलौने, बच्चों की रुचि वाली पुस्तकें, टीवी, बिस्तर व अन्य मनोरंजन सामग्री उपलब्ध हैं। सभी ने केएससीएफ और जीएसएस द्वारा बाल संरक्षण के विषयों पर किए जा रहे कार्यों को सराहा। साथ ही इस आदिवासी बहुल क्षेत्र में बाल मित्र थाने के स्थापित होने पर खुशी जताई।
कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन द्वारा शुरू की गई ‘बाल मित्र थाना’ की अवधारणा का मुख्य उद्देश्य पुलिस थानों में बच्चों को एक ऐसा सकारात्मक माहौल देना है जो किसी न किसी रूप में अपराध में लिप्त पाए जाते हैं। इसके पीछे मंशा यह है कि इन बच्चों को ऐसा अनुकूल वातावरण दिया जाए जिससे वह अपने जीवन के नकरात्मक पहलुओं को भुलाकर जीवन में आगे बढ़ कर बेहतर कर सकें। देखने में आया है कि बच्चे पुलिस और थाने के नाम से ही घबराते हैं और पूछताछ के दौरान डरे व सहमे होते हैं। इससे उनकी मानसिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। साथ ही पुलिस की जांच में भी मुश्किलें आती हैं क्योंकि बच्चे अपनी बात खुलकर नहीं कह पाते।
इस अवसर पर गायत्री सेवा संस्थान के नितिन पालीवाल ने कहा कि बजाज फाउंडेशन, केएससीएफ और जीएसएस द्वारा राजस्थान के जिलों में स्थापित किए जा रहे बाल मित्र थाने निश्चित तौर पर बाल संरक्षण की लड़ाई को मजबूती प्रदान करेंगे। यह हर्ष का विषय है कि एक आदिवासी बहुत क्षेत्र में भी बाल मित्र थाने की स्थापना हुई है। हमारा लक्ष्य है कि हर बच्चा किसी भी प्रकार के शोषण और भय से मुक्त हो।
बाल मित्र थाने की खास बातें
इसकी विशेषता यह रहेगी कि यहां पुलिसकर्मी दिन में बिना वर्दी में बैठेंगे। अपराध में लिप्त बच्चों को यहां लाकर पारिवारिक माहौल देते हुए उन्हें अपराध से बाहर निकालने के प्रयास होंगे। जुवेनाइल जस्टिस एक्ट व एनसीपीसीआर की गाइड लाइन के अनुसार किसी भी तरह के अपराध से पीड़ित बच्चों को थाने में सादी वर्दी में उपस्थित पुलिसकर्मी ही डील करेंगे। इस पहल से दुष्कर्म पीड़ित किशोरियों को मदद मिलेगी क्योंकि वह एक सुलभ वातावरण में अपनी बात खुल कर रख पाएंगी।
इस अवसर पर संस्थान के पदाधिकारी भी मौजूद थे।