पाल लिम्बोदा की गवरी का वलावण ——
रिपोर्ट सुरेश कुमार कटारा (सरसिया)
उदयपुर में सराडा तहसील के पाल लिम्बोदा की गवरी का गढ़वाल व वलावण हुआ जो कोरोना काल के बाद पहली व्रत लिया गया जो की सवा महीने भर कई गांवों पालो में अपने देवी देवताओं के देव युग के अपने नाट्य का प्रदर्शन करते हुए अपने मूल पाटली पर आगमन हुआ जिसमे जो कलाकार इस व्रत को ले कर गवरी में गए उनके रिश्तेदारो द्वारा कलाकारों का लड्डुओं से व्रत खुलवाया गया और फूल मालाओं से व कपड़ो द्वारा ओढावनी कर स्वागत अभिनंदन किया गया । ।तत्पश्चात गवरी दल मां गोरज्या की पालकी के साथ पाल लिम्बोदा के मैदान पर दिन भर विभिन्न देव नाट्य के खेलो को प्रदर्शित कर लोगो का मनोरंजन करते रहे ।इस अवसर पर गांव पाल के लोगो के साथ विभिन्न गांवों के रिश्तेदारों व आस पास के गांवों के लोगो का इस वलावण के कार्यक्रम में हुजूम उमड़ पड़ा जिसमे लगभग पांच हजार लोगो की प्रशासनिक व्यवस्थाओं हेतु सराडा पुलिस दल तथा गांव पाल के सभी मुखिया, गड्ढा, गमेती, मेट, कोटवाल, पंच, सरपंच, राजकीय कर्मचारी आदि भी पूरे समय उपस्थित रहे । इस अवसर पर कल वलावण के लिए परम्परा के अनुसार मकना हाथी को पाटली पर लाया गया था जिसे शाम पांच बजे के करीब आयोजन स्थल पर लाया गया और गोरज्या माता ऊर्फ पार्वती माता की पालकी की सवारी विशाल जनसमूह के साथ वलावण की रस्म पूर्ण करने हेतु सरवर की और प्रस्थान किया इस अवसर पर महिलाओं और पुरूषों माताजी के गीतों व । माताजी के जयकारों के साथ व्रतर्थियो के सरवर स्नान के साथ बहिनों ने परम्परा के अनुसार गवरी दल के अपने भाइयों को लुटा गया और माताजी को मन्दिर तक पहुंचाया गया। विशाल जनसमूह का उत्साह देखते ही बन रहा था।