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रामधाम की ओर श्रद्धा का भावपूर्ण सफर — संतों और समाजसेवियों ने अयोध्या पहुंचकर रामलला के किए दर्शन, अनुभव किया आत्मिक संतोष

Reported By : Padmavat Media
Published : April 18, 2025 10:18 PM IST
Updated : April 18, 2025 10:18 PM IST

रामधाम की ओर श्रद्धा का भावपूर्ण सफर — संतों और समाजसेवियों ने अयोध्या पहुंचकर रामलला के किए दर्शन, अनुभव किया आत्मिक संतोष

अयोध्या । भगवान श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या में निर्मित भव्य श्रीराम मंदिर के दर्शन कर संतों और समाजसेवियों का दल श्रद्धा और भक्ति से सराबोर हो गया। मंदिर परिसर में रामलला के दिव्य और अलौकिक स्वरूप के दर्शन करते ही सभी श्रद्धालुओं की आंखें श्रद्धा से नम हो गईं। इस यात्रा ने सभी को आत्मिक शांति, प्रेरणा और अद्भुत ऊर्जा से भर दिया।

इस पावन यात्रा में जूना अखाड़ा किन्नर अखाड़ा के महंत कालका नंद गिरी, एंटी करप्शन एंड क्राइम कंट्रोल कमेटी, राजसमंद के महासचिव डॉ. भगवान दास वैष्णव, पदमावत मीडिया की जिला संवाददाता रेखा वैष्णव, मोहन सिंह शेखावत और स्वाति कुंवर, नंद सिंह राणावत तथा रतन जाट सम्मिलित रहे।

मंदिर की भव्यता, वास्तुकला की दिव्यता और वातावरण की पवित्रता को निहारते हुए श्रद्धालुओं ने रामलला के चरणों में नमन कर राष्ट्र की समृद्धि, लोककल्याण और विश्वशांति की कामना की। दर्शन के उपरांत सभी ने एक स्वर में कहा कि यह अनुभव उनके जीवन की अमूल्य और अविस्मरणीय थाती बन गया है।

मंदिर प्रशासन द्वारा परिसर में फोटोग्राफी की अनुमति नहीं होने के कारण, सभी श्रद्धालुओं ने मंदिर के बाहर की पावन भूमि पर कुछ स्मरणीय क्षणों को कैमरे में संजोया। श्रद्धा से भरे चेहरों और राम दरबार की अनुभूति से झलकती भावनाओं को उन्होंने तस्वीरों के माध्यम से अमर करने का प्रयास किया — ताकि इस दिव्य यात्रा की अनुभूति को जीवनभर स्मृति रूप में संजोया जा सके।

महंत कालका नंद गिरी ने कहा, “राम मंदिर केवल ईंट और पत्थरों की इमारत नहीं, यह करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था, भारत की आत्मा और सनातन संस्कृति का प्रतीक है। यहां आकर मन अपने आप ही निर्मल हो जाता है और विचारों में पवित्रता आ जाती है।”

डॉ. भगवान दास वैष्णव ने कहा कि यह यात्रा केवल एक तीर्थयात्रा नहीं, बल्कि आत्ममंथन और संस्कृति से जुड़ाव का गहरा अवसर है। रेखा वैष्णव ने भावुक होते हुए कहा कि रामलला के दर्शन के समय मन जैसे भक्तिरस से सराबोर हो गया और भीतर एक विशेष शांति का अनुभव हुआ।

यह यात्रा न केवल श्रद्धा का प्रतीक रही, बल्कि सभी के लिए एक प्रेरणादायक अनुभव बन गई — जिसे हर श्रद्धालु जीवनभर स्मृति रूप में सहेज कर रखेगा।

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