महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराध एवं असमानताएं – एडवोकेट शिवानी जैन
अलीगढ़ । महिलाओं के विरुद्ध हिंसा का कोई भारतीय पद्धति में सांस्कृतिक कारक नहीं है, यह घोर आपराधिक मानसिकता है जिसमें समानता को शून्य दृष्टि से देखा जाता है। महिलाओं के विरुद्ध हिंसा पुरुषों और महिलाओं के बीच असमान शक्ति संबंधों की अभिव्यक्ति है। बदलते सामाजिक परिपेक्ष में हमें इसके विरुद्धअब लड़ना होगा। भारत में महिलाओं के विरुद्ध अपराध का तात्पर्य महिलाओं के खिलाफ किए गए शारीरिक, यौन या घरेलू दुर्व्यवहार से है और महिलाओं के खिलाफ अपराध माने जाने के लिए यह कृत्य केवल इसलिए किया जाना चाहिए क्योंकि पीड़ित महिला है। महिलाओं के विरुद्ध हिंसा मानवाधिकारों के सबसे लगातार उल्लंघनों में से एक है। इसके कारण मुख्य रूप से संरचनात्मक स्तर पर पाए जाते हैं। लैंगिक न्याय तब तक स्थापित नहीं किया जा सकता जब तक स्त्री द्वेषी संरचनाओं का समाधान नहीं किया जाता। तभी महिलाएं और लड़कियां हिंसा मुक्त जीवन जी सकेंगी। इसलिए इस हिंसा के कारण न केवल व्यक्तिगत स्तर पर, बल्कि विशेषकर संरचनात्मक स्तर पर भी पाए जाने चाहिए। आगे की हिंसा को रोकने के लिए इन कारणों को ख़त्म करने की आवश्यकता है।