बरेली से उठी ‘पैगम्बर ए इस्लाम बिल’ की मांग – संजय सक्सेना, लखनऊ
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कभी बांस के फर्नीचर के लिये मशहूर बरेली आजकल कुछ मुस्लिम धर्मगुरु के बेतुके बयानों और साम्प्रदायिक सोच के चलते काफी शोहरत बटोर रहा है।कभी कावड़ियों का रास्ता रोक कर उनके साथ मारपीट की जाती है तो कभी धर्म परिर्वतन कराने के लिये कार्यक्रम रखे जाने की बात कही जाती है। अब यहां से एक ‘पैगम्बर ए इस्लाम बिल की मांग के रूप में नया विवाद निकला है। आला हजरत के 106वें उर्स रजवी के पहले दिन ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के मुख्यालय पर एक बैठक हुई है, जिसमें देश के विभिन्न राज्यों से आए उलमा और बुद्धिजीवियों ने मुसलमानों के मुद्दों पर चर्चा की और एक मुस्लिम एजेंडा तैयार किया। इसके साथ ही सरकार से पैगम्बर ए इस्लाम बिल लागू की मांग की गई है.
इसके साथ ही इस मीटिंग में मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने एक मुस्लिम एजेंडा भी जारी किया,जिसमें मुसलमानों को शिक्षा, बिजनेस, और परिवार पर ध्यान देने की सलाह दी गई. उन्होंने कहा कि मुसलमानों को समाज में फैल रही बुराइयों पर रोकथाम करनी चाहिए और लड़कियों के लिए अलग से स्कूल और कॉलेज खोलने चाहिए. मौलाना ने केंद्र और राज्य सरकारों को चेतावनी देते हुए कहा कि देश की एकता और अखंडता के लिए मुसलमान हर कुर्बानी देने के लिए तैयार हैं, लेकिन हिंदू और मुसलमानों के बीच नफरत फैलाने वाली राजनीति बर्दाश्त नहीं की जा सकती. मुसलमानों के साथ नाइंसाफी और ज़ुल्म व ज्यादती को भी हम ज्यादा दिन तक सहन नहीं कर सकते. सरकारों व राजनीतिक पार्टियों को इस पर गंभीरता से काम करना होगा, और मुसलमानों के प्रति अपने आचरण में बदलाव लाना होगा. उन्होंने वक्फ संशोधन बिल का समर्थन किया और कहा कि वक्फ संपत्ति का रख-रखाव और उससे होने वाली आमदनी गरीब और कमजोर मुसलमानों पर खर्च की जानी चाहिए.मौलाना ने समान नागरिक संहिता को लागू करने के संबंध में कहा कि इस तरह के कानून को भारत का मुसलमान मानने के लिए तैयार नहीं है. उन्होंने बांग्लादेश के तख्ता पलट के दौरान हिंदुओं के मकानों और मंदिरों पर हुए हमलों की निंदा की. और पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सरकारों से अपनी जमीन को भारत के खिलाफ इस्तेमाल होने न देने और आतंकवाद का जड़ से खात्मा करने की अपील की.
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने मुस्लिम कौम को हिदायत दी कि पहले के मुकाबले 2023-2024 में मुसलमानों की शिक्षा दर कुछ हद तक बढ़ी है, लेकिन यह संतोषजनक नहीं है.मुसलमानों को अपने बच्चों को इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए और संपन्न मुसलमानों को गरीबों के बच्चों की स्कूल की फीस का खर्चा उठाना चाहिए.मदरसों और मस्जिदों में अरबी, उर्दू के साथ-साथ हिंदी व अंग्रेजी और कम्प्यूटर शिक्षा की व्यवस्था करनी चाहिए. मुसलमानों को अपनी जमीन व जायदाद में लड़कों के साथ लड़कियों को भी हिस्सा देना चाहिए.
मौलाना ने आरोप लगाया कि लव-जिहाद, मॉब-लिंचिंग, धर्मांतरण, टेरर फंडिंग और आतंकवाद के नाम पर मुसलमानों को भयभीत और परेशान किया जा रहा है, इसको रोकना चाहिए कुछ कट्टरपंथी संगठन मुसलमानों की लड़कियों को डरा धमकाकर और लोक लुभावने सपने दिखाकर शादी की मुहिम चला रहे हैं, इसको चिन्हित करके इनके खिलाफ कार्रवाई की जाए. संविधान ने अल्पसंख्यकों को अपने संस्थान स्थापित करने की इजाजत दी है, इसमें सरकार को दखल देने की जरूरत नहीं है. इसके साथ ही मौलाना ने कहा कि 1991 के एक्ट के अनुसार धार्मिक स्थलों की यथास्थिति स्थिर रहनी चाहिए, इसके बावजूद कई मुकदमे कोर्ट में विचाराधीन हैं, इससे पूरे देश का माहौल खराब हो रहा है. पैग़ंबरे इस्लाम की शान में गुस्ताखी मुसलमान बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं, केंद्रीय सरकार “पैगम्बर ए इस्लाम बिल” संसद में लाए समान नागरिक संहिता मुसलमानों को मंजूर नहीं है.