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परमात्मा की भक्ति के स्वरूप में दर्पण एवं पंखा के द्वारा पूजा करें : आचार्य पदमभुषण रत्न सुरिश्वर  

परमात्मा की भक्ति के स्वरूप में दर्पण एवं पंखा के द्वारा पूजा करें : आचार्य पदमभुषण रत्न सुरिश्वर  

नवपद ओली के तीसरे दिन हुए विविध आयोजन

  उदयपुर । श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ स्थित आत्मवल्लभ सभागर में आचार्य पदमभुषण रत्न सुरिश्वर व प्रन्यास ऋषभ रत्न विजय, साध्वी कीर्तिरेखा श्रीजी संघ की निश्रा में मंगलवार को नवनद ओली के तीसरे दिन बुधवार को विशेष पूजा-अर्चना के साथ अनुष्ठान हुए। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे आरती, मंगल दीपक, सुबह सर्व औषधी से महाअभिषेक एवं अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। चवर, पंखी, मोर पंखी, सिद्धपद्ध की आराधना की एवं जीरा वाला पाश्र्वनाथ की प्रतिमा पर अष्ट प्रतिहार्य पूजन किया गया। आचार्य पदमभुषण रत्न सुरिश्वर ने दर्पण पूजा के महत्व के विवेचन करते हुए बताया कि परमात्मा के सन्मुख दर्पण रखते हुए यह विचार करना है कि हे स्वच्छ दर्शन। जब भी देखता हूँ तब जैसा हूँ वैसा दिखायी देता हूँ। प्रभु आप भी एकदम निर्मल व स्वच्छ दर्पण जैसे हैं। जब भी मैं आपके सामने देखता हूँ तब मैं भीतर से जैसा हूँ वैसा दिखता हूँ। हे आदर्श! आपको देखने के बाद मुझे ऐसा लगता है कि मेरी आत्मा चारों ओर से कर्म के कीचड़ गंदी बनी हुई है। हे बिमल दर्शन! कृपा का ऐसा पावन स्त्रोत बरसाईये कि जिसमें मेरे कार्य का कीचड़ धूल जाय, साफ़ हो जाय मेरी आत्मा स्वच्छ बन जाय ! प्रभु! आप इस क्षण में जैसे दिखते हैं वैसे ही सहा मेरे दिल के दर्पण में दिखते रहियेगा। प्रभु! आपके आगे दर्पण घरकर मैं अपना रूप मान अभिमान भी आपको अर्पण करता हूँ। पंखा नींझने के विषय में बताया कि परमात्मा जब दीक्षा ग्रहण करने के लिए शिविका प्रमाण कहते हैं, तब शिविका के अग्निकोने में एक युवान स्त्री रत्नमय पंखा हाथ में लेकर पवन डालनी हैं। सर्व सरकीओ के साथ वह गीत गाती है। इस प्रकार हमें दीक्षा कल्या से भावित होना है। परमात्मा को जन्म से पसीना नहीं होता, लेकिन मैं परमात्मा की सेवा करूँ. भक्ति करूँ. ऐसी भक्ति प्रदर्शित करने के लिए भगवान को पंखा बींझने में आता है। हमारे जीवन में परमात्मा की भक्ति ही सर्वोपरी है- कल्याणकारी है। इस वअवसर महासभा महामंत्री कुलदीप नाहर, महासभा अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या, राज लोढ़ा, चतर सिंह पामेचा, सतीस कच्छारा, श्याम हरकावत, भोपाल सिंह दलाल, श्रेयांश पोरवाल, प्रवीण हुमड़, भोपाल सिंह नाहर, प्रकाश नागोरी आदि मौजूद रहे।

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