जो अपने बड़ों की आज्ञा की अवज्ञा करता है उसका पतन निश्चत ही होता है : आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर
– आयड़ जैन तीर्थ में चातुर्मासिक प्रवचन की धूम जारी
– प्रतिदिन जैन महाभारत पर आधारित प्रवचन का हो रहा व्याख्यान
उदयपुर। श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में तपोगच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ में रामचन्द्र सुरिश्वर महाराज के समुदाय के पट्टधर, गीतार्थ प्रवर, प्रवचनप्रभावक आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर आदि ठाणा का चातुर्मास की धूम जारी है। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि सोमवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे संतों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई।
महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि आयोजित धर्मसभा में आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर ने जैन महाभारत पर आधारित प्रवचन में बताया कि जुआं खेलना बंध कर दो ऐसी भीष्मपिताहम की आज्ञा दुर्योधन ने तो नहीं मानी, युधिष्ठिर ने भी नहीं मानी। युधिष्ठिर यदि पितामह की यह आज्ञा का उल्लंगन करने की गलती नहीं करते तो न तो उन्हे वनवास मिलता और न ही महाभारत का युद्ध होता व न ही गुरुकुल का क्षय होता। जो वडिल अपने लिए पूजनिक है और सही में लायक भी है उनसे विरूद्ध नहीं जाना चाहिए। बड़ों की आज्ञा की पालना नहीं करने वाले मनुष्य का पतन निश्चत ही रूप से होता है। उनसे विरूद्ध जानेवाला इतना समझ ले कि खुद के कल्याण पर उसने फाटक लगा दिया है।
चातुर्मास समिति के अशोक जैन व प्रकाश नागोरी ने बताया कि चातुर्मास के दौरान प्रतिदिन सुबह 9.30 बजे आचार्य हितवर्धन सुरश्वर द्वारा जैन महाभारत पर रोचक प्रवचन हो रहे है। इस अवसर पर कुलदीप नाहर, अशोक जैन, प्रकाश नागोरी, सतीस कच्छारा, राजेन्द्र जवेरिया, चतर सिंह पामेचा, चन्द्र सिंह बोल्या, हिम्मत मुर्डिया, कैलाश मुर्डिया, श्याम हरकावत, भोपाल सिंह नाहर, अशोक धुपिया, गोवर्धन सिंह बोल्या आदि मौजूद रहे।