पवन जैन पदमावत बने आईजा के महाराष्ट्र प्रदेश सचिवपवन जैन पदमावत बने आईजा के महाराष्ट्र प्रदेश सचिव
मुंबई। जैन समाज के पत्रकारों की राष्ट्रीय संस्था ऑल इंडिया जैन जर्नलिस्ट एसोसिएशन (आईजा) ने पत्रकारिता और संगठनात्मक दृष्टि से एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है। पवन जैन पदमावत को आईजा महाराष्ट्र प्रदेश सचिव के रूप में नियुक्त किया गया है। यह नियुक्ति राष्ट्रीय अध्यक्ष हार्दिक हुंडिया के निर्देश पर और प्रदेश अध्यक्ष आलोक कासलीवाल की सिफारिश से की गई।
2015 के बाद आज पवन जैन की आईजा में घर वापसी हुई है। यह वापसी केवल एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि उन मूल्यों की वापसी है जो संगठन और समाज के बीच सेतु का कार्य करते हैं। पवन जैन का फिर से सक्रिय जुड़ाव आईजा में नई प्रेरणा और ऊर्जा का संचार करेगा।
पवन जैन पदमावत, जो पदमावत मीडिया के संस्थापक और प्रधान संपादक हैं, पिछले दो दशकों से पत्रकारिता को समाज सेवा का माध्यम मानते आए हैं। उन्होंने हमेशा ऐसे विषयों को उठाया है जो जन-सरोकार से जुड़े हों—चाहे वह भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज हो या सामाजिक विषमता पर प्रहार।
उनकी लेखनी में जहां एक ओर तथ्य और तर्क की शक्ति है, वहीं दूसरी ओर जैन धर्म की शिक्षाओं का आदर्श प्रतिबिंब भी झलकता है। अहिंसा, सत्य, संयम और अपरिग्रह—इन मूल्यों को वे न केवल लिखते हैं, बल्कि जीते भी हैं।
वे पत्रकार होने के साथ-साथ सामाजिक संगठन एंटी करप्शन एंड क्राइम कंट्रोल कमिटी के साथ भी वर्षों से सक्रिय हैं, जहाँ उन्होंने नागरिक अधिकारों, पारदर्शिता और नैतिक प्रशासन के लिए कई जागरूकता अभियान चलाए।
अपनी नियुक्ति पर पवन जैन ने कहा, आईजा मेरे लिए एक संस्था नहीं, बल्कि परिवार है। यह वापसी मेरे लिए भावनात्मक है। मैं चाहता हूँ कि पत्रकारिता केवल खबरों तक सीमित न रहे, बल्कि यह धर्म, संस्कृति और समाज निर्माण का माध्यम बने।
उन्होंने आगे कहा, हमारा उद्देश्य होगा कि युवा पीढ़ी जैन धर्म के मूल सिद्धांतों से जुड़े और पत्रकारिता के माध्यम से समाज को दिशा देने वाले विचार स्थापित किए जाएँ। आज जब नैतिकता और मूल्य कमजोर हो रहे हैं, तब जैन पत्रकारिता की भूमिका और भी अहम हो जाती है।
आईजा के महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष आलोक कासलीवाल ने कहा कि पवन जैन का अनुभव, दृष्टिकोण और समर्पण महाराष्ट्र इकाई को एक नई ऊँचाई देगा। वे न केवल पत्रकार हैं, बल्कि समाज को दिशा देने वाले विचारक भी हैं।
यह नियुक्ति जैन समाज के लिए एक गर्व का क्षण है। यह इस बात का संकेत है कि जब धर्म और पत्रकारिता एक साथ चलते हैं, तो न केवल सही सूचना पहुँचती है, बल्कि समाज की आत्मा भी जागृत होती है।