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विश्व आज भारत की ओर निहार रहा है, यह संघ की 100 वर्षों की अखण्ड साधना का प्रतिफल है – मुरलीधर 

विश्व आज भारत की ओर निहार रहा है, यह संघ की 100 वर्षों की अखण्ड साधना का प्रतिफल है – मुरलीधर 

  • राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का वर्ष प्रतिपदा उत्सव 
  • स्वयंसेवकों से सामाजिक परिवर्तन के पंच प्रण को पूरा करने का आह्वान 

उदयपुर । भारत हिन्दू राष्ट्र है। स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि गर्व से कहो – हम हिन्दू हैं। इसी संकल्प को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार ने दोहराया। डॉ. हेडगेवार कहते थे, देशभक्ति सिर्फ विचार-विमर्श का विषय नहीं है, यह आचरण का विषय है। व्यक्ति के आचरण में जब देश हित का भाव निहित होगा, तब देशभक्ति के आचरण से ओतप्रोत समाज का निर्माण होगा और आज समाज में इसी आचरण की आवश्यकता है।

यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, चित्तौड़ प्रान्त के प्रांत प्रचारक मुरलीधर ने रविवार को उदयपुर के महाराणा भूपाल स्टेडियम में आयोजित वर्ष प्रतिपदा उत्सव पर कही। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर डॉ. हेडगेवार के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में संघ की ओर से प्रतिवर्ष होने वाले इस आयोजन में मुख्य वक्ता के रूप में उन्होंने कहा कि डॉ. हेडगेवार के संकल्प और संघर्ष का प्रतिफल है कि आज संघ अपने 100 वर्ष पूर्ण करने जा रहा है और यह ऐसा समय है जब सम्पूर्ण विश्व भारत की ओर निहार रहा है।

उन्होंने ‘हमें वीर केशव मिले आप जब से, नई साधना की डगर मिल गई है’ गीत की पंक्तियों को उद्धृत करते हुए स्वयंसेवकों से पंच प्रण पूर्ण करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि स्वयंसेवकों को सामाजिक परिवर्तन के पांच आयामों पर अपने कार्य को केंद्रित रखना है। इन पांच आयामों में सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन, पर्यावरण संरक्षण, स्वदेशी आचरण, नागरिक कर्तव्य शामिल हैं।

उन्होनें 22 जनवरी को हुई श्री राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का उल्लेख करते हुए स्वयंसेवकों के संघर्ष को याद किया। अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के साथ भारत के अमृतकाल में प्रवेश और संघ के सौवें वर्ष की ओर बढ़ती यात्रा के समय में समाज को दिशा देने में संघ की भूमिका को गहनता से रेखांकित किया।

उन्होंने स्पष्ट किया कि समाज में विभेद के विरुद्ध विमर्श खड़ा करना तथा समरसता के लिए निरंतर प्रयास करना संघ का लक्ष्य है। अस्पृश्यता समाज के लिए कलंक है। संघ इसे सामाजिक समरसता के जरिये मिटाने के लिए प्रतिबद्ध है।

मुरलीधर ने कहा कि भारत हर क्षेत्र में आज अग्रणी है। तेजी से आर्थिक विकास कर रहा है। सामरिक और कूटनीतिक मोर्चों में बढ़ती क्षमता से विश्व परिचित है। ऐसे समय में भारतीय समाज को एकजुट होकर सामाजिक परिवर्तन के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में कार्य करना है। उन्होंने यह भी कहा कि हिन्दू विचार जब तक है, तब तक विश्व मे शांति है।

इससे पूर्व, मुख्य वक्ता मुरलीधर सहित संघ के विभाग संघचालक हेमेन्द्र श्रीमाली, महानगर संघचालक गोविन्द अग्रवाल ने संघ के संस्थापक डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार की तस्वीर पर पुष्प अर्पित किए और आद्य सरसंघचालक प्रणाम हुआ।

आद्य सरसंघचालक प्रणाम के समय घोष दल ने ‘केशवः’ रचना का वादन किया और ध्वजारोहण के समय घोष दल ने ‘ध्वजारोपणम्’ रचना का वादन किया। इसके बाद ध्वज प्रणाम के साथ घोष दल ने भी ‘ध्वज प्रणाम’ रचना का वादन किया। कार्यक्रम में अवतरण व काव्यगीत की भी प्रस्तुति हुई। प्रार्थना के बाद घोष दल के ‘ध्वजावतरण’ रचना के वादन के साथ ध्वजावतरण हुआ। कार्यक्रम में संघ की गणवेशधारी स्वयंसेवकों के साथ शहर के गणमान्य नागरिक व मातृशक्ति भी उपस्थित थीं। पंच प्रण पर आधारित रंगोली भी आकर्षण का केन्द्र रही।

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