फगवा हम मनाएंगे…
होली के दिन पांच हम मस्ती में बिताएंगे।
पूर्णिमा की रात हम होलिका जलाएंगे।
गूजा और पुआ से उनका भोग लगाएंगे।
फगवा हम मनाएंगे….
पकवान खिला अपने पिया को रिझाएंगे।
पड़वा के दिन सुबह से रंग खूब उड़ाएंगे।
सजना जी के साथ प्रेम से होली मनाएंगे।
फगवा हम मनाएंगे…..
सत्रह बरस बीत गए गुलाल लगाते लगाते,
आज रंग भरी बाल्टी से उनको नहलाएंगे।
लाल,हरे,पीले रंगों से उनको हम सजाएंगे।
फगवा हम मनाएंगे…..
भाई दूज पर्व पर हम भाइयों को बुलाएंगे।
लाल पीला गुलाल माथे तिलक लगाएंगे।
जुग जुग जिए भाई आशीष दिए जायेंगे।
फगवा हम मनाएंगे……
तीज के दिन हम अपने नंदोई को सताएंगे।
ननद को साथ मिलाकर उनको रंग लगाएंगे।
ननद और नंदोई के साथ हुडदंग मचाएंगे।
फगवा हम मनाएंगे…..
चतुर्थी का दिन थोड़ा हम शांति से बिताएंगे।
गणपति का व्रत रख श्रद्धा सुमन चढ़ाएंगे।
फूल और दूर्वा साथ लडुअन भोग लगाएंगे।
फगवा हम मनाएंगे…
रंग पंचमी के दिन फिर से रंग खूब जमाएंगे।
बच्चों के साथ मिल पिचकारी खूब चलाएंगे।
अपने घर आंगन को हम रंगो से नहलायेंगे।
फगवा हम मनाएंगे….
डॉ. अभिलाषा श्रीवास्तव
सहायक प्राध्यापक – हिंदी
अंबाह स्नातकोत्तर महाविद्यालय अंबाह