एक व्यक्ति ने अगरबत्ती की दुकान खोली, नाना प्रकार की अगरबत्तियां थीं। उसने दुकान के बाहर एक साइन बोर्ड लगाया “यहाँ सुगन्धित अगरबत्तियां मिलती हैं।”
दुकान चल निकली! एक दिन एक ग्राहक उसके दुकान पर आया और कहा आपने जो बोर्ड लगा रखा है, उसमें एक विरोधाभास है! भला अगरबत्ती सुगंधित नहीं होंगी तो क्या दुर्गन्धित होंगी ?
उसकी बात को उचित मानते हुए विक्रेता ने बोर्ड से सुगंधित शब्द मिटा दिया! अब बोर्ड इस प्रकार था “यहाँ अगरबत्तियां मिलती हैं!”
इसके कुछ दिनों के पश्चात किसी दूसरे सज्जन ने उससे कहा आपके बोर्ड पर “यहाँ” क्यों लिखा है ? दुकान जब यहीं है तब यहाँ लिखना निरर्थक है!
इस बात को भी अंगीकार कर विक्रेता ने बोर्ड पर यहाँ शब्द मिटा दिया! अब बोर्ड था “अगरबत्तियां मिलती हैं !”
पुनः उस व्यक्ति को एक रोचक परामर्श मिला अगरबत्तियां मिलती हैं का क्या प्रयोजन? अगरबत्ती लिखना ही पर्याप्त है! दूकान है तो मिलती ही हैं। अतः वह बोर्ड केवल एक शब्द के साथ रह गया
“अगरबत्ती।
विडम्बना देखिये! एक शिक्षक ग्राहक बन कर आये और अपना ज्ञान वमन किया दुकान जब मात्र अगरबत्तियों की है तो इसका बोर्ड लगाने का क्या लाभ ? लोग तो देखकर ही समझ जायेंगे कि मात्र अगरबत्तियों की दुकान है! इस प्रकार वह बोर्ड ही वहाँ से हट गया!
कालांतर में दुकान की बिक्री मंद पड़ने लगी और विक्रेता चिंतित रहने लगा!
एक दिन में उसका पुराना मित्र उसके पास आया। अनेक वर्षों के उपरांत वे मिल रहे थे!
मित्र से उसकी चिंता ना छिप सकी और उसने इसका कारण पूछा तो व्यवसाय के गिरावट का पता चला!
मित्र ने सबकुछ ध्यान से देखा और कहा तुम बिल्कुल ही मूर्ख हो! इतनी बड़ी दुकान खोल ली और बाहर एक बोर्ड नहीं लगा सकते थे यहाँ सुगंधित अगरबत्तियां मिलती हैं !!!
आपको जीवन में प्रत्येक पग पर सुझाव देने वाले मिलेंगे, जो उस विषय के विशेषज्ञ नहीं हैं परंतु लगेगा कि सारा विज्ञान, दर्शनशास्त्र, समाजशास्त्र इत्यादि उनमें ही अंतर्निहित है !
आप ऐसे व्यक्तियों की सुनेंगे या अनुपालन करेंगे तो आप के जीवन का बोर्ड भी गायब हो जाएगा। आपकी स्थिति भी उस विक्रेता की भाँति हो जायेगी!
आप किसी भी समस्या या विषय के निराकरण के लिये उससे सम्बन्धित विशेषज्ञों की सुनेंगे या अपने अंतः चेतन की! क्योंकि आपको आपसे अधिक कोई नहीं जानता !!!