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पढ़ने की उम्र में बच्चे सब्जी बेचने व कूड़ा कचरा बीनने को मजबूर, छिन रहा है बचपन

बिलग्राम कस्बे में कोरोना संक्रमण के बाद बचपन काम के बोझ तले पिस रहा है। बाल मजदूरी पर पाबंदी के बावजूद कूड़ा कचरा व कई दुकान, होटल, मोटर पार्टस शॉप और मशीनरी वर्क बच्चों के सहारे किए जा रहे हैं। इसलिए बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। खास बात यह है कि श्रम एवं बचपन बचाने के लिए गठित संस्थाएं इस दिशा में कोई सकारात्मक पहल नहीं कर रही हैं।कस्बे के सब्जी की दुकान लगाना व कारखाना, होटल, ढाबा, किराना दुकान, जूस दुकानें, ऑटो पार्ट्स की दुकानों ऑटो रिक्शा पर नाबालिग लड़कों से काम कराया जा रहा है। पढ़ने-लिखने की उम्र में बच्चों के हाथों में कलम और किताबें होना चाहिए। लेकिन वर्तमान में उनके हाथों मोटर पार्ट्स के सामान और मशीनों पर चल रहे हैं। जिससे उनके भविष्य को बिगाड़ा जा रहा है। मुख्य बाजार,में नाबालिक बच्चों से सब्जी व कचरा कूड़ा का काम कराया जा रहा है चौराहा, बस स्टैंड,हो या हलवाई की दुकान पर बाल मजदूरी आम है।
दुकानों पर मजदूरी करने वाले इन बच्चों का स्थानीय दुकानदारों एवं व्यापारियों द्वारा आर्थिक शोषण भी किया जा रहा है। घर-गृहस्थी में खर्च की जरूरत होने से यह बच्चे मजबूरी में भी कम मेहनताने में काम करने को तैयार हैं। कई बार नगर के समाजसेवियों ने इस संबंध में पूर्व में उच्च अधिकारियों को अवगत भी कराया है। लेकिन उसके बाद भी हालात जस के तस हैं।रात में भी करते हैं काम पढ़ने की उम्र में नाबालिग मजबूरी में होटल, ढाबा में काम कर रहे हैं। कई बच्चे तो रात 10 बजे तक दुकान और होटलों पर काम करते देखे जा सकते हैं।कुछ लोगो से बात की तो बताया है कि मजबूरी में लगा रहा हूं ठेला
मेरे पिता लंबे समय से बीमार चल रहे हैं। जिससे घर की आर्थिक स्थिति खराब हो गई थी। इस कारण से परिवार का पेट पालने के लिए मजबूरी में ठेला लगा रहा हूं, नाबालिग पिता कोई काम नहीं करते मैं घर में सबसे बड़ा हूं। मेरे पिता कोई काम नहीं करते हैं। जिससे परिवार के लोगों का पेट पालने के लिए दुकान पर काम कर रहा हूं। इस स्थिति में स्कूल कैसे जाना होगा। भारत कुमार, नाबालिग बाल मजदूरी अपराध है
नाबालिग से दुकानों,व विभिन्न जगहों आदि पर काम करना अपराध हैं। नगर में ऐसा हो रहा है, तो दोषियों कि खिलाफ कार्रवाई की जाएगी या नही

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