एशिया के दो सबसे अमीर बिजनेसमैन मुकेश अंबानी और गौतम अडाणी अब बिजनेस के सेक्टर में सीधी लड़ाई लड़ने वाले हैं। अभी तक एशिया में नंबर और नंबर दो के स्थान पर रहने वाले इन दोनों के एक दूसरे सेक्टर में उतरने से यह बिजनेस की दुश्मनी साबित होने वाली है।
दोनों मजबूत हैं। दोनों उसी राज्य से आते हैं, जिस राज्य से देश के प्रधानमंत्री आते हैं। इसलिए आने वाले समय में यह बहुत ही दिलचस्प किस्सा देखने को मिल सकता है।
मुकेश अंबानी ने पेश की ग्रीन एनर्जी की योजना
पेट्रोकेमिकल्स के बादशाह मुकेश अंबानी ने अपनी 44 वीं सालाना मीटिंग में ग्रीन एनर्जी के सेक्टर में आने की घोषणा की। वे इस सेक्टर में 75 हजार करोड़ रुपए का निवेश करेंगे। यह भारत के सबसे पावरफुल बिजनेसमैन के लिए कोई बहुत बड़ी रकम का मामला नहीं है। खासकर तब जब उन्होंने एक महामारी के दौरान 44 अरब डॉलर की पूंजी जुटाई है। साथ ही रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) की 180 अरब डॉलर की बैलेंस शीट को नेट डेट मुक्त कर दिया है।
निर्णायक बदलाव की शुरुआत
इस फैसले को भारत की बड़े पैमाने पर कोयले से चलने वाली अर्थव्यवस्था के एनर्जी सेक्टर में निर्णायक बदलाव लाने की शुरुआत जरूर कहा जा सकता है। क्योंकि अंबानी ने जब 4G टेलीकॉम में कदम रखा था तो उनकी सफलता के बारे में जानकारों ने आशंकाएं जताई थीं। तब कहा गया था कि जब दर्जनों कंपनियां पहले से ही मैदान में हैं तो यहाँ अंबानी की क्या जरूरत है।
पांच सालों में कई को दिवालिया किया अंबानी ने
महज पांच वर्षों में अंबानी के डिजिटल स्टार्टअप ने 42 करोड़ से अधिक ग्राहक हासिल कर लिए हैं। कई अन्य ऑपरेटरों को दिवालिया कर दिया है। अब जल्द ही गूगल के साथ साझेदारी में दुनिया के सबसे सस्ते स्मार्टफोन को लॉन्च भी करने वाले हैं। यदि उसी टेलीकॉम वाली दमखम अंबानी एनर्जी के क्षेत्र में दिखाते हैं तो यह उनके प्रतिद्वंदियों के लिए अवश्य ही एक अलार्म बजाने वाला संकेत है।
टोटल एनर्जी के साथ अडाणी
उन्हीं प्रतिद्वन्द्वियों में से एक फ्रांस की टोटल एनर्जी भी है। टोटल ने अदाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड में 20% हिस्सेदारी खरीदी है। इसने अडाणी के 25 गीगावाट सौर-ऊर्जा पोर्टफोलियो में कुछ परियोजनाओं में सीधे निवेश किया है। यह तीन वर्षों में 50 गुना बढ़ गया है। गौतम अडाणी इस साल की शुरुआत में अंबानी के बाद एशिया के दूसरे सबसे अमीर बिजनेसमैन बने हैं। उनकी कोशिश है कि वे 2030 तक दुनिया का सबसे बड़ा रिन्यूएबल एनर्जी उत्पादक बनना चाहते हैं।
अंबानी अडाणी के रास्ते में
सवाल यह उठना लाजिमी है कि क्या अब अंबानी उनके रास्ते में आ जाएंगे? दोनों खरबपति अब तक बड़े पैमाने पर अलग-अलग क्षेत्रों में काम करते आ रहे हैं। अंबानी ने रिटेल और टेलीकॉम जैसे ग्राहक के बिजनेस में सिक्का जमाया है। अदाणी ने इंफ्रा और यूटीलिटीज के सेक्टर में कामयाबी पाई है। स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में अंबानी के आने से दोनों एक ही फील्ड में आ जाएंगे। हालांकि अंबानी की शुरुआती योजनाएं उतनी आक्रामक नहीं हैं। वह 2030 तक मोदी के 450 गीगावाट के ग्रीन एनर्जी लक्ष्य के 100 गीगावाट को पूरा करना चाहते हैं। ऐसा शायद इसलिए है क्योंकि उन्हें अभी तक पॉलिसी का पूरा सपोर्ट नहीं मिला है।
90 अरब डॉलर का खर्च
पिछले एक दशक में 90 बिलियन डॉलर खर्च करने के बाद रिलायंस इंडस्ट्रीज का कहना है कि उसके पास अगले 10 वर्षों में और 200 बिलियन डॉलर के निवेश को प्रभावित करने की क्षमता है। कम्पनी के पास पैसा है और गूगल तथा फेसबुक इंक जैसे प्रभावशाली दोस्त भी हैं। सऊदी अरब की ऑयल कंपनी के प्रमुख यासिर अल-रुमायन रिलायंस बोर्ड में शामिल हो रहे हैं। इसका एक ही लक्ष्य जो अभी तक पूरा नहीं हो पाया है वह है अरामको के साथ डील। दो सालों से रिलायंस अरामको को 15 पर्सेंट हिस्सा बेचने की योजना पर काम कर रही है।
13 अरब डॉलर का इबिट्डा
इस नए कदम को पूरा करने के लिए रिलायंस के पास सालाना 13 अरब डॉलर का टैक्स से पहले का इबिट्डा है। इसके विदेशी मुद्रा कर्ज को फिच रेटिंग्स द्वारा बीबीबी का दर्जा दिया गया है। यह रेटिंग भारत सरकार से एक पायदान अधिक है। इस बीच अदाणी ग्रुप में लिस्टेड कंपनियों के पास सालाना इबिट्डा 3.5 अरब डॉलर से थोड़ा अधिक है। कुल शुद्ध कर्ज 19 अरब डॉलर से अधिक है।
ई-कॉमर्स में वॉलमार्ट से लड़ाई
रिलायंस ई-कॉमर्स में के क्षेत्र में अमेजन और वॉलमार्ट से लड़ाई लड़ रही है। जल्द ही जियो फोन नेक्स्ट के साथ शाओमी को चुनौती देने वाली है। इसे गूगल द्वारा 2G डिवाइस पर अभी भी 30 करोड़ भारतीयों के लिए बनाया गया है। भारत में 5G के क्षेत्र में सबसे पहला खिलाड़ी अंबानी बनना चाहते हैं। उनका लक्ष्य वैश्विक स्तर पर हुआवे जैसी अन्य टेलीकॉम कंपनियों को टक्कर देना है। उधर, अडाणी और भी तरक्की करना चाहते हैं क्योंकि वह अपने पोर्ट बिजनेस के पैसे को कहीं और लगाना चाहते हैं।
65 साल के हो चुके हैं अंबानी
अब सवाल यह उठता है कि अंबानी इतनी जल्दी में क्यों हैं? 65 साल के हो चुके अंबानी शायद उत्तराधिकारी योजना के बारे में गंभीरता से सोच रहे हैं। परिवार की संपत्ति के बंटवारे के लिए उनके छोटे भाई अनिल अंबानी के साथ हुई पिछली लड़ाई उन्हें इस बात की याद दिलाती है कि उन्हें अपने तीन बड़े बच्चों में से प्रत्येक को क्या कब और कैसे देना है। यह भी याद करने वाली बात है कि अंबानी ने इस सप्ताह चार गीगा फैक्ट्रियों की घोषणा की है। यही अडाणी के लिए चुनौती पेश कर सकती है।
अडाणी पीवीसी बिजनेस में
अडाणी ग्रुप की अडाणी इंटरप्राइजेज पॉली विनी क्लोराइड (PVC) बिजनेस में उतर रही है। इसमें वह करीबन 29 हजार करोड़ रुपए का निवेश करेगी। अंबानी की कंपनी रिलायंस पहले से ही इस बिजनेस में है। अडाणी 2000 किलो टन सालाना की क्षमता वाली परियोजना इसके लिए तैयार कर रहे हैं। इसके लिए वे ऑस्ट्रेलिया, रसिया और अन्य देशों से कोयला मंगाएंगे।