गूगल मैपिंग और जोनल इंटीग्रेटेड पुलिस नेटवर्क की मदद से ऑपरेशन मिलाप टीम ने श्रीनगर एयरपोर्ट के पास दो में से एक लापता लड़की के मोबाइल नंबर का पता लगाया. टीम मौके पर पहुंची तो उनकी मोबाइल लोकेशन अमृतसर, पंजाब में तब्दील हो गयी. तुरंत, टीम पंजाब के लिए रवाना हो गई. टीम ने अमृतसर से लड़कियों का सुरक्षित पता लगाने में सफलता हासिल की.
नई दिल्ली. दिल्ली में आए दिन लापता बच्चों की संख्या बढ़ रही है. दिल्ली पुलिस भी इन बच्चों की तलाश में पुरजोर कोशिश में जुटी रहती है. दिल्ली पुलिस के साउथ ईस्ट जिला पुलिस की ऑपरेशन मिलाप टीम ने अब ऐसी दो लड़कियों को उनके परिजनों से मिलाया है जोकि 19 जुलाई से लापता थीं.
इन दोनों लापता लड़कियों को ऑपरेशन मिलाप टीम ने अमृतसर से ढूंढ निकाला है दोनों की उम्र 15 साल और दोनों लड़कियां नाबालिक है जिनकी उम्र 15 और 17 साल है.
साउथ ईस्ट जिला डीसीपी आरपी मीणा ने बताया किलापता बच्चों के मामलों में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए एक समर्पित टीम बनाई गई जिसमें एएसआई सतेंद्र, एएसआई लायक अली, महिला प्रधान सिपाही रीना, सिपाही मनीष, सिपाही सज्जन व सिपाही मनोज शामिल थे. एसएचओ/सरिता विहार के नेतृत्व में टीम ने दो लापता लड़कियों का पता लगाया और उन्हें उनके परिवार से पुन: मिला दिया.
डीसीपी के मुताबिक 19 जुलाई को थाना सरिता विहार में क्रमश: 15 वर्ष एवं 17 वर्ष की दो बालिकाओं के गुम होने की शिकायत प्राप्त हुई थी. थाना सरिता विहार में प्राथमिकी संख्या 264/2021 धारा 363 आईपीसी दर्ज की गई और लापता लड़कियों की तलाश शुरू की गई.
टीम ने कार्य के संचालन में गुप्त मुखबिरों को शामिल किया. पास में लगे कैमरों के सीसीटीवी फुटेज का विश्लेषण किया गया और लापता लड़कियों के मोबाइल नंबरों की निगरानी की गई. कई संदिग्ध व्यक्तियों के संपर्क नंबरों पर भी नजर रखी गई. आखिर गूगल मैपिंग (Goggle Mapping) और जोनल इंटीग्रेटेड पुलिस नेटवर्क (ZIP Net) की मदद से टीम ने श्रीनगर एयरपोर्ट (Srinagar Airport) के पास एक लापता लड़की के मोबाइल नंबर का पता लगाया. टीम मौके पर पहुंची.
इस बीच, उनकी मोबाइल लोकेशन अमृतसर, पंजाब में तब्दील हो गयी. तुरंत, टीम पंजाब के लिए रवाना हो गई. टीम को आखिर सफलता हाथ लगी. टीम ने पूरी कोशिश करने के बाद पंजाब के अमृतसर से लड़कियों का सुरक्षित पता लगाने में सफलता हासिल की. जांच करने पर, लड़कियों ने खुलासा किया कि वे गरीब पृष्ठभूमि के कारण अपने मूल स्थान को छोड़कर निजी नौकरी की तलाश में श्रीनगर और फिर अमृतसर चली गईं थीं.