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जयगच्छीय आचार्य जीतमल महाराज का 112वां जन्म दिवस मनाया गया

जयगच्छीय आचार्य जीतमल महाराज का 112वां जन्म दिवस मनाया गया

नागौर । श्वेतांबर स्थानकवासी स्थानकवासी जयमल जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में जयगच्छीय नवम् पट्टधर आचार्य जीतमल महाराज का 112वां जन्म-दिवस शुक्रवार को मनाया गया।जयगच्छीय साध्वी डॉ.बिंदुप्रभा एवं साध्वी हेमप्रभा के सानिध्य में जन्मदिवस पर विभिन्न आयोजन हुए। जयमल जैन पौषधशाला में प्रवचन सभा को संबोधित करते हुए साध्वी बिंदुप्रभा ने कहा कि आचार्य जीतमल महाराज का जीवन भी एक सागर है। ज्ञान का, दर्शन का और चारित्र का अक्षय कोष था। उनका जीवन त्याग, तपस्या, सेवा, संयम, सरलता, मृदुता एवं सदाचरण का जीता जागता ज्वलंत उदाहरण है। आचार्य जीतमल महाराज के जन्म, वैराग्य, दीक्षा और साधना को दर्शाते हुए साध्वी ने कहा कि 8 वर्ष की आयु में अपनी माता भीखी बाई के साथ स्वामीवर्य नथमल महाराज के सान्निध्य में संसार से विरक्ति पाना और साथ ही साथ जैन भागवती दीक्षा के लिए आज्ञा मांगना अपने आप में एक आदर्श है। खेलने कूदने की उम्र में आत्म उत्थान हेतु वो समझ आना वास्तव में पूर्व भवों की पुण्यवानी दिखाती है। बालक गणेशमल की आत्म रमणता ही दीक्षा के पूर्व की रात्रि में एक नया चिंतन देता है। कि यह जीव अब तक जन्म-जन्मान्तरों से सोता ही तो आ रहा है, कितनी लंबी-गहरी नींद ले चुका है और नींद में कितने ही मायावी सपनों की भूलभूलैया में फंस चुका है। तभी एक संकल्प के साथ वह बालक अपने आप को बदलने की सोच रखता है। उन सपनों को भूल कर सपनों की उलझन को सुलझाने का विचार उन्हें यथार्थता तक ले जाता है। दीक्षा के बाद नामकरण हुआ “मुनि जीतमल” और जीत का मतलब है विजय, सिद्धि। यथा नाम तथा गुण के अनुरूप जब विक्रम संवत 2033 में रायपुर, मारवाड़ में चैत्र शुक्ल 13 के दिन आचार्य पद प्रदान किया गया, तब से उन्होंने जय संघ को एक नई चेतना प्रदान करते हुए जन जन के भीतर धर्म को जागृत किया।

प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता के विजेता पुरस्कृत
मंच का संचालन प्रकाशचंद बोहरा ने किया। प्रवचन में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर अमीचंद सुराणा, महावीरचंद भूरट, रेखा सुराणा एवं मंजूदेवी ललवानी ने दिए। प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता के विजेताओं को ललितकुमार, विदित, निमित सुराणा परिवार द्वारा पुरस्कृत किया गया। आगंतुकों के भोजन का लाभ नरपतचंद, प्रमोद, सुनील ललवानी परिवार ने लिया। इस मौके पर किशोरचंद ललवानी, धनराज सुराणा, फतेहचंद छोरिया, पूनमचंद बैद सहित अन्य श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित रहें।

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