धर्म जीवन के प्रत्येक पल, प्रत्येक व्यवहार में होना चाहिए- साध्वी डॉ.बिंदुप्रभा
जयमल जैन पौषधशाला में प्रवचन जारी
नागौर । आचार्य जयमल जैन मार्ग स्थित जयमल जैन पौषधशाला में श्वेतांबर स्थानकवासी जयमल जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में चातुर्मासिक कार्यक्रम जारी है। सोमवार प्रातः 9 बजे से 10 बजे तक धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए जयगच्छीय जैन साध्वी डॉ.बिंदुप्रभा ने कहा कि जीवन शाश्वत नहीं है। सत्ता और दौलत शाश्वत नहीं है, रिश्ते नाते शाश्वत नहीं है – सब क्षणभंगुर है। इस परिवर्तनशील विश्व में केवल धर्म ही शाश्वत है। जो दुर्गति में गिरने वाले को धारण करें वह धर्म कहलाता है। महाभारत के अनुसार जिसका लक्षण अहिंसा है, वहीं धर्म है। मनुष्य अपनी स्थिति में चल रहा है, पृथ्वी अपनी धुरी पर स्थिर है, सूर्य अपने मंडल में गतिशील है, हवा चल रही है, अग्नि जल रही है, ऋतुएं अपना अपना प्रभाव समयानुसार दिखा रही है – ये संतुलन धर्म के कारण से है। साध्वी ने कहा कि शरीर के पोषण के लिए धन आवश्यक है और आत्मा के पोषण के लिए धर्म आवश्यक है। धर्म उत्कृष्ट मंगल है। मंगल वह है जिससे विघ्न दूर हो। सांसारिक एवं आध्यात्मिक दोनों ही दृष्टि से मंगल का महत्व है। हर एक साधक का जीवन धर्ममय होने से खुशहाली गगन चूम लेती है। धर्म माता की तरह पोषण करती है। पिता की तरह रक्षा और मित्र की तरह प्रसन्न रखता है तथा संकट से बचाता है।
डॉ.पदमचंद्र महाराज का जन्मदिवस मंगलवार को
मंच का संचालन संजय पींचा ने किया। प्रवचन में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर रीता ललवानी, रेखा सुराणा, तोषिना ललवानी एवं मनोज ललवानी ने दिए। शोभादेवी पारख के जन्मदिन के उपलक्ष्य में प्रवचन की प्रभावना एवं प्रश्नोत्तर प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत करने के लाभार्थी किशोरचंद, पवनकुमार, अरिहंत पारख परिवार रहें। पांचीदेवी ललवानी के तेले तप की तपस्या का बहुमान रीता ललवानी ने तेले तप की बोली से किया। आगंतुकों के भोजन का लाभ नरपतचंद, प्रमोद, सुनील ललवानी परिवार ने लिया। संघ मंत्री हरकचंद ललवानी ने बताया कि मंगलवार को जयगच्छीय जैन संत डॉ.पदमचंद्र महाराज के 58वें जन्मदिवस के उपलक्ष्य में एकासन तप का आयोजन किया जाएगा। साथ ही जन्मदिन पर 11 लक्की ड्रा प्रवचन के दौरान निकाले जाएंगे। सभी विजेताओं को पुरस्कृत किया जाएगा। इस मौके पर नरेन्द्र चौरड़िया, निर्मलचंद चौरड़िया, किशोर सुराणा, पार्षद दीपक सैनी सहित अन्य श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित रहें।