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मामा श्री के घर जैसे भांजे पहुंचे हों… जश्न मनाइए, चंद्रयान-3 की कामयाबी आने वाली पीढ़ियां याद रखेंग

मामा श्री के घर जैसे भांजे पहुंचे हों… जश्न मनाइए, चंद्रयान-3 की कामयाबी आने वाली पीढ़ियां याद रखेंग

नई दिल्ली । बच्चों ने जो कहानियां अपनी दादी या नानी से सुनी थीं, उसी चंदा मामा के घर आज हम पहुंच गए। जी हां, चांद पर अपने चंद्रयान-3 के कदम पड़ गए हैं। रोवर प्रज्ञान को लेकर विक्रम लैंडर चांद की सतह पर उतर गया है। जैसे ही सिग्नल मिला, इसरो के मिशन कंट्रोल में बैठे साइंटिस्ट ही नहीं टीवी से चिपके करोड़ों लोग तालियां बजाने लगे। भारतीयों की बरसों की तमन्ना पूरी हो गई। कुछ वैसी ही खुशी हो रही है जैसा मामाश्री के घर पहुंचने पर बच्चों को होती है। पूरा भारत जश्न मना रहा है। इस बार दिवाली पहले आ गई है। 15 मिनट के उस आखिरी पलों में देशवासियों की धड़कनें बढ़ी हुई थीं लेकिन इस बार इसरो ने इतिहास रच दिया। हमारे वैज्ञानिकों ने दिखा दिया कि जो काम अमेरिका और रूस जैसे देश नहीं कर सकते, वो भारत कर सकता है। जी हां, गर्व कीजिए हमारा यान तिरंगा लेकर चांद के रहस्यमय क्षेत्र दक्षिणी ध्रुव पर उतरा है। कुछ दिन पहले ही रूस का लूना-25 यान चांद पर क्रैश हो गया था लेकिन भारत नाकामी से हारकर बैठने वालों में से नहीं है। चंद्रयान-2 की खामियों को सुधारकर विक्रम के पैरों में ‘अंगद’ की पावर देकर यान को रवाना किया गया था। आज हमारे वैज्ञानिकों ने साबित कर दिया कि कोशिश करने वालों की हार नहीं होती। ऐसे समय में बचपन में पढ़ी वो कविता भी दोहरा लीजिए क्योंकि अब चंदा मामा दूर के नहीं रहे। हम उनके पास पहुंच गए हैं।

चंदा मामा दूर के
साथ लिए आए तारे
जलते दिए कपूर के
चंदा मामा दूर के।

वो गीत बदल दो, अब चंदा मामा दूर नहीं
जो चांद पर पहुंचे उनके सामने दुनिया ने सर झुकाया है… जब पूरब और पश्चिम फिल्म में यह डायलॉग मनोज कुमार बोलते हैं तो प्राण का जवाब होता है- है कोई ऐसी बात तुम्हारे देश की, जिस पर कि सर ऊंचा कर सको। इसके बाद मनोज कुमार पर फिल्माया गीत दशकों से भारतीयों की जुबान पर रहा है। उसी गीत में एक लाइन आती है- तारों की भाषा भारत ने दुनिया को पहले सिखलाई, देता न दशमलव भारत तो यूं चांद पे जाना मुश्किल था। धरती और चांद की दूरी का अंदाजा लगाना मुश्किल था। आगे जब फिल्में बनेंगी तो उसकी लाइन जरूर आगे बढ़ाई जाएगी। भारत के चांद पर पहुंचने की गौरवगाथा जरूर दोहराई जाएगी। हमारा सौभाग्य है कि हम ऐसे समय में जन्मे जब देश चांद पर पहुंचा है। आज हमारे पुरखे जहां भी होंगे, गर्व महसूस कर रहे होंगे। विक्रम साराभाई से लेकर अब्दुल कलाम को आज पूरा देश याद कर रहा है।

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