गाँव-शहर के बीच झूलता मन – राजलाल सिंह पटेल
जब जब शहर में जाकर
ठहरता हूं कुछ दिन
हर बार लगता है
लौटूंगा कभी
गाँव!
और ऐसा लौटूंगा कि
दोबारा शहर में ना टिकना पड़े।
ऐसा लौटूं कि टिक जाऊं वहीं,
जीवन से मृत्यु तक के लिए।
लेकिन जब लौटता हूं गाँव
तो मन शहर और गाँव के बीच झूलता रहता है
और मैं तौलता हूं दोनों जगहों को।
मन, दिमाग, परिवार, समाज, और अर्थ के तराज़ू में
और जैसे ही पलड़ा शहर की ओर
झुकने को होता है।
मैं भाग जाता हूं सड़क के पास वाले खेत में
और बीच खेत में खड़े-खड़े सोचता हूं,
कि किसी दिन ऐसे लौटूंगा कि इसी खेत में जम जाऊंगा।
जब जब शहर में जाकर
ठहरता हूं कुछ दिन।
राजलाल सिंह पटेल,
संस्थापक सह-राष्ट्रीय अध्यक्ष:
एंटी करप्शन एंड क्राइम कंट्रोल कमिटी