धर्म शुद्ध हृदय में ठहरता है- साध्वी डॉ.बिंदुप्रभा
जयमल जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में आयोजन
नागौर । जयगच्छीय जैन साध्वी डॉ.बिंदुप्रभा ने बुधवार को जयमल जैन पौषधशाला में प्रवचन सभा को संबोधित करते हुए कहा कि धर्म शुद्ध हृदय में ठहरता है। यदि मन में मलिनता हो तो जीवन में धर्म स्पर्श ही नहीं होता। आत्मा जब तक अशुद्ध दशा में बरतती है, विभाव दशा में रहती है तो संसारी कहलाती है। परम शुद्ध दशा को प्राप्त कर स्वभाव में स्थित हो जाना परमात्मा कहलाती है। तर्क उस दशा का वर्णन नहीं कर सकती और मति उसका अनुभव ग्रहण नहीं कर सकती। साध्वी ने आत्मा की पांच श्रेणियों का विवेचन करते हुए कहा कि प्रसुप्त एवं सुप्त आत्मा मोह निद्रा में सोए होने की वजह से आत्म बोध प्राप्त नहीं करते। जागृत आत्मा की दशा से अनंत काल से चढ़ी हुई मिथ्यात्व की परतें टूट जाती हैं। आत्मा अपने स्वरूप का बोध प्राप्त कर जाग उठती है। उत्थित आत्मा की श्रेणी में साधक को प्रमाद त्यागने का संदेश दिया जाता है। और अंतिम समुत्थित आत्मा की श्रेणी श्रेष्ठ श्रेणी कही जाती है। जिसमें साधक मोक्ष मार्ग पर कदम बढ़ाने की तैयारी करता है।
चातुर्मासिक दैनिक कार्यक्रम जारी
मंच का संचालन संजय पींचा ने किया। प्रवचन की प्रभावना दशरथचंद, वीरेंद्रकुमार, अजय, सुरेश लोढ़ा परिवार द्वारा वितरित की गयीं। प्रवचन में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर प्रकाशचंद बोहरा, हरकचंद ललवानी, रेखा लोढ़ा एवं चंचलदेवी बेताला ने दिए। प्रश्नोत्तर प्रतियोगिता के विजेताओं को मोतीमल, मनोज, जितेंद्र ललवानी परिवार द्वारा पुरस्कृत किया गया। आगंतुकों के भोजन का लाभ नरपतचंद, प्रमोद ललवानी परिवार ने लिया। मुदित पींचा ने बताया कि चातुर्मासिक दैनिक कार्यक्रम जारी है। जयमल जैन पौषधशाला में प्रातः 6.15 बजे से प्रार्थना एवं 9 बजे से 10 बजे तक प्रवचन का आयोजन किया जा रहा है। दोपहर 1.30 बजे से 2 बजे तक साध्वी वृंद द्वारा ज्ञान-ध्यान सिखाया जा रहा है। दोपहर 2 बजे से 3 बजे तक महाचमत्कारिक जयमल जाप का अनुष्ठान निरंतर जारी है। सूर्यास्त पश्चात पुरूष वर्ग का प्रतिक्रमण जयमल जैन पौषधशाला में एवं महिला वर्ग का प्रतिक्रमण रावत स्मृति भवन में प्रतिदिन हो रहा है। इस मौके पर प्रेमचंद चौरड़िया, भीखमचंद ललवानी, प्रदीप बोहरा, ज्ञानचंद माली, पार्षद दीपक सैनी सहित अन्य श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित रहें।