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राजस्थान चुनाव 2023 से पहले सांसद देवजी पटेल के विरोध में इस्तीफा देने वाले 6 मंडल अध्यक्षों को लगा झटका, BJP ने की नई नियुक्ति

राजस्थान चुनाव 2023 से पहले सांसद देवजी पटेल के विरोध में इस्तीफा देने वाले 6 मंडल अध्यक्षों को लगा झटका, BJP ने की नई नियुक्ति

राजस्थान इलेक्शन डेस्क । सांसद देवजी पटेल को राजस्थान की सांचौर विधानसभा सीट से टिकट मिलने पर इस्तीफा देने वाले 6 मंडल अध्यक्षों को भारतीय जनता पार्टी ने बड़ा झटका दिया है. पार्टी ने 24 घंटे के अंदर ही नए मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति कर दी है.

जिलाध्यक्ष श्रवण सिंह राव ने सोमवार सवेरे सांचौर ग्रामीण, अरणाय, चितलवाना, केसुरी, टांपी-डूंगरी और सांचौर नगर मंडल में नए अध्यक्ष के नामों की लिस्ट जारी करते हुए ये जानकारी साझा की है.

बागी नेताओं को सियासी संकेत 

इन नियुक्तियों के जरिए बीजेपी ने बगावत करने वाले नेताओं को एक बड़ा सियासी संदेश देने की कोशिश की है. पार्टी ने साफ किया है कि वह पटेल को टिकट देने का अपना फैसला नहीं बदलने वाली है. ऐसे में संचौर के स्थानीय नेताओं में हड़कंप की स्थिति बन गई है. पूर्व विधायक जीवाराम चौधरी पहले ही 30 अक्टूबर तक टिकट नहीं बदलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं. लेकिन बीजेपी की नई नियुक्तियों के बाद मिले संकेत से बागियों की ताल कुछ हल्की पड़ सकती है.

2 मंडल अध्यक्षों ने नहीं दिया इस्तीफा

बताते चलें कि मंडल अध्यक्षों ने बीते शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपने इस्तीफे की जानकारी दी थी. उन्होंने बताया था कि सभी 6 सदस्यों ने बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी को इस्तीफा भेज दिया है. मालूम हो कि सांचौर विधानसभा क्षेत्र में कुल 8 मंडल अध्यक्ष हैं, जिसमें से 6 ने इस्तीफा दिया है. इस्तीफा देने वाले लोग पूर्व विधायक जीवाराम चौधरी और पूर्व बीजेपी प्रत्याशी दानाराम चौधरी को टिकट देने की मांग कर रहे हैं. सांचौर में भाजपा से इस्तीफा देने वाले मंडल अध्यक्षों में पुरेंद्र व्यास, सांवलाराम देवासी, डुगराराम जाट, देवेंद्र सिंह, जैसाराम भील, माधाराम पुरोहित शामिल हैं.

सांचौर सीट पर जीवाराम का वर्चस्व

सांचौर विधानसभा क्षेत्र में जीवाराम एक जननेता के तौर पर माने जाते हैं. वर्ष 2003 के बाद से हुए चार विधानसभा चुनावों में जीवाराम ने इस सीट से दो बार निर्दलीय और दो बार भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा है. भाजपा ने पहली बार 2003 में जीवाराम को टिकट दिया था. उस चुनाव में कांग्रेस के हीरालाल विश्नोई को करीब 45 हजार वोटों से हराकर जीवाराम जीत गए थे. लेकिन बीजेपी ने 2008 में जीवाराम का टिकट काटकर मिलापचंद जैन को दे दिया. इसके बाद नाराज जीवाराम ने बीजेपी से बागी होते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ा और कांग्रेस के सुखराम विश्श्नोई को हराकर विधायक बने. इस चुनाव में बीजेपी का प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहा था. 2013 में एक बार फिर से बीजेपी ने जीवाराम चौधरी को टिकट दिया, लेकिन इस बार चौधरी कांग्रेस के सुखराम विश्श्नोई से चुनाव हार गए. 2018 में बीजेपी ने सांचौर विधानसभा से दानाराम चौधरी को अपना उम्मीदवार बनाया, लेकिन एक बार फिर से जीवाराम ने निर्दलीय के तौर पर ताल ठोक दी. बीजेपी की आपसी फूट का फायदा कांग्रेस को मिला और सुखराम विश्श्नोई चुनाव जीत गए. अब फिर बीजेपी ने किसी और को टिकट दे दिया है, जिसका जमकर विरोध किया जा रहा है.

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