श्री केसरीयानाथ भक्त मंडल 13 मार्च को मुंबई से शंखेश्वर व केसरियाजी के लिऐ प्रस्थान
कल्याण/महाराष्ट्र : श्री केसरीयानाथ भक्त मंडल, कल्याण द्वारा प्रथम जैन तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव के जन्म दिवस पर प्रतिवर्ष आयोजित होने वाला प्रसिद्ध जैन तीर्थ ऋषभदेव का मेला चैत्र कृष्ण अष्टमी दिनांक 15 मार्च को होगा। श्री केसरीयानाथ भक्त मंडल, कल्याण के कार्यकर्ता 13 मार्च को कल्याण से शंखेश्वर के लिए प्रस्थान करेंगे। शंखेश्वर में पूजा-अर्चना करने के पश्चात वहां से ऋषभदेव जी के लिए प्रस्थान करेंगे । श्री केसरीयानाथ भक्त मंडल, कल्याण द्वारा प्रथम जैन तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव के जन्म दिवस का प्रोगाम बड़े धूमधाम से मनाया जाएगा। आपको बता दें श्री केसरीयानाथ भक्त मंडल, कल्याण यह मंडल 26 वर्ष पहले स्व.श्री निलेश जैन उर्फ (कालिया बाबा) के द्वारा बनाया गया था और आज तक यह मंडल जारी रखा गया है। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी मंडल के सभी कार्यकर्ता एकत्रित होकर बड़े धूमधाम से कार्यक्रम करेंगे। उदयपुर से लगभग 40 किमी दूर गाँव धूलेव में स्थित भगवान ऋषभदेव का यह मंदिर केसरिया जी या केसरिया नाथ के नाम से जाना जाता है। यह प्राचीन तीर्थ अरावली की कंदराओं के मध्य कोयल नदी के किनारे पर है। ऋषभदेव मंदिर को जैन धर्म का प्रमुख तीर्थ माना जाता है। उनके नाम से यह जगह इतनी जानी जाती है कि आसपास के इलाकों में इस गांव को अपने नाम से न जानकर लोग केवल ऋषभदेव के नाम से भी जानते हैं। यह मंदिर न केवल जैन धर्मावलंबियों, बल्कि वैष्णव हिंदुओं और मीणा व भील आदिवासियों व अन्य जातियों द्वारा भी पूजा जाता है। ऋषभदेव को तीर्थयात्रियों द्वारा अत्यधिक मात्रा में केसर चढ़ाए जाने के कारण केसरियाजी कहा जाता है। यहां प्रथम जैन तीर्थंकर आदिनाथ या ऋषभदेव की काले रंग की प्रतिमा स्थापित है। यहां के आदिवासियों के लिए केसरियाजी कालिया बाबा के नाम से प्रसिद्ध हैं। मंदिर में खुदे अभिलेख इसे विक्रम संवत 1676 में बना बताते हैं। यहां तीर्थंकरों की 22 और देवकुलिकाओं की 54 मूतियां स्थापित हैं, जिनमें 62 में लेख उपलब्ध हैं, जो बताते हैं कि ये मूर्तियां विक्रम संवत 1611 से 1863 के बीच बनाई गई हैं। प्रथम जैन तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव प्रतिवर्ष आयोजित होने वाला प्रसिद्ध जैन तीर्थ ऋषभदेव का मेला चैत्र कृष्ण अष्टमी दिनांक 15 मार्च को है। जिसमें सैंकड़ों की संख्या में भक्तों ने मंदिर में पहुँच कर पूजा-अर्चना करेगे।