उदयपुर के सतत विकास के लिए प्रमुख सरकारी बंगलों का पुनःउपयोग: एक दूरदर्शी प्रस्ताव – यशवर्धन राणावत
उदयपुर अपनी समृद्ध विरासत और पर्यटन के लिए प्रसिद्ध है । इस शहर को विकास और संरक्षण के बीच संतुलन बनाना आवश्यक है। इस संदर्भ में, पी.पी. सिंघल रोड स्थित एसपी बंगला, ट्राइडेंट रोड स्थित आईजी बंगला, तथा कोर्ट भवन के पास स्थित कलेक्टर बंगला अत्यंत महत्वपूर्ण स्थानों पर स्थित हैं, जिन्हें नए स्वरूप में ढालकर शहर के सतत विकास में योगदान दिया जा सकता है।
दृष्टिकोण
इस प्रस्ताव के तहत, राज्य सरकार द्वारा इन ऐतिहासिक बंगलों को संग्रहालय, बहु-स्तरीय पार्किंग और पर्यटक-हितैषी स्थलों के रूप में विकसित किया जा सकता है। वहीं, प्रशासनिक अधिकारियों के आवासों को 100 फीट रोड और सौभागपुरा सर्कल जैसे विकसित क्षेत्रों में अत्याधुनिक अपार्टमेंट परिसरों में स्थानांतरित किया जा सकता है।
प्रस्ताव के लाभ
1. प्रमुख स्थानों का सर्वोत्तम उपयोग
• वर्तमान में ये सरकारी बंगले विशाल क्षेत्र में फैले हुए हैं, जिनमें केवल कुछ प्रशासनिक अधिकारी और उनके परिवार निवास करते हैं। इतनी बड़ी भूमि का केवल व्यक्तिगत आवास के लिए उपयोग, संसाधनों की बर्बादी है। यह जमीनें बेशकीमती हैं ।
• इन स्थानों को संग्रहालय और बहु-स्तरीय पार्किंग में परिवर्तित करने से दो प्रमुख समस्याओं का समाधान होगा:
• यातायात जाम में कमी होगी। प्रमुख पर्यटन स्थलों के पास पार्किंग की सुविधा मिलने से शहर में भीड़भाड़ कम होगी।
• पर्यटन बुनियादी ढांचे को बढ़ावा मिलेगा। इन ऐतिहासिक बंगलों की औपनिवेशिक वास्तुकला और आर्किटेक्चर को संरक्षित करते हुए इन्हें संग्रहालयों के रूप में विकसित किया जा सकता है, जो शहर के इतिहास, कला और संस्कृति को प्रदर्शित करेंगे और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनेंगे।
2. प्रशासनिक अधिकारियों के जीवन स्तर में सुधार होगा :
• अधिकारियों को सौभागपुरा और 100 फीट रोड जैसे क्षेत्रों में आधुनिक अपार्टमेंट परिसरों में स्थानांतरित करने से उन्हें बेहतर सुविधाएं मिलेंगी, जैसे कि :
• अत्याधुनिक एवं विशाल फ्लैट
• जिम, उद्यान, स्विमिंग पूल, बच्चों के खेलने के स्थान और मंदिर
• उन्नत सुरक्षा प्रणाली और अधिकारियों का एक सुसंगठित समुदाय साथ रह पाएगा
• एक ही परिसर में सभी अधिकारियों के रहने से समन्वय और कार्य-कुशलता में वृद्धि होगी, जिससे प्रशासनिक कार्यों में भी सुधार आएगा।
3. शहर के लिए दोहरा लाभ
• जहां एक ओर इन प्राचीन बंगलों का उपयोग सार्वजनिक हित में किया जाएगा, वहीं अधिकारियों को भी बेहतर जीवन स्तर प्राप्त होगा, जिससे यह सभी हितधारकों के लिए लाभदायक रहेगा।
• संग्रहालयों के साथ छोटे रात्रि बाजार और स्थानीय व्यंजन केंद्र विकसित किए जा सकते हैं, जो न केवल पर्यटकों के लिए आकर्षक होंगे बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर भी प्रदान करेंगे।
4. विरासत संरक्षण के साथ आधुनिक उपयोगिता
• इन ऐतिहासिक बंगलों की स्थापत्य कला को संजोते हुए उन्हें संग्रहालयों के रूप में पुनर्जीवित किया जा सकता है।
• इससे शहर के समृद्ध इतिहास को संरक्षित करने के साथ-साथ पार्किंग और भीड़ नियंत्रण जैसी शहरी चुनौतियों का समाधान भी संभव होगा।
प्रस्ताव के मुख्य घटक
1. बंगले का पुनरुद्धार
• एसपी बंगला (पी.पी. सिंघल रोड): इसे एक बहु-स्तरीय पार्किंग केंद्र में बदला जा सकता है, जहां छत पर एक कैफे और बंगले में इतिहास, कला व संस्कृति को दर्शाने वाली आर्ट गैलरी स्थापित की जा सकती है।
• आईजी बंगला (ट्राइडेंट रोड): इसे राजस्थान के इतिहास में उदयपुर की भूमिका को प्रदर्शित करने वाले संग्रहालय के रूप में विकसित किया जा सकता है, साथ ही पर्यटकों के लिए हस्तशिल्प और स्थानीय व्यंजनों का बाज़ार भी बनाया जा सकता है।
• कलेक्टर बंगला (कोर्ट भवन के पास): इसे एक धरोहर संग्रहालय के रूप में बदला जा सकता है, जहां पर्यटकों के लिए छोटे बुटीक स्टोर और रेस्टोरेंट्स की सुविधा हो सकती है ।
2. प्रशासनिक अधिकारियों के लिए आधुनिक फ्लैट
• सौभागपुरा या 100 फीट रोड के पास एक विशेष अपार्टमेंट परिसर विकसित किया जाए।
• इसमें पर्यावरण के अनुकूल सुविधाओं और सामुदायिक विकास को ध्यान में रखते हुए निर्माण किया जाए।
• अधिकारियों को एक साथ रहने से कार्यकुशलता में वृद्धि होगी और संतुलित जीवनशैली का लाभ मिलेगा।
3. पर्यटन और बुनियादी ढांचे का समन्वय
• संग्रहालयों में रात्रि बाजार और स्थानीय व्यंजन केंद्र विकसित किए जा सकते हैं, जिससे शहर को नई पहचान मिलेगी।
• बहु-स्तरीय पार्किंग सुविधा से पर्यटन क्षेत्रों में भीड़भाड़ कम होगी और शहर अधिक सुगम बनेगा।
• राजस्थान सरकार के आय स्रोत में वृद्धि होगी, युवाओं को नया व्यवसाय मिलेगा, नई नौकरियाँ निकलेंगी ।
उदयपुर 2047 के लिए यह दृष्टि क्यों महत्वपूर्ण है ?
भविष्य में उदयपुर को एक वैश्विक पर्यटन और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए हमें हर संसाधन का विवेकपूर्ण उपयोग करना होगा। इन प्रमुख सरकारी बंगलों को एक नई उपयोगिता देकर, हम न केवल अपनी विरासत को संरक्षित कर सकते हैं बल्कि भविष्य की आवश्यकताओं को भी पूरा कर सकते हैं। यह विचार और भी सरकारी बंगलों के लिए क्रियान्वयन में लिया जा सकता है ।
यह प्रस्ताव “आउट-ऑफ-द-बॉक्स” सोच का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जो भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। संसाधनों के प्रभावी उपयोग और शहरी विकास के दूरदर्शी दृष्टिकोण के साथ, उदयपुर को एक सतत विकास मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है।
अब कार्य करने का उपयुक्त समय है!
यदि इस प्रस्ताव को लागू किया जाता है, तो उदयपुर न केवल अपने अतीत का सम्मान करेगा बल्कि वर्तमान समस्याओं का समाधान करते हुए भविष्य के लिए एक उज्जवल और समावेशी मार्ग प्रशस्त करेगा। लेखक होटल एसोसिएशन उदयपुर के उपाध्यक्ष और बिज़नेस सर्किल इंडिया टूरिज़्म के चार्टर अध्यक्ष भी हैं ।
यशवर्धन राणावत
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