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नया पुल कॉर्नर: गंदगी का स्थायी अड्डा या उदयपुर प्रशासन की नाकामी का प्रतीक?

Reported By : Padmavat Media
Published : April 15, 2025 4:48 PM IST

नया पुल कॉर्नर: गंदगी का स्थायी अड्डा या उदयपुर प्रशासन की नाकामी का प्रतीक?

— विशेष रिपोर्ट

उदयपुर, जिसे झीलों की नगरी और पर्यटन नगरी के रूप में विश्वभर में पहचाना जाता है, वहां का नया पुल कॉर्नर—स्वरूप सागर रोड पर स्थित एक महत्वपूर्ण मोड़—आज कचरे का स्थायी डंपिंग ज़ोन बन चुका है। यह स्थान अब बदहाली और गंदगी का ऐसा प्रतीक बन गया है, जो नगर निगम की उदासीनता और अव्यवस्था की पोल खोलता है।

बीस वर्षों से अनदेखा होता मुद्दा

पिछले दो दशकों से स्थानीय नागरिक, सामाजिक कार्यकर्ता, पर्यटन से जुड़े लोग और स्थानीय संस्थाएं इस स्थान की सफाई और सौंदर्यकरण की मांग करते आ रहे हैं। समय-समय पर लिखित शिकायतें दी गईं, सोशल मीडिया पर मुहिम चलाई गई, जिला स्तरीय बैठकों में मुद्दा उठाया गया और यहां तक कि जिम्मेदार अधिकारियों से व्यक्तिगत रूप से भी कई बार वार्ताएं हुईं। लेकिन इन सभी प्रयासों के बावजूद यह क्षेत्र अब भी एक बदसूरत कचरा स्थल बना हुआ है।

समाधान नहीं, समस्या को स्थायित्व देने की कोशिश!

हाल ही में नगर निगम ने इस स्थल पर एक लोहे की ग्रिल लगाकर इसकी “सीमा निर्धारण” कर दी है। यह कदम समस्या का समाधान करने की बजाय उसे स्थायित्व प्रदान करने का प्रयास प्रतीत होता है। यह न केवल हास्यास्पद है, बल्कि आशंका को जन्म देता है कि प्रशासन इस कचरे के ढेर को ही स्थायी मान्यता देकर सड़क पर धीरे-धीरे अतिक्रमण की योजना बना रहा है।

पर्यटन और शहर की छवि पर प्रभाव

स्वरूप सागर रोड उदयपुर का अत्यंत व्यस्त मार्ग है, जो न केवल स्थानीय नागरिकों की दैनिक आवाजाही का हिस्सा है, बल्कि हज़ारों पर्यटकों की भी राह है। ऐसे स्थान पर गंदगी का यह दृश्य न केवल हमारी प्रशासनिक नाकामी दर्शाता है, बल्कि पर्यटन नगरी की वैश्विक छवि को भी धूमिल करता है।

होटल एसोसिएशन उपाध्यक्ष और पर्यटन विशेषज्ञ यशवर्धन राणावत जो कई समय से इस मुद्दे को उठा रहे हैं, का कहना है:

“नया पुल कॉर्नर की स्थिति यह दर्शाती है कि हमारी प्राथमिकताएँ कितनी विकृत हो चुकी हैं। इस क्षेत्र को साफ़ करने और सौंदर्यकरण की दिशा में ठोस कदम उठाने की बजाय नगर निगम इसे स्थायी कचरा स्थल बनाकर उदयपुर की सुंदरता पर कुठाराघात कर रहा है। यह शहर सिर्फ इमारतों और सड़कों से नहीं, उसकी आत्मा से बनता है। यदि हम उसकी आत्मा—यानी स्वच्छता, संस्कृति और सौंदर्य—को ही कुचल देंगे, तो उदयपुर की पहचान ही मिट जाएगी। नगर निगम को चाहिए कि तुरंत इस कचरे के अड्डे को हटाकर इस स्थान का समुचित विकास करे। यह जनभावना है, न कि किसी एक व्यक्ति की मांग।”

पर्यटन व्यवसायी प्रद्युम्न सिंह चौहान, होटल मेवाड़ हवेली के मालिक संयम जैन, होटल इंडस्ट्री से जुड़े अभिनव सिंह परिहार, उदयपुर गाइड एसोसिएशन के अध्यक्ष दिग्विजय सिंह कांकरवा, ट्रैवल एजेंट चिन्मय दीक्षित, पर्यटन क्षेत्र से जुड़े सेवानिवृत्त सेना अधिकारी ब्रिगेडियर हर्षवर्धन सिंह शक्तवात और मेजर दुर्गादास, तथा हैंडीक्राफ्ट व्यवसायी और एक्सपोर्टर पंकज पालीवाल, वेडिंग प्लानर व ट्रैवल एजेंट अंकित भार्गव व सिटीजन सोसाइटी अध्यक्ष क्षितिज कुम्भट ने मुख्य मार्ग पर लगे इस धातु ग्रिल से सड़क की सीमा में हुए अतिक्रमण और खुले कचरा डंपिंग पॉइंट पर गहरी नाराज़गी जताई। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक उदासीनता ने स्मार्ट सिटी के नाम पर व्यवस्थाओं का मज़ाक़ बना दिया है । एंटी करप्शन एंड क्राइम कंट्रोल कमेटी के मीडिया सेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष पवन जैन पदमावत और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार सुरक्षा संगठन के संभागीय अध्यक्ष विकास गौड़ ने इसे प्रशासनिक मूर्खता बताया और कहा की नगरनिगम में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण ही यह जगह आज भी कचरा डंपिंग यार्ड बनी हुई है । 

सभी ने एक स्वर में इस प्रमुख पर्यटन स्थल पर कचरा डालने की व्यवस्था का विरोध करते हुए कहा कि यह कोना हमेशा आवारा गायों, कुत्तों और सूअरों से भरा रहता है, जिससे पर्यटकों में बेहद नकारात्मक संदेश जाता है। प्रशासन को इस विषय पर तुरंत संज्ञान लेते हुए इस खुले कचरा स्थल को यहां से हटाना चाहिए। आशा है की जिला कलेक्टर और नगरनिगम आयुक्त इसका संज्ञान लेकर त्वरित कार्यवाही करेंगे ।

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