जनजाति सुरक्षा मंच का उद्देश्य धर्मान्तरित व्यक्तियों को अनुसूचित जनजातियों की सूची से बाहर किया जाय
खेे खेरवाडा सतवीर सिंह पहाड़ा, उपखंड के उपमंडल बावलवाड़ा के निचला तालाब जागेश्वर महादेव परिसर में राजस्थान वनवासी कल्याण परिषद जिलाध्यक्ष कान्ति लाल खराड़ी ने बताया कि देश की700से अधिक जनजातियों के विकास एवं उन्नति के लिए सविधान निर्माताओं ने आरक्षण एवं अन्य सुविधाओं का प्रावधान किया था लेकिन इन सुविधाओं का लाभ उन जनजातियों के स्थान पर वे लोग उठा रहे है जो अपनी जाति छोड़कर ईसाई या मुस्लिम बन गए हैं। परिषद के जिलामंत्री मोतीलाल अहारी ने सविधान की मंशा के अनुरूप भारत के वन क्षेत्र मे निवास कर रहे अनुसूचित जनजाति समुदाय का अर्थ है भौगोलिक दूरी, विशिष्ट संस्कृति बोली भाषा, परम्परा एवं रूढ़िगत न्याय व्यवस्था, सामाजिक आर्थिक पिछड़ापन, संकोची स्वभाव, अतः इन जनजातियों को अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में रखकर उनके लिए न्याय और विकास को सुनिश्चित करने के लिए आरक्षण एवं अन्य विशेष प्रावधान किए गए जैसे जनजाति उपयोजना हेतु वित्तिय प्रावधान, कस्टमरी लॉज, वन अधिकार एवं अन्य प्रावधान शामिल है।इन प्रावधानों पर विशेष निगरानी हेतु महामहिम राष्ट्रपति तथा राज्यपाल महोदय को विशेष अधिकार दिये गए।सविधान की इस विसंगति को लेकर1966=67में जनजाति नेता स्व कार्तिक उरांव ने तात्कालिन प्रधानमंत्री को235सांसदों का हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन दिया और ऐसे लोगों को हटाने की मांग की।उरांव जी ने पुनः1970 में इस मुद्दे को उठाया उस समय348सांसदों ने ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये।इतने प्रबल समर्थन के बावजुद भी इस मुद्दे पर कोई कार्यवाही नहीं हुई।और यह समस्या आज भी यथावत है।असारीवाडा में राष्ट्र सेविका ओर पंचायत समिति सदस्य ममता मीणा ने बताया कि वर्तमान में जनजाति सुरक्षा मंच ने पूरे देश के साथ अपने प्रदेश मे भी व्यापक जनजागरण ओर जिलासम्मेलन के कार्यक्रम बनाये जिसके तहत जनजाति सुरक्षा मंच के बैनर तले सभी लोगों को जोड़कर गाँव गाँव फले मजरे ढाणी घर घर जाकर जनजागरण कार्य किया जा रहा है।मंच का मुख्य मत है कि भारत की जनजातियों को उनका हक मिलना चाहिए।इस अवसर पर राजस्थान वनवासी कल्याण परिषद के श्रद्धा जागरण प्रमुख हीरालाल गरासिया,राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तहसील प्रमुख जयप्रकाश जी भाजपा मंडल बावलवाड़ा अध्यक्ष नवलसिंह सिसोदिया ,
नारायण बलात चिकलवास कानपुर, अमृतलाल अहारी रेल, कालूराम जी सामरन,संग्राम जी ,बाबूसिंह गरासिया, साकरचन्द, विक्रम अहारी मगरा, रोशन डामोर लिलडी, शंकर जी बोदर ढिकवास, शांति मोडिया कातरवास,सूरज देवी सुवेदरा, धनुदेवी कांकरी मंगरी, सुंदर डामोर, निर्मला देवी, जीजा, गलाली, गणेश निनामा डेयावाडा दलपतसिंह आदि ने विचार व्यक्त किए।