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रूस-यूक्रेन संघर्ष विराम का भारतीय को नहीं मिला फ़ायदा, कई छात्र अब भी यूक्रेन में फंसे- प्रेस रिव्यू

रूस-यूक्रेन संघर्ष विराम का भारतीय को नहीं मिला फ़ायदा, कई छात्र अब भी यूक्रेन में फंसे- प्रेस रिव्यू

रूस और यूक्रेन ने शनिवार को संघर्ष विराम का ऐलान किया और मारियुपोल-वोल्नोवाख़ा में मानवीय कॉरिडोर बनाकर नागरिकों को सुरक्षित निकालने पर भी सहमति जताई.

लेकिन पूर्वी यूक्रेन में फंसे भारतीय बाहर निकलने के इन रास्तों का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं. अंग्रेज़ी अख़बार द इंडियन एक्सप्रेस ने इस ख़बर को प्रमुखता से छापा है.

यूक्रेन ने कहा है कि रूस ने समझौते का उल्लंघन किया है और हमले जारी रहने की वजह से नागरिकों को निकालने के लिए सुरक्षित मानव गलियारे को खोलना असंभव बन गया है. अख़बार के अनुसार कुछ भारतीय सिर्फ यूक्रेन की पश्चिमी की ओर बढ़ पा रहे हैं, जबकि रूस के साथ लगती पूर्वी सीमा तक वो पहुंचने में असमर्थ हैं.

इधर, नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूक्रेन की स्थिति और वहां से जारी बचाव कार्य की समीक्षा के लिए बैठक की.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि अब सुमी और पिसोचिन के अलावा यूक्रेन के अन्य हिस्सों में ज़्यादा भारतीय नहीं बचे हैं.

उन्होंने कहा, “सबसे बड़ी चिंता का कारण बने खारकीएव से बीते कुछ दिनों के अंदर लगभग सभी भारतीय निकल चुके हैं.”

यूक्रेन में भारतीय दूतावास ने कहा, “पिसोचिन से सभी भारतीय नागरिकों को निकाल लिया गया है. हम उनकी यात्रा के दौरान उनके संपर्क में रहेंगे. उनकी सुरक्षा हमेशा हमारी प्राथमिकता रही है.”

इससे पहले विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था, “कुछ घंटों पहले तक, पिसोचिन में 289 से भी कम छात्र मौजूद थे जिन्हें वहां से निकालना था. हमें उम्मीद है इस काम को रविवाक को पूरा कर लिया जाएगा. वहां से छात्रों को लेकर बसें पहले ही निकल चुकी हैं. पांच बसों में बाकी छात्र आ जाएंगे. हम कुछ घंटों में सबको निकाल लेंगे.”

अख़बार के अनुसार बागची ने कहा, बीते 24 घंटों में 2900 लोगों को लेकर 15 विमान भारत पहुंचे हैं. ऑपरेशन गंगा के तहत अब तक 63 उड़ानों में क़रीब 13 हज़ार 300 लोग भारत लाए गए हैं. अगले 24 घंटे में 13 और उड़ानें भारत आएंगी, जिनमें से एक वायुसेना का भी विमान है.

बागची ने कहा, “यूक्रेन के सुमी में फंसे भारतीय छात्रों को लेकर हम बेहद चिंतित हैं. हमने रूस और यूक्रेन की सरकार पर अलग-अलग ज़रियों से काफी दबाव बनाया है ताकि वो तुरंत सीज़फायर लागू करके छात्रों के लिए सुरक्षित कॉरिडोर बनाएं. हमने अपने छात्रों से कहा है कि वे सुरक्षा के सारे उपाय अपनाएं, शेल्टर में रहें और गैर-ज़रूरी जोखिम से बचें. मंत्रालय और दूतावास लगातार छात्रों के संपर्क में हैं.”

उन्होंने कहा, “अब हमारा मकसद सुमी से छात्रों को निकालना है, जो रूस के साथ उत्तर-पूर्वी सीमा पर है. हम छात्रों को वहां से निकालने के लिए कई विकल्प तलाश रहे हैं. लेकिन सबसे बड़ी चुनौती वहां जारी गोलाबारी, हिंसा और वाहनों की कमी बनी हुई है. मुझे लगता है वाहनों से भी बड़ी चुनौती छात्रों के लिए सुरक्षित रास्ता खोजना है. इसके लिए हम संबंधित अधिकारियों से संपर्क में हैं.”

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