उदयपुर के होटलों को 10-वर्षीय लाइसेंस बहाल करने की मांग, होटल व्यवसायियों में रोष
उदयपुर। उदयपुर के होटल व्यवसायियों ने नगर निगम द्वारा 10-वर्षीय लाइसेंस को रद्द कर 1-वर्षीय लाइसेंस प्रणाली लागू करने के फैसले पर कड़ा विरोध जताया है। इस मुद्दे पर होटल एसोसिएशन उदयपुर के उपाध्यक्ष एवं बिज़नेस सर्कल इंडिया टूरिज्म के अध्यक्ष यशवर्धन राणावत ने राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव सुधांश पंत को पत्र लिखकर तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। इस पत्र की प्रतियां मुख्यमंत्री, संभागीय आयुक्त, जिला कलेक्टर और नगर निगम आयुक्त को भी भेजी गई हैं। पत्र संख्या ; बीसीआई/2025-26/40 और एचएयू/2024-26/140 त्वरित कार्यवाही हेतु भेजे गए ।
राणावत ने अपने पत्र में उल्लेख किया कि 20 सितंबर 2024 को तत्कालीन जिला कलेक्टर अरविंद पोसवाल के प्रयासों से उदयपुर नगर निगम ने 10-वर्षीय लाइसेंस प्रदान करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया था। यह कदम ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस नीति के तहत लिया गया था और इससे होटल व्यवसायियों को अनावश्यक प्रशासनिक बाधाओं से राहत मिली थी। लेकिन दिसंबर 2024 में नगर निगम ने बिना किसी स्पष्ट कारण के इस निर्णय को पलटते हुए पुनः वार्षिक लाइसेंस प्रणाली लागू कर दी, जिससे होटल उद्योग में असंतोष फैल गया है।
पत्र में कहा गया कि होटल उद्योग को इससे हो रहा नुकसान ।
राणावत ने पत्र में पांच प्रमुख बिंदुओं पर चिंता जताई:
1. अनावश्यक प्रशासनिक बोझ – हर साल लाइसेंस नवीनीकरण की प्रक्रिया से होटल व्यवसायियों का समय और संसाधन व्यर्थ हो रहा है।
2. सरकारी नीति के विरुद्ध निर्णय – सरकार पर्यटन संवर्धन और व्यवसायिक सुगमता की बात करती है, लेकिन यह कदम इसके विपरीत है।
3. राजस्व पर प्रभाव – होटल उद्योग नगर निगम, जीएसटी और आयकर में महत्वपूर्ण योगदान देता है, लेकिन उन्हें अनावश्यक प्रक्रियाओं में फंसाया जा रहा है।
4. व्यापार जगत में असंतोष – इस फैसले से होटल व्यवसायियों में व्यापक असंतोष है, जिससे पर्यटन में निवेश घटने का खतरा बढ़ रहा है।
5. पर्यटन उद्योग पर संकट – उदयपुर एक प्रमुख पर्यटन स्थल है और नीतिगत अस्थिरता निवेश और विकास को बाधित कर सकती है।
सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग
होटल एसोसिएशन और बिज़नेस सर्कल इंडिया टूरिज्म ने मांग की है कि 10-वर्षीय लाइसेंस प्रणाली को तत्काल बहाल किया जाए। साथ ही, जिला कलेक्टर नमित मेहता और नगर निगम आयुक्त रामप्रकाश को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए जाएं कि होटल व्यवसायियों को अनावश्यक परेशानियों का सामना न करना पड़े।
राणावत ने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री से चर्चा की मांग करते हुए कहा कि सरकार का त्वरित हस्तक्षेप उदयपुर के होटल व्यवसायियों को राहत देगा और यह साबित करेगा कि राजस्थान सरकार पर्यटन विकास और व्यापार-अनुकूल नीतियों के लिए प्रतिबद्ध है।
“होटल व्यवसायियों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। अगर जल्द ही इस मुद्दे पर सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया, तो हमें मजबूरन आंदोलन की दिशा में सोचना पड़ेगा,” राणावत ने चेतावनी दी।होटल एसोसिएशन उदयपुर अध्यक्ष सुदर्शन देव सिंह कारोही और बिज़नेस सर्किल इंडिया के संस्थापक मुकेश माधवानी ने इस मुद्दे पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार को तुरंत कार्यवाही करते हुए लाइसेंस प्रक्रिया को सरल बनाते हुए दस वर्ष के लिए करना चाइए जिससे की पर्यटन उद्योग फले फूले और सरकार को भविष्य में और अधिक राजस्व कमाकर दे । इससे उद्योग में एक सकारात्मक संदेश भी जाएगा ।
अब देखना यह होगा कि सरकार इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर क्या कदम उठाती है और क्या होटल उद्योग को राहत मिलती है या नहीं।
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