आध्यात्मिक कार्य में अपनी अलग पहचान बनाएं मिथिलेश कौशिक
रिपोर्ट – सोनू अग्रवाल
मिथलेश जी विगत 15 सालों से अस्पताल में गरीबों की सेवा में समर्पित है। इसके साथ ही, पिछले 10 वर्षों से आपने अपने मंडल में भजन-कीर्तन करने का संगीत सुनाया है, जो मन को शांति और संतोष प्रदान करता है। पिछले 5 वर्षों से,ये विश्व हिंदू परिषद से जुड़ी हूँ, जहां इन्होंने जिला सत्संग प्रमुख के रूप में अपनी सेवाएं प्रदान की हैं। इसके अतिरिक्त, एक वर्ष से मैं विश्व हिंदू परिषद में मातृशक्ति के जिला सहसंयोजीका के पद पर कार्य कर रही है। जो समाज के लिए नारी उत्थान में सहायक है। यह सभी कार्य उनके लिए एक उत्कृष्ट अवसर हैं जिसमें उन्होंने सेवा और समर्पण के माध्यम से समाज की सेवा की है।मैं सनातन धर्म के महत्व को भी महसूस करती है और इसे अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानती है। सनातन धर्म के सिद्धांतों ने इन्हें एक स्थिर और समर्पित जीवन जीने की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान किया है। आपने अपने सेवा कार्य के साथ-साथ आध्यात्मिकता के माध्यम से भी समाज को सेवा प्रदान करने का प्रयास किया है। आध्यात्मिकता इनके जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और ये इसे अपने सेवा के कार्य में सम्मिलित करने का प्रयास करती है। कौशिक भजन-कीर्तन और ध्यान कार्य न केवल मन को शांति और स्थिरता प्रदान करता है, बल्कि उन्हें और भी उच्च स्तर की आध्यात्मिक अनुभूति प्राप्त होती है। इसके माध्यम से, वे समाज के लिए न केवल शारीरिक रूप से बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी उत्कृष्टता की दिशा में काम कर रही है। आध्यात्मिकता सेवा कार्य को संतुलितता, साहस और सामर्थ्य के साथ संचालित करने में मदद करती है, जिससे ये समाज की नींव को मजबूत करने का प्रयास कर रही है।